ASANSOL-BURNPUR

स्वामी अमलानंद सरस्वती की पुण्यतिथि पर नारायण सेवा

बंगाल मिरर, पुरूलिया:  गोसाईं जी यानी साधक विजय कृष्ण गोस्वामीजी की परंपरा के प्रशिष्यों में सर्वजन के प्रात: स्मरणीय ‘मेजो साधुबाबा’ स्वामी अमलानंद सरस्वती के पावन तिरोभाव दिवस पर आज पुरुलिया के रघुनाथपुर आश्रम में आयोजित नर-नारायण सेवा में 220 जनों को हिमसागर आम, गमछा और करोना-मॉस्क के साथ ही  बुंदिया, भुजिया, साथ ही हर प्रकार के मसाले, आटा, दाल, चीनी, चाय पति, साबुन, तेल, मूरी दिये गये।       

   13 अक्तूबर 1942 को छत्तीसगढ़ के रायपुर में जन्मे स्वामी अमलानंद जी । 1905 में सर्वप्रथम विदेश में वैष्णव धर्म व भागवत नाम-संकीर्तन प्रचारक लोकनाथ ब्रह्मचारी जी की परंपरा के स्वामी प्रेमानंद से दीक्षित थे उनके पिताजी। उनकी साधिका माताश्री ज्योतिर्मयी देवी गंधबाबा स्वामी विशुद्धानंद सरस्वती की शिष्या थीं। विरासत में प्राप्त आध्यात्मिक जीवन प्राप्त करके धन्य हुए स्वामी जी। अपने ज्येष्ठ भ्राता के साथ 7 अक्टूबर 1962 में स्वामी असीमानंद जी से दीक्षा प्रपात ग्रहण करने के बाद दोनों 1964 में गृह त्यागी के रूप भजन करने निकल पड़े।

अपने अंतर्गत श्री श्री गुरुमाता की आज्ञा से पुरुलिया के रघुनाथपुर में 1975 में श्री श्री विजय कृष्ण भक्त संघ स्थापित कर देशभर गुरुदेव का नाम-संकीर्तन प्रचार करते रहे। श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन एवं माध्यम से अनेक भक्त विन्द सद्गुरु  दीक्षित प्राप्त कर अपना जीवन सार्थक कर लिए।  उनके जीवन की विविध विषयक समस्याओं का निराकरण करने के साथ ही लोककल्याण में साधना पथ, श्री श्री विजय कृष्ण कथामृत, श्री श्री विजय कृष्ण परिजन स्मृति, कुसुमांजलि, सदगुरु स्वामी असीमानंद लीला प्रसंग, श्री श्री सदगुरु संग समेत अनेक हिंदी, बांग्ला, अंग्रेजी, कन्नड़ और गुजराती आध्यात्मिक ग्रंथों के संपादन, रूपांतरण व प्रकाशन के प्रति प्रतिबद्ध रहते हुए 19 जून 2010 को परमपद प्राप्त हुए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *