“जिन वीरों को हमने भुला दिया, उनकी स्मृति में”
वर्ण मात्रिका 16, 14
प्रकाश चन्द्र बरनवाल
‘वत्सल’आसनसोल
आओ मिलकर करें आज हम, उन वीरों का आराधन।
जिनकी अमर कीर्ति गाथा से, भारत का जगमग कण – कण।।
जिन बलिदानी परवानों को, राजनीति ने भुला दिया।
वो महायज्ञ के सूत्रधार, विस्मृत कर जग सुला दिया।।
पदलोलुप इतिहासविदों ने, चाटुकारिता वर्णित की।
हर पन्ने जो इतिहास लिखा, झूठी बातें अंकित की।।
लोकतंत्र का चीरहरण कर, गुरुजन ने जो भूल किया।
अंधकार ने प्रश्रय पाकर, चाल – चरित निर्मूल किया।।
भोगवाद की अति लिप्सा ने, वंशवेल को तूल दिया।
लूटपाट कर भ्रष्टतंत्र ने, धन संचय अनमोल किया।।
धन – दौलत के लूट पाट में, नीति नियंता मत्त हुए।
शासक, राजतंत्र सब मिलकर, भ्रष्टाचारी तृप्त हुए।।
आज उसी नेतृत्व वर्ग को, सच का पाठ पढ़ाना है।
सत्ता के इन गलियारों से, उनको दूर भगाना है।।