RANIGANJ-JAMURIA

Mountain Man को भारत रत्न देने की मांग, पुण्यतिथि पर दी गई श्रद्धांजलि

बंगाल मिरर, रिक्की बाल्मीकि, आसनसोल : देश के विभिन्न हिस्सों के साथ  पश्चिम बंगाल में भी पुरुलिया बाँकुड़ा, हावड़ा ,मेदनीपुर ,मालदह,पूर्व बर्द्धमान बीरभूम एवं पश्चिम बर्द्धमान में पर्वत पुरुष ( Mountain Man) बाबा दशरथ मांझी ( Dasrath Manjhi) की पूर्णतिथि श्रद्धापूर्वक मनाई गई। आसनसोल के जे के नगर 18 नंबर में भी आयोजन किया गया। जहाँ भुइँया समाज के कई गणमान्य नेता समाज सेवी भी उपस्थित हुए। 

मूल्यरूप से भुइँया समाज उत्थान समिति के उपाध्यक्ष पवन भुइँया ,अध्यक्ष सिंटू भुइँया,अशोक भुइँया, कमल भुइँया, अमर भुइँया, रूपेश भुइँया, मन्नू भुइँया ,सोमनाथ भुइँया,भुइँया छोटू भुइँया, सुरेश भुइँया,राजकुमार भुइँया,के अलावा सभा मे सैकड़ो महिलाओं और पुरुषों की भीड़ श्रधांजलि देने के लिए उमड़े । भुइँया समाज उत्थान समिति के पश्चिम बंगाल के राज्य अध्यक्ष सिंटू कुमार भुइँया ने कहा पर्वत पुरुष बाबा दशरत मांझी भारत के लिए गौरव पुरुष है । पर्वत पुरुष बाबा दशरत मांझी का जन्म सन 14 जनवरी 1929 में बिहार में गया के गेहलौर गांव में मंगरु मांझी के घर में पुत्र के रूम में जन्म हुआ जिनका पूरा गांव, थान बजीर गंज के फगुनिया देवी से विवाह सम्पन्न हुआ।बाबा दशरत मांझी के पिता मंगरु भुइँया एक मजदूर थे। इन सभी गाँवो के आस पास के कई गाँवो के लोगो को एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा था। इन सभी गांवों के और वजीर गंज के बीच मे एक भव्य पहाड़ था जिसके कारण 50 से 60 किलो मीटर घुम कर अपने दैनिक कार्यो के लिए जाना पड़ता था।

बाबा दशरत मांझी ने गेहलौर और वजीर गंज के बीचों बीच 360 फिट लंबी 30 फिट चौड़ी और 25 ऊँचा 22 साल 4 मांहीनो के घोर परिश्रम से केवल मात्र छेनी और हथौड़ी राष्ट्र प्रेम के ऊर्जा और आत्म बल और अपनी भुजाओ के विस्वास से बिना किसी की सहायता,केवल मात्र छेनी हथौड़ी के सहायता से पहाड़ को तोड़ कर पथ का निर्माण कर दिया। जहाँ गिलहोर से वजीर गंज अब मात्र 6 से 7 किलोमीटर की दुरी ही बची। मौजूद समय मे उस पथ का नाम बाबा दशरत मांझी पथ रखा गया है। ऐसे एक गरीब, मजदू ,दलित, राष्ट्र प्रेमी बाबा दशरथ मांझी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए। हम भुइँया समाज उत्थान समिति की ओर से बाबा दशरत मांझी के लिये भारत रत्न की माँग करते हैं।

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