PK को लेकर तृणमूल में कलह, बढ़ी मुश्किलें
बंगाल मिरर, राज्य ब्यूरो, कोलकाता: PK को लेकर तृणमूल में कलह, बढ़ी मुश्किलें। पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचलें तेज हो गयी है। ममता बनर्जी के मंत्री शुभेंदु अधिकारी के मंत्री पद से इस्तीफे के बाद बंगाल की राजनीति में तूफान आ गया है। अभी तक ममता बनर्जी विरोधी पार्टियों के निशाने पर थीं, लेकिन अब ममता बनर्जी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (PK) सत्तारूढ़ दल के बगावती नेताओं व विरोधी पार्टियां भाजपा, कांग्रेस व माकपा के निशाने पर हैं।
माना जा रहा है कि शुभेंदु अधिकारी ने पीके व ममता बनर्जी के एमपी भतीजे अभिषेक बनर्जी के बढ़ते कद से नाराज हैं और उसी नाराजगी की वजह से मंत्री पद से इस्तीफा दिया है। सिर्फ अधिकारी ही नहीं उनके अलावा कई और ऐसे नेता व विधायक हैं, जो चुनावी रणनीतिकार पीके के पार्टी के भीतर हस्तक्षेप को लेकर मुखर हो रहे हैं। पिछले दिनों मुर्शिदाबाद से तृणमूल विधायक नियामत शेख ने एक जनसभा में पीके का खुलेआम विरोध करते हुए कहा था, क्या हमें उनसे (पीके) राजनीति समझने की जरूरत है? कौन है वह? अगर बंगाल में तृणमूल को नुकसान पहुंचा तो पीके उसकी वजह होंगे।
कई नेता जता चुके हैं विरोध
यही नहीं कूचबिहार से तृणमूल विधायक मिहिर गोस्वामी ने भी पीके पर आपत्ति जताते हुए फेसबुक पर कई पोस्ट किया था और वह अब भाजपा में शामिल हो गए हैं। उन्होंने पीके पर निशाना साधते हुए लिखा था, क्या तृणमूल अभी भी वाकई ममता बनर्जी की पार्टी है? ऐसा लगता है कि पार्टी को किसी ठेकेदार को दे दिया गया है। बैरकपुर विधानसभा से तृणमूल विधायक शीलभद्र दत्त ने पीके की एजेंसी पर हमला बोलते हुए चुनाव न लड़ने की घोषणा कर दी है। दत्ता ने कहा है कि एक बाहरी एजेंसी उन्हें सिखा रही है कि राजनीति कैसे करें। यही नहीं मंत्री रबींद्रनाथ भट्टाचार्य ने हुगली के सिंगुर के विधायक बेचाराम मन्ना से नाराज होकर इस्तीफा देने की बात कह दी थी। वहीं मंत्री सिद्दीकुल्ला चौधरी भी तृणमूल नेता अनुव्रत मंडल से नाराज हैं।