NJCS बैठक 21 को, इस्पात कर्मियों का 57 महीनों का इंतजार होगा खत्म ?
बंगाल मिरर, एस सिंह, बर्नपुर : ( SAIL Wage Revision 2021 ) स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) कर्मचारियों के वेतन समझौते को लेकर नेशनल ज्वाइंट कमेटी फॉर द स्टील इंडस्ट्री( NJCS) की बैठक आगामी 21 अक्टूबर को दिल्ली के अशोका होटल में होगी। सेल प्रबंधन की ओर से इडी केके सिंह की ओर (NJCS) सदस्यों को बैठक के लिए पत्र जारी कर दिया गया है। यह एनजेसीएस ( NJCS Latest News) की 292 वीं बैठक होगी। यूनियन प्रतिनिधि व सेल प्रबंधन के अधिकारी सेल कर्मियों के वेतन समझौते के मुद्दे पर आमने-सामने होंगे। इसके पहले हुई बैठकों में प्रबंधन के अड़ियल रुख के कारण मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई। वेतन समझौता न होने से इस्पात कर्मियों में आक्रोश बढ़ रहा है। बीते 57 महीने से समझौता बकाया है। वहीं कर्मियों का आरोप है प्रबंधन द्वारा अधिकारियों को अप्रत्यक्ष तौर पर आर्थिक भत्ता दिया जा रहा है।
बीते 4 व 5 अक्टूबर को NJCS कोर ग्रुप बैठक में पर्क्स को लेकर प्रबंधन 20 फीसदी पर ही अड़ा रहा। वहीं सभी यूनियनें 30 फीसदी की मांग करते रहे। वहीं प्रबंधन का कहना है कि एरियार अप्रैल 2020 से दिया जायेगा। वह भी तीन किस्तों में वहीं पेंशन फंड में 9 फीसदी योगदान को लेकर भी जिच बनने पर ग्रेच्यूटी के सीलिंग को लेकर प्रस्ताव दिया गया। बीएमएस ने कहा कि पहले अधिकारियों का समझौता कर लें, फिर कर्मियों का करें।बैठक में कोई फैसला न होने पर NJCS बैठक 21 को बुलाई गई है। दोपहर में भोजन के बाद ढाई बजे से मीटिंग है. वहीं सूत्रों का दावा है कि इससे पहले सभी यूनियनों के बीच एक-एक कर बैठक होनी है। संभावना है कि इस दिन समझौता हो जाये। एमजीबी 13 फीसदी पर तय हो चुका है. पर्क्स 25 से 30 के बीच हो सकता है। अब देखना है कि हजारों सेल कर्मियों का 57 महीने का इंतजार खत्म होता है या फिर नई तारीख मिलती है।
वेतन समझौता ना होने से कर्मियों में बढ़ रहा आक्रोश
गौरतलब है कि अधिकारी एवं कर्मचारी संवर्ग का पे रिवीजन एक जनवरी 2017 से लंबित है। वहीं रिवीजन के विलंब होने से कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। वहीं यूनियन के प्रति भी कर्मियों में नाराजगी है। विभिन्न सोशल मीडिया पर सेल के कर्मचारी अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। कर्मियों का कहना है कि जब कोरोना संकट में सारे देश में लॉकडाउन था उस समय भी इस्पात कर्मियों ने अपनी जान जोखिम में डालकर काम किया और कंपनी फायदे में होने के बावजूद उनलोगों को उचित वेतन समझौता करने में आनाकानी की जा रही है।