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NEP 2020 : अब 12 साल की स्कूली शिक्षा, नई शिक्षा नीति का उद्देश्य क्या है

‘( Education is the Most Powerful weapon which You can use to change the world ) ( NEP 2020 In Hindi ) ‘शिक्षा’ पर निर्भर देश का भविष्य एजुकेशन इज द मोस्ट पावरफुल वेपन विच यू कैन यूज टू चेंज द वर्ल्ड’ अर्थात ‘शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसका उपयोग आप दुनिया को बदलने के लिए कर सकते हैं।’ ये शब्द भारत के पूर्व राष्ट्रपति एवं देश के महान वैज्ञानिक ए.पी.जे अब्दुल कलाम के थे। उन्होंने यह भी कहा था ‘इफ यू फेल नेवर गिव अप बिकॉज फेल मींस फर्स्ट अटेम्प्ट इन लर्निंग’ होता है।


NEP 2020

युवा शक्ति को ऊंचे सपने देखने की सलाह देते थे एपीजे अब्दुल कलाम

एपीजे अब्दुल कलाम युवा शक्ति को ऊंचे सपने देखने की सलाह देते थे। वे छात्रों से कहा करते थे कि ‘अपने लक्ष्य तय करें और उन्हें हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करें। अगर आप समर्पण, अनुशासन और पूरी ईमानदारी से अपने चुने हुए रास्ते से बिना डिगे कर्म करेंगे, तो सफलता अवश्य मिलेगी।’ छात्रों के लिए आवश्यक है कि वर्षों तक कड़ी मेहनत से तैयार अपने प्रखर और सफल करियर को बनाने के समय हासिल किए गए ज्ञान, कुशलता और योग्यता का पूरा इस्तेमाल करें। यदि कभी छात्रों को निराश नहीं होना चाहिए। कई बार बच्चे पढ़ाई और एग्जाम को लेकर तनाव में आ जाते हैं। बच्चों की शिक्षा में तनाव को कैसे दूर किया जाए इसे लेकर वर्तमान केंद्र सरकार तमाम प्रयास कर रही है। भारत की नई शिक्षा नीति (एनईपी) इसमें प्रमुख है।

वर्तमान में पीएम मोदी के संवाद कार्यक्रम से छात्रों को मिल रहा मार्गदर्शन

वर्तमान में पीएम मोदी भी एपीजे अब्दुल कलाम की तरह छात्रों के बड़े मेंटर बन चुके हैं। पीएम मोदी छात्रों के एग्जाम से पहले ‘परीक्षा पे चर्चा’ करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के संवाद कार्यक्रम से छात्रों को मार्गदर्शन मिलता है। इस कार्यक्रम के जरिए पीएम मोदी छात्रों से सीधा संवाद करते हैं। इस बार भी उन्होंने शुक्रवार के दिन 1 अप्रैल 2022 को परिक्षा पे चर्चा की। यह कार्यक्रम का 5वां संस्करण था। इस दौरान पीएम मोदी ने छात्रों से सीधा संवाद करते हुए कहा कि हमें 21वीं सदी के अनुकूल अपनी नीतियों और व्यवस्थाओं को ढालना चाहिए। अगर हम अपने आपको विकसित नहीं करेंगे तो हम पिछड़ जाएंगे।

भारत को ज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक महाशक्ति बनाने का सफर जारी

भारत की नई शिक्षा नीति (एनईपी) का लक्ष्य भारत को ज्ञान के क्षेत्र में एक वैश्विक महाशक्ति बनाने का सफर जारी है। इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारें मिलकर काम कर रही हैं ताकि भारत को एक बार फिर शिक्षा के क्षेत्र में विश्व गुरु का दर्जा मिल पाए। इसी को लेकर नई शिक्षा नीति जो प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति से प्रेरित है, छात्रों व देश के विकास के लिए लाई गई है। ज्ञात हो, प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति में छात्रों के व्यक्तित्व के समग्र और सम्पूर्ण विकास को केंद्र में रखा जाता था। नई शिक्षा नीति का उद्देश्य भी यही है कि भारतीय शिक्षा व्यवस्था को समग्र, बहु-विषयक और व्यावहारिक बनाया जाए। उच्‍च शिक्षण संस्‍थानों और विश्वविद्यालयों से भारत को ज्ञान और नवोन्मेष का उभरता केंद्र बनाने के प्रयास ‘नई शिक्षा नीति’ को सहायक माना जा रहा है। उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने साल 2020 में कहा था ”विश्वविद्यालयों, आईआईटी, एनआईटी और अन्य उच्‍च शिक्षा संस्‍थानों को अपने पठन-पाठन के तरीके में आमूल-चूल बदलाव लाना चाहिए और अपने अध्यापकों को 21वीं सदी की जरूरतों के अनुरूप नई अध्‍यापन तकनीकों से लैस करना चाहिए।”

NEP 2020 : राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020

पीएम मोदी की अध्यक्षता में 29 जुलाई 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दी। इससे स्कूली और उच्च शिक्षा दोनों क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रूपांतरकारी सुधार के रास्ते खुल सके।

यह 34 साल पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की ली जगह

गौरतलब हो, यह 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है जिसने 34 साल पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनपीई), 1986 की जगह ली। सबके लिए आसान पहुंच, इक्विटी, गुणवत्ता, वहनीयता और जवाबदेही के आधारभूत स्तंभों पर निर्मित ये नई शिक्षा नीति सतत विकास के लिए एजेंडा 2030 के अनुकूल है। एनसीईआरटी 8 ​​वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (एनसीपीएफईसीसीई) के लिए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा विकसित करेगा। एक विस्तृत और मजबूत संस्थान प्रणाली के माध्यम से प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) मुहैया कराई जाएगी। इसमें आंगनवाडी और प्री-स्कूल भी शामिल होंगे जिसमें इसीसीई शिक्षाशास्त्र और पाठ्यक्रम में प्रशिक्षित शिक्षक और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता होंगे। इसीसीई की योजना और कार्यान्वयन मानव संसाधन विकास, महिला और बाल विकास (डब्ल्यूसीडी), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण (एचएफडब्ल्यू) और जनजातीय मामलों के मंत्रालयों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा।

NEP 2020 : बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान प्राप्त करना

बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान की प्राप्ति को सही ढंग से सीखने के लिए अत्यंत जरूरी एवं पहली आवश्यकता मानते हुए ‘एनईपी 2020’ में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा ‘बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन’ की स्थापना किए जाने पर विशेष जोर दिया गया है। राज्‍य वर्ष 2025 तक सभी प्राथमिक स्कूलों में ग्रेड 3 तक सभी शिक्षार्थियों या विद्यार्थियों द्वारा सार्वभौमिक बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान प्राप्त कर लेने के लिए एक कार्यान्वयन योजना तैयार करेंगे। इसके अलावा एक राष्ट्रीय पुस्तक संवर्धन नीति तैयार की जानी है।

NEP 2020 : स्कूल के पाठ्यक्रम और अध्यापन-कला में सुधार

स्कूल के पाठ्यक्रम और अध्यापन-कला का लक्ष्य यह होगा कि 21वीं सदी के प्रमुख कौशल या व्यावहारिक जानकारियों से विद्यार्थियों को लैस करके उनका समग्र विकास किया जाए और आवश्यक ज्ञान प्राप्ति एवं अपरिहार्य चिंतन को बढ़ाने व अनुभवात्मक शिक्षण पर अधिक फोकस करने के लिए पाठ्यक्रम को कम किया जाए। विद्यार्थियों को पसंदीदा विषय चुनने के लिए कई विकल्प दिए जाएंगे। कला एवं विज्ञान के बीच, पाठ्यक्रम व पाठ्येतर गतिविधियों के बीच और व्यावसायिक एवं शैक्षणिक विषयों के बीच सख्त रूप में कोई भिन्नता नहीं होगी। स्कूलों में छठे ग्रेड से ही व्यावसायिक शिक्षा शुरू हो जाएगी और इसमें इंटर्नशिप शामिल होगी। एक नई एवं व्यापक स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा ‘एनसीएफएसई 2020-21’ एनसीईआरटी द्वारा विकसित की जाएगी।

बहुभाषावाद और भाषा की ताकत

नीति में कम से कम ग्रेड 5 तक, अच्‍छा हो कि ग्रेड 8 तक और उससे आगे भी मातृभाषा, स्थानीय भाषा, क्षेत्रीय भाषा को ही शिक्षा का माध्यम रखने पर विशेष जोर दिया गया है। विद्यार्थियों को स्कूल के सभी स्तरों और उच्च शिक्षा में संस्कृत को एक विकल्प के रूप में चुनने का अवसर दिया जाएगा। त्रि-भाषा फॉर्मूले में भी यह विकल्‍प शामिल होगा। किसी भी विद्यार्थी पर कोई भी भाषा नहीं थोपी जाएगी। भारत की अन्य पारंपरिक भाषाएं और साहित्य भी विकल्प के रूप में उपलब्ध होंगे। विद्यार्थियों को ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ पहल के तहत 6-8 ग्रेड के दौरान किसी समय ‘भारत की भाषाओं’ पर एक आनंददायक परियोजना व गतिविधि में भाग लेना होगा। कई विदेशी भाषाओं को भी माध्यमिक शिक्षा स्तर पर एक विकल्प के रूप में चुना जा सकेगा। भारतीय संकेत भाषा यानी साइन लैंग्वेज (आईएसएल) को देश भर में मानकीकृत किया जाएगा और बधिर विद्यार्थियों द्वारा उपयोग किए जाने के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय पाठ्यक्रम सामग्री विकसित की जाएंगी।

आकलन में सुधार

‘एनईपी 2020’ ( NEP 2020 ) में योगात्मक आकलन के बजाय नियमित एवं रचनात्मक आकलन को अपनाने की परिकल्पना की गई है, जो अपेक्षाकृत अधिक योग्यता-आधारित है, सीखने के साथ-साथ अपना विकास करने को बढ़ावा देता है, और उच्च स्तरीय कौशल जैसे कि विश्लेषण क्षमता, आवश्यक चिंतन-मनन करने की क्षमता और वैचारिक स्पष्टता का आकलन करता है। सभी विद्यार्थी ग्रेड 3, 5 और 8 में स्कूली परीक्षाएं देंगे, जो उपयुक्त प्राधिकरण द्वारा संचालित की जाएंगी। ग्रेड 10 एवं 12 के लिए बोर्ड परीक्षाएं जारी रखी जाएंगी, लेकिन समग्र विकास करने के लक्ष्य को ध्‍यान में रखते हुए इन्‍हें नया स्वरूप दिया जाएगा। एक नया राष्ट्रीय आकलन केंद्र ‘परख (समग्र विकास के लिए कार्य-प्रदर्शन आकलन, समीक्षा और ज्ञान का विश्लेषण) एक मानक-निर्धारक निकाय के रूप में स्थापित किया जाएगा।

नई शिक्षा नीति का उद्देश्य

इस नई शिक्षा नीति ( NEP 2020 ) का उद्देश्य 21वीं सदी की जरूरतों के अनुकूल स्कूल और कॉलेज की शिक्षा को अधिक समग्र, लचीला बनाते हुए भारत को एक ज्ञान आधारित जीवंत समाज एवं ज्ञान की वैश्विक महाशक्ति में बदलना और प्रत्येक छात्र में निहित अद्वितीय क्षमताओं को सामने लाना है। दरअसल, शिक्षा के क्षेत्र में अब फेज चेंजिंग का दौर आ गया है। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने इस जरूरत को समझते हुए देश में नई शिक्षा नीति का ऐलान किया। आज देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 युवाओं को सशक्त बनाने का काम कर रही है। केवल इतना ही नहीं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शिक्षा के साथ-साथ खेलों को भी बढ़ावा दे रही है। यह छात्रों को दुरुस्त रहने के अवसर देती है और उनके मानसिक, बौद्धिक एवं सामाजिक विकास में भी मदद करती है।

युवाओं के लिए समग्र और बहु-विषयक शिक्षा – युवाओं के लिए लचीलापन, रुचि के साथ-साथ योग्यता-उन्मुख शिक्षा – वंचित वर्ग के युवाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए उच्च शिक्षा में समानता और समावेश – रोजगार योग्यता और करियर के विकास की खातिर युवाओं के लिए ऑनलाइन और डिजिटल शिक्षा – युवाओं के बीच ड्रॉपआउट दर को कम करना और युवाओं के लिए सभी स्तरों पर शिक्षा की सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करना युवाओं के लिए व्यावसायिक शिक्षा।

स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर सबकी एकसमान पहुंच सुनिश्चित करना

एनईपी 2020 (NEP 2020 ) स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों प्री-स्कूल से माध्यमिक स्तर तक सबके लिए एकसमान पहुंच सुनिश्चित करने पर जोर देती है। स्कूल छोड़ चुके बच्चों को फिर से मुख्य धारा में शामिल करने के लिए स्कूल के बुनियादी ढांचे का विकास औरर नवीन शिक्षा केंद्रों की स्थापनी की जाएगी। इस नई शिक्षा नीति में छात्रों और उनके सीखने के स्तर पर नजर रखने, औपचारिक और गैर-औपचारिक शिक्षा सहित बच्चों की पढ़ाई के लिए बहुस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराने, परामर्शदाताओं या प्रशिक्षित सामाजिक कार्यकर्ताओं को स्कूल के साथ जोड़ने, कक्षा 3, 5 और 8 के लिए एनआईओएस और राज्य ओपन स्कूलों के माध्यम से ओपन लर्निंग, कक्षा 10 और 12 के समकक्ष माध्यमिक शिक्षा कार्यक्रम, व्यावसायिक पाठ्यक्रम, वयस्क साक्षरता और जीवन-संवर्धन कार्यक्रम जैसे कुछ प्रस्तावित उपाय हैं। एनईपी 2020 के तहत स्कूल से दूर रह रहे लगभग 2 करोड़ बच्चों को मुख्य धारा में वापस लाया जाएगा।

देश की करीब 65% आबादी के युवा शक्ति की ऊर्जा को दिशा देना जरूरी

देश की करीब 65 % आबादी के युवा शक्ति की ऊर्जा को दिशा देने और उनके भीतर उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सही माहौल बनाने के लिए केंद्र सरकार के प्रयास जारी हैं। यह समय है, जब उनकी प्रतिभा और कुशलता का उपयोग ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को आगे बढ़ाने के लिए किया जाए। नई शिक्षा नीति न केवल प्रगतिशील और दूरदर्शी है, बल्कि 21वीं सदी के भारत की उभरती जरूरतों और आकांक्षाओं के अनुरूप भी है। यह नीति युवा विद्वानों और छात्रों को उनकी योग्यता और समय-समय पर उनकी व्यक्तिगत परिस्थितियों के आधार पर उनके विकल्प तय करने का पर्याप्त अवसर भी देती है।

2035 तक जीईआर को बढ़ाकर 50 प्रतिशत करना

बता दें नई नीति का उद्देश्य 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% जीईआर के साथ पूर्व-विद्यालय से माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा के सार्वभौमिकरण का लक्ष्य हासिल करना है। एनईपी 2020 का लक्ष्य व्यवसायिक शिक्षा सहित उच्चतर शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को 26.3 प्रतिशत (2018) से बढ़ाकर 2035 तक 50 प्रतिशत करना है। उच्चतर शिक्षा संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएंगी।

NEP 2020 : शिक्षा में अब छोटे बच्चों का बेस होगा मजबूत

NEP 2020 : 12 साल की स्कूली शिक्षा और 3 साल की आंगनवाड़ी और प्री-स्कूलिंग के साथ नए 5 + 3 + 3 + 4 स्कूली पाठ्यक्रम संरचना लागू किया जो क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 उम्र के बच्चों के लिए है। इसमें अब तक दूर रखे गए 3-6 साल के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का प्रावधान है, जिसे विश्व स्तर पर बच्चे के मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण चरण के रूप में मान्यता दी गई है। नई प्रणाली में तीन साल की आंगनवाड़ी और प्री स्कूलिंग के साथ 12 साल की स्कूली शिक्षा होगी।

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