ASANSOL

Asansol रेलवे स्कूलों और बच्चों के भविष्य को बचायें

बैठक बुलाकर खुद नहीं आये रेलवे अधिकारी

बंगाल मिरर, आसनसोल 🙁 Asansol News Today ) देश भर में  रेलवे संचालित स्कूलों बंद करने का फरमान जारी किया गया है।  ईस्टर्न रेलवे के आसनसोल रेल मंडल के  तहत चलने वाले तीनों स्कूल एवं अंडाल की एक स्कूल को बंद करने का आदेश जारी किया गया था। इसे लेकर शनिवार आसनसोल के डूरंड कालोनी स्थिति विवेकानंद  हॉल में स्कूलों के प्रधानाध्यापक, शिक्षकों एवं अभिभावकों को लेकर बैठक किया गया। इस मौके पर रेलवे के एक कर्मचारी और इस स्कूल में पढ़ने वाले  छात्र के अभिभावक नंद कुमार भगत ने बताया की जिस तरह से रेलवे द्वारा इन स्कूलों को बंद करने का फरमान जारी किया गया है। वह दुर्भाग्यपूर्ण है। 


उन्होंने कहा था कि शनिवार की इस बैठक का आह्वान सीनियर डीपीओ ने किया था और उनके बुलावे पर वह सब यहां आए थे। लेकिन प्रबंधन की तरफ से कोई भी नहीं आया। उन्होंने कहा कि रेलवे प्रबंधन पर किसी का भरोसा नहीं रहा। उन्होंने कहा कि बच्चे और उनके अभिभावक तो आए थे। लेकिन प्रबंधन की तरफ से कोई नहीं आया। जिस स्कूल में 62 फीसदी से ज्यादा बच्चे पढ़ते हो उन स्कूलों को इस तरह से बंद करना सर्वथा अनुचित है। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान मेम बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिया गया है। लेकिन रेलवे के इस फैसले ने उस अधिकार से इन बच्चों को वंचित किया। इस रेलवे कर्मचारी ने अपने विभाग के आला अफसरों से हाथ जोड़कर प्रार्थना की कि रेलवे के स्कूलों को बचाया जाए और आसनसोल की जो धरोहर है। उसकी रक्षा की जाए। 


उन्होंने कहा कि यह स्कूल 125 साल पुराने हैं और इन स्कूलों में रेलवे के ग्रुप डी के कर्मचारियों के बच्चे भी पढ़ते हैं। इन स्कूलों को बचाने की सख्त जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगर सरकारी संस्थानों से निजी संस्थान अच्छे होते तो आज आईआईटी एम्स या केंद्रीय विद्यालय सर्वश्रेष्ठ नहीं होते। उन्होंने कहा कि चूंकि बड़ी संख्या में रेलवे कर्मचारियों के बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं। इसलिए उनको आशा है कि डीआरएम उनकी बातों को सुनेंगे और इन स्कूलों को बंद होने से बचाएंगे। 


वहीं ईस्टर्न रेलवे स्कूल केमिक्सड प्राइमरी  की प्रधान शिक्षिका मधु झा ने कहां कि ईस्टर्न रेलवे के आला अफसर और एक निजी स्कूल के प्रतिनिधि के इस बैठक में आने की बात थी। निजी स्कूल के प्रतिनिधि बच्चों के अभिभावकों को कुछ प्रस्ताव देते मधु झा ने कहा कि जब वर्ष 2006 में उनके स्कूल की शुरुआत हुई थी। तब इस स्कूल को इस इलाके का सर्वश्रेष्ठ स्कूल बनाने की योजना थी और पिछले कुछ सालों में उस मुकाम तक पहुंचा भी गया था। आज ऐसी अवस्था हो चुकी है कि रेलवे कर्मचारियों के बच्चों को यहां भर्ती नहीं किया जा रहा है। क्योंकि जगह नहीं है उन्होंने कहा कि रेलवे कर्मचारियों के लिए भी 27 हजार देकर उसके बाद 56 हजार ऊपर से देकर बच्चों को निजी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करवाना संभव नहीं है। 


मधु झा ने कहा कि उनके स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के कई अभिभावक ऐसे हैं जो उनकी स्कूल की फीस जमा करने में भी अक्षम है। वह किसी तरह उनके ईस्टर्न रेल स्कूल की फीस जमा कर पाते हैं। ऐसे अभिभावकों को अगर यह कहा जाए कि वह अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भर्ती करें तो वह इतनी ऊंची फीस कहां से देंगे। उन्होंने कहा कि हर बच्चे को पढ़ाई का अधिकार है। हर मां बाप का सपना होता है कि उनके बच्चे को अच्छी से अच्छी तालीम मिले। ऐसे में इन स्कूलों को बंद करके उन बच्चों को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है और मां-बाप के सपने को चकनाचूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह कोई राजनीति का विषय नहीं है।


उन्होंने कहा कि बहुत से बच्चों के अभिभावकों के लिए बहुत बड़ी बात थी कि उनके बच्चे किसी इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाई करें। लेकिन आज उस सपने को तोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर यह स्कूल सच में बंद हो गए तो यह बच्चे पढ़ नहीं पाएंगे। मधु झा ने कहा कि वह नहीं जानते कि इस आंदोलन का कोई फायदा होगा कि नहीं लेकिन वह इसे बचना चाहती है कि यह स्कूल बंद न हो और इन बच्चों की पढ़ाई बंद न हो।

News Editor

Mr. Chandan | Senior News Editor Profile Mr. Chandan is a highly respected and seasoned Senior News Editor who brings over two decades (20+ years) of distinguished experience in the print media industry to the Bengal Mirror team. His extensive expertise is instrumental in upholding our commitment to quality, accuracy, and the #ThinkPositive journalistic standard.

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