अभिभावकों का आरोप हाईकोर्ट के फैसले को ठेंगा दिखा रहे निजी स्कूल
बंगाल मिरर, आसनसोल : शिल्पांचल के विभिन्न स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि
अभी पश्चिम बंगाल में चुनाव का महौल है सभी राजनीति पार्टियां वोटरों को लुभाने के लिए हर तरह के प्रयास कर रहीं है। सभी दल अपने घोषणा पत्र मे नयी-नयी योजना, विधि-व्यवस्था मे सुधार, रोजगार इत्यादि का जिक्र कर रहे है परन्तु जीवन का सबसे महत्वपूर्ण विषय शिक्षा पर किसी भी राजनीतिक दलों का ध्यान नही जा रहा है।
विगत वर्ष से ही कोविड-19 के कारण आऐ लॉकडाऊन की वजह से सभी प्राइवेट स्कूल ऑनलाइन के माध्यम से शिक्षा दे रहे है । बहुत सारे स्कूलों मे ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था भी सही से नही रहीं । नर्सरी से क्लास 3 तक के बच्चों को ऑनलाइन क्लास करने मे भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा । बच्चों को समझने में परेशानी, नेटवर्क समस्या इत्यादि हमेशा अभिभावकों की परेशानी का कारण बना रहता था । प्रत्येक अभिभावक को अपने बच्चों के लिए नया एंड्रॉयड फोन देना पड़ा । डाटा के लिए रिचार्ज कराना पड़ता है अभिभावकों पर अतिरिक्त खर्च का बोझ बढ़ गया । इसके बावजूद स्कूल पूरी फीस ले रहे है ।
पिछले वर्ष पूरे बंगाल में अभिभावकों द्वारा आंदोलन किया गया और अंत मे कोलकाता हाईकोर्ट में मामला गया। कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया जिसमें 80% टूयुसन फीस और सेसन फीस लेने का फैसला दिया गया । इसके अलावा किसी भी प्रकार की अतिरिक्त फीस नही लेने का निर्देश दिया। इस वर्ष भी ऑनलाइन क्लास शुरू की गई है । परन्तु फीस बढ़ा दी गई है, सेसन फीस करीब-करीब 20% और टुयुसन फीस भी बढ़ाया गया है। सभी स्कूल के अभिभावक परेशान है। स्कूल की मनमानी बढ़ती जा रही है।
स्कूल कोर्ट के फैसले को सम्मान नही दे रहे बल्कि उसकी अवमानना भी करी रहे है। सभी सरकारी अफसर मूकदर्शक बनकर सिर्फ देख रहे हैं।जिस प्रकार आसाम में फीस रेगुलेटरी बोर्ड बनाया गया और फीस को कैपिंग किया गया, ठीक उसी प्रकार पश्चिम बंगाल में भी फीस रेगुलेटरी बोर्ड बनाया जाए और प्राइवेट शिक्षण संस्थाओं की फीस को कैप किया जाए। हम अभिभावकों की यही मांग है।