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शिल्पांचल में छठ के पहले अर्घ्य की तैयारी पूरी, आकर्षक छटा बिखेर रहे छठ घाट

राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने देशवासियों को दी छठ पूजा की शुभकामनाएं

बंगाल मिरर, आसनसोल : ( Asansol News Today In Hindi ) छठ के गीतों से आसनसोल-दुर्गापुर शिल्पांचल छठ मय हो गया है। चहुंओर छठ का गीत सुनने को मिल रहा है। चौक-चौराहों से लेकर घरों तक में सिर्फ छठ मईया के गीत ही गूंज रहे है। नदी से लेकर तालाब तक घाटों को सजाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गयी है। सबसे अधिक ध्यान घाटों की सुरक्षा पर रखा गया है। कोरोना संकट के कारण इस वर्ष विशेष सतर्कता बरती जा रही है। आज  शाम कुछ देर बाद ही छठघाट पर सूर्य देवता को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। छठ घाटों से लेकर सड़कों तक को रंगीन बल्बों से सज गया है। चारों ओर साफ-सफाई की गई  है।

छठ पर्व को लेकर व्रती के घर ठेकुआ आदि प्रसाद की सामग्री बनाने का कार्य हो रहा है तो दूसरी ओर महिलाएं सामूहिक रूप से एक जगह जमा होकर छठ मैया की गीत गा रही है। विशेषकर हिंदी भाषी बहुल इलाकों की छंटा का क्या कहना। सड़कें चमचमा रही है, तो हर घर के आगे पूरी तरह से साफ-सफाई व रंगाई-पोताई कर सुंदर बना दिया गया है। सुबह से ही कहीं लोग घरों को पानी से धोकर साफ करते दिखे तो घर के युवा व बच्चे छठ घाटों को और भी सुंदर बनाने में जुटे रहे। न केवल हिंदी भाषी बल्कि दूसरे भाषा-भाषी लोग भी छठ पर्व को लेकर विशेष रूप से स्वच्छता बरत रहे है। घाटों को चमकाने में नगर निगम व पंचायत प्रशासन के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक संस्थाएं व क्लबों, व्रतियों के परिजन, श्रद्धालु भी दिन-रात एक किए हुए है। आसनसोल में छठ घाटों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है।

आसनसोल के कल्ला प्रभु छठ घाट पर सी क्लब द्वारा समाजसेवी कृष्णा प्रसाद के नेतृत्व में बीते 46 सालों से छठ पूजा का आयोजन किया जाता रहा है । इस बार कृष्णा प्रसाद के नेतृत्व में छठ को मनाने की तैयारी की गई है। यह घाट अनुपम छटा बिखेर रहा है। उन्होंने आयोजन को कोई कसर नहीं छोड़ी है ।

हाल की बाढ़ में के कारण ऐसीनौबत यहां तक आ गई थी कि प्रभु छठ घाट पर आयोजन को लेकर ही संदेह पैदा हो गया था । ऐसे में कृष्णा प्रसाद ने इस परिस्थिति को एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया । उन्होंने ली क्लब के सदस्यों को आश्वस्त किया कि हर साल की तरह ही इस साल भी छठ का आयोजन किया जाएगा । वह भी कुछ इस तरह जैसा कि इस जिले में क्या पूरे बंगाल में कहीं नहीं किया गया है । इसके लिए उन्होंने बीते लगभग दो महीने से अपनी पूरी ताकत झोंक दी । उन्हीं के प्रयासों का नतीजा है कि बीते दो महीनों पहले भी जिस घाट पर चलना भी मुहाल था । आज वह घाट छठव्रतियों के स्वागत के लिए पूरी तरह से सज धज कर तैयार हो गया है । नदी के दोनों तरफ के घाटों की मरम्मत की गई है । छठव्रतियों के नदी तक आने के लिए सीढ़ियों का निर्माण किया गया है ।

प्रकृति और प्रकृति की उपासना से पूरी तरह जुड़ा है छठ महापर्व

छठ पूजा का अनुपम पर्व प्रकृति और प्रकृति की उपासना से पूरी तरह जुड़ा हुआ है। सूर्य और जल महापर्व छठ के उपासना के केंद्र में है। बांस और मिट्टी से बने बर्तन और कंदमूल इनके पूजन विधि से जुड़े अभिन्न सामग्रियां है। आस्था के इस महापर्व में उगते सूर्य की उपासना और डूबते सूर्य की पूजा का संदेश अद्वितीय संस्कार से परिपूर्ण है। दुनिया तो उगने वालों को पूजने में लगी रहती है, लेकिन छठ पूजा हमें उनकी आराधना करने का भी संस्कार देती है जिनका डूबना भी पराया निश्चित है।”

स्वच्छता के महत्व की अभिव्यक्ति इस त्योहार में समाई

पीएम मोदी ने कहा, “हमारे जीवन में स्वच्छता के महत्व की अभिव्यक्ति भी इस त्योहार में समाई हुई है। छठ से पहले पूरे घर की सफाई साथ ही नदी तालाब पोखर के किनारे पूजा स्थल यानी घाटों की भी सफाई पुरजोर सब लोग जुड़ कर करते हैं।”

प्रसाद मांग कर खाने की एक विशेष परंपरा

उन्होंने कहा, “सूर्य वंदना या छठ पूजा पर्यावरण संरक्षण रोग निवारण वह अनुशासन का पर्व है सामान्य रूप से लोग कुछ मांग कर लेने को हीन भाव समझते हैं लेकिन छठ पूजा में सुबह के अर्घ्य के बाद प्रसाद मांग कर खाने की एक विशेष परंपरा रही है। प्रसाद मांगने की इस परंपरा के पीछे यह मान्यता भी बताई जाती है कि इससे अहंकार नष्ट होता है। एक ऐसी भावना जो व्यक्ति की प्रगति की भावना में बाधक बन जाती है। भारत की इस महान परंपरा के प्रति हर किसी को गर्व होना स्वाभाविक है।”

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