नहीं काटने होंगे कार डीलरों के चक्कर, वाहन रिकॉल पोर्टल पर ऐसे करें शिकायत
बंगाल मिरर, विशेष संवाददाता : अगर आपने हाल ही में कोई नई गाड़ी खरीदी है और उसमें कोई मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट है तो आप इसकी शिकायत सीधे सरकार से कर सकते हैं। हाल ही में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा परिवहन वेबसाइट पर एक रिकॉल पोर्टल शुरू किया गया है। इस वेबसाइट पर उपभोक्ता अपनी शिकायत रजिस्टर कर सकते हैं। व्हीकल रिकॉल जैसी समस्या से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए यह पोर्टल शुरू किया है। इसके साथ अगर आपकी शिकायत गाड़ी में लगे फॉल्टी कंपोनेंट या सॉफ्टवेयर इश्यू से जुड़ी है तो तभी आप इसकी शिकायत सीधे इस पोर्टल पर जाकर कर सकते हैं।
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‘रिकॉल’ क्या होता है?
सबसे पहले समझते हैं कि आखिर यह रिकॉल क्या होता है? शाब्दिक अर्थ पर जाएं तो रिकॉल का मतलब होता है वापिस बुलाना। दरअसल, किसी भी मोटर वाहन को लागू मानकों के अनुसार, डिजाइन और निर्मित करने की आवश्यकता होती है ताकि वह सड़क उपयोग के लिए पर्याप्त रूप से सुरक्षित हो सके। मोटर वाहन के बाजारों में रिलीज होने के बाद अगर उसमें कोई मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट सामने आता है तो मोटर वाहन के निर्माता, आयातक या रेट्रोफिटर ऐसे वाहन का फिर से निरीक्षण करते हैं और जो भी डिफेक्ट होता है उसको सुधारा जाता है। इसे ही रिकॉल कहते हैं।
कौन कर पायेगा रजिस्टर?
दरअसल, अभी तक वाहन मालिक को किसी तरह की खराबी की शिकायत करनी होती थी तो इसके लिए उन्हें डीलरशिप के चक्कर काटने पड़ते थे। लेकिन अब इस रिकॉल पोर्टल के माध्यम से सरकार ने कार ओनर्स को राहत देने के लिए ये समाधान निकाला है। एक और बात वाहन चालक सिर्फ तभी शिकायत दर्ज कर सकते हैं जब उसका वाहन सात साल से कम पुराना हो।
कैसे कर सकेंगे शिकायत दर्ज?
शिकायत दर्ज करने के लिए आपको vahan.parivahan.gov.in पर जाना होगा। यहां आपको सबसे पहले अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा, इसके बाद आप अपनी गाड़ी और डिफेक्ट की जानकारी दे सकते हैं। यहां अपनी गाड़ी के किसी भी फॉल्टी कंपोनेंट या सॉफ्टवेयर से जुड़ी समस्या या फिर ऐसी कोई दिक्कत हो, जिससे रोड सेफ्टी की समस्या उठे, वो सब यहां बता सकते हैं। शिकायत दर्ज होने के बाद मंत्रालय आपकी शिकायत की जांच करेगा, समस्या का विश्लेषण करेगा, और फिर आपकी गाड़ी के डिफेक्ट के नेचर को देखते हुए ही रिकॉल अनाउंस करेगा। मंत्रालय के लिए शिकायत की जांच नेशनल हाइवे ट्रैफिक सेफ्टी एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा की जाएगी।
कब ‘डिफेक्ट’ नहीं माना जायेगा?
1. कोई भी डिफेक्ट जो हर रोज की टूट-फूट के कारण हो या फिर कार ड्राइवर या मालिक की किसी भी लापरवाही के कारण हो।
2. इसके अलावा, जिन वाहनों का फिटनेस सर्टिफिकेट लागू हो चुका है लेकिन उन्होंने उसे रिन्यू नहीं करवाया है।
3. वो डिफेक्ट जो हम डेली देखते हैं लेकिन उसकी समय से मरम्मत नहीं करवाते हैं, रिकॉल के दायरे से बाहर माना जाएगा।
4. क्लच, शॉक एब्सॉर्बेर, बैटरी, ब्रेक पैड्स, एग्जॉस्ट सिस्टम, टायर, एयर कंडीशनर और ऑडियो सिस्टम या नेविगेशन सिस्टम जैसे इक्विपमेंट, जिनका समय-समय पर निरीक्षण, रखरखाव और रिप्लेसमेन्ट किया जाना चाहिए, डिफेक्ट में नहीं आएगा।
5. जंग, कलर, पेंट खराब होना, अनुचित टायर दबाव या फ्लैट टायर के कारण खराबी, तेल/ईंधन की खपत जैसे मुद्दे डिफेक्ट में नहीं आएंगे।
भारत में इस वक्त क्या रिकॉल पॉलिसी है
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार, भारत में इस वक्त वाहन निर्माताओं के लिए स्वैच्छिक रिकॉल नीति है। ओईएम यानि ऑरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर को जब भी उनके संबंधित वाहनों में खराबी का पता चलता है, तो वे खुद ही रिकॉल जारी करते हैं। केंद्र सरकार काफी समय से वाहनों को रिकॉल करने की प्रक्रिया को अनिवार्य बनाने की वकालत कर रही है और यह नया कदम भविष्य में देश में वाहन रिकॉल की प्रक्रिया को अनिवार्य करने की दिशा में तेजी ला सकता है।