ASANSOL

Mamata Banerjee ने पुलिस – प्रशासनिक अधिकारियों, मंत्रियों को लगाई फटकार

सरकारी जमीन पर अतिक्रमण, सरकारी कार्यालयों में बिजली के दुरुपयोग पर जताई नाराजगी

बंगाल मिरर, कोलकाता : ( Mamata Banerjee ) सरकारी जमीन की ‘बदहाली’ को लेकर राज्य के नौकरशाहों और पुलिसकर्मियों को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना का सामना करना पड़ा. इसके अलावा मुख्यमंत्री ममता ने बिजली और शहरी विकास विभाग के कामकाज पर भी नाराजगी जताई है. मुख्यमंत्री ने गुरुवार को नबन्ना में मेयरों, सभी विभागों के सचिवों, अतिरिक्त सचिवों, जिलाधिकारियों और पुलिस प्रमुखों की वर्चुअल बैठक बुलाई। नबन्ना सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने भूमि विभाग के अधिकारियों पर अपना गुस्सा जाहिर किया. सवाल उठाया कि सरकारी जमीन कैसे कब्जा हो रहा है? बताया जाता है कि बैठक में यह सवाल भी उठा कि पुलिस इस मामले को क्यों नहीं देख रही है. हालांकि मुख्यमंत्री ने उस बैठक की चर्चा के बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा. बैठक में शामिल हुए लोगों ने भी अपना मुंह नहीं खोला.  गौरतलब है कि भूमि एवं भूमि सुधार विभाग स्वयं मुख्यमंत्री के हाथ में है. कुछ महीने पहले ममता ने कई जिलों की प्रशासनिक बैठकों में भूमि विभाग के कामकाज को लेकर अपना वाराजगी जाहिर किया था.

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प्रशासनिक बैठक के मंच से ममता ने यह भी आरोप लगाया कि इस सब में कुछ निचले स्तर के सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं. मुख्यमंत्री ने ‘कबूतर का घोंसला’तोड़ने का आदेश दिया.नवान्न सूत्रों के अनुसार, हाल ही में जिलेवार रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी गयी है.नबन्ना के एक अधिकारी ने कहा, ”जिले में प्रशासनिक बैठक में मैडम द्वारा दिए गए निर्देशों को लागू नहीं किया गया है. स्थिति नहीं बदली है. इसीलिए वह गुस्से में हैं.”

प्रशासनिक सूत्रों का दावा है कि मुख्यमंत्री ने उस मुद्दे को उठाने के लिए कलकत्ता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल को फटकार भी लगाई.नबन्ना सूत्रों के मुताबिक, गुरुवार की बैठक में मुख्यमंत्री ने फिरहाद हाकीम के हाथों में लोक निर्माण और शहरी विकास मंत्रालय के कामकाज पर भी असंतोष व्यक्त किया. , हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में, शहर में तृणमूल के जन समर्थन में गिरावट देखी गई है। पहली पंक्ति के नेताओं का मानना है कि यह पार्टी के लिए ‘चिंताजनक’है. कोलकाता नगर निगम क्षेत्र में 47 वार्डों में तृणमूल पिछड़ रही है. विधाननगर, आसनसोल, सिलीगुड़ी जैसे ‘निगम’ क्षेत्रों में भी बीजेपी ने दबदबा दिखाया है.

कई लोगों के मुताबिक, लोक निर्माण विभाग के काम से मुख्यमंत्री की ‘असंतोष’ के पीछे लोकसभा में शहरी क्षेत्र के नतीजे हैं. सिर्फ नगरनिगमनहीं. जिले-दर-जिले यहां तक कि शहरी इलाकों में भी तृणमूल पिछड़ती जा रही है। राज्य की कुल 121 नगर पालिकाओं में से 69 पर बीजेपी, दो पर कांग्रेस आगे है.हावड़ा जैसे नगरनिगम इलाके में तृणमूल की जीत हुई, लेकिन नागरिक वहां की सेवाओं को लेकर नाराज हैं.हावड़ा नगर निगम में लगभग पांच वर्षों से मतदान नहीं हुआ। वहां प्रशासन नगर पालिका का काम संभाल रहा है.

नबान्ना सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने सोमवार को सभी नगर पालिकाओं के चेयरमैन के साथ बैठक बुलाई है.चेयरमैनों के साथ ही नगर पालिका के आला अधिकारियों को भी बुलाया गया है। नबन्ना सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री बिजली विभाग के काम से खुश नहीं हैं. अरूप विश्वास उस कार्यालय के मंत्री हैं.नबन्ना के एक अधिकारी के शब्दों में, ”सरकारी दफ्तर खाली होने के बाद भी वहां लाइटें जल रही हैं और पंखे चल रहे हैं. कहीं भी एयर कंडीशनर बंद नहीं किए जाते। इससे जहां बिजली बर्बाद हो रही है, वहीं सरकार को अतिरिक्त पैसा भी खर्च करना पड़ रहा है. जिसे लेकर मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया. हालांकि, गुरुवार की बैठक में ममता का ‘मुख्यनिशाना’ भूमि विभाग का काम था. मुख्यमंत्री ने प्रशासन को सख्त संदेश देते हुए पूछा कि सरकार के निर्देशों का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है, जमीन बंजर हो रही है, लंबे समय से कहने के बावजूद जिलाधिकारी ‘मॉनिटरिंग’ क्यों नहीं कर रहे हैं.

घटनाक्रम यही कहता है कि मुख्यमंत्री लोकसभा चुनाव के बाद प्रशासनिक कामकाज में तेजी लाना चाहते हैं. इससे पहले मुख्यमंत्री ने पूरी कैबिनेट, सभी विभागों के सचिवों, जिला आयुक्तों, पुलिस प्रमुखों के साथ बैठक की. इसके बाद ममता ने निवेश को लेकर व्यापारी समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ भी बैठक की. वहां भी उन्होंने उद्योगपतियों से कहा कि अगर कोई ‘असुविधा’ हो तो सीधे सरकार को बताएं. कई लोगों के मुताबिक चुनाव के दौरान प्रशासनिक काम उस तरह से नहीं हो पाता. मुख्यमंत्री चुनाव के बाद ‘जड़ता’तोड़ना चाहतेी हैं.

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