खदानों को एमडीओ में देने का विरोध, सीटू और प्रबंधन में टकराव
बंगाल मिरर, जामुड़िया : ईसीएल द्वारा एमडीओ से खदानों के संचालन के विरोध में श्रीपुर – सातग्राम एरिया कार्यालय पर सीटी द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया। इस दौरान ईसीएल के सुरक्षा अधिकारियों और आंदोलनरत सीटू समर्थकों के बीच तीखी नोकझोंक हुई। सीटू नेताओं ने प्रबंधन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए हमला बोला।इस दिन सीएमएसआई सीटू अध्यक्ष जीके श्रीवास्तव, सीटू जिला समिति सदस्य सह जेसीसी सदस्य देवीदास बनर्जी, सातग्राम-श्रीपुर क्षेत्र संयोजक हिमाद्री चक्रवर्ती शीतल चक्रवर्ती, किसान खेत मजदूर जिला अध्यक्ष बिरेश मंडल, सीटू नेता तापस कवि मुन्ना अहीर और अन्य उपस्थित थे। इस संबंध में सातग्राम-श्रीपुर क्षेत्र के कार्मिक प्रबंधक संजय भौमिक से संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया
मौके पर सीएमएसआई सीटू के अध्यक्ष जीके श्रीवास्तव ने कहा कि केंद्र में बैठी मोदी सरकार अब कोल इंडिया द्वारा संचालित और बंद हो चुकी पुरानी कोयला खदानों को मुनाफा दिखाने के लिए एमडीओ मोड के तहत कोयला राष्ट्रीयकरण कानून को रद्द करने की योजना बना रही है। वर्तमान में, पूंजीपति निजीकरण का मार्ग प्रशस्त करने की योजना बना रहे हैं, अब सभी खदानों को एमडीओ रेवेन्यू शेयरिंग मोड में खोला जा रहा है। जिससे कोल इंडिया के लोग होंगे लेकिन अधिकार केवल निजी मालिकों को मिलेगा, जिससे भविष्य में कोयला श्रमिकों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा।
केंद्र की मोदी सरकार श्रम कानूनों में बदलाव करके श्रमिकों का शोषण कर रही है ताकि पूंजीपतियों को इसका सीधा लाभ मिल सके। इसलिए मोदी सरकार सभी लाभदायक सार्वजनिक क्षेत्रों का भी निजीकरण कर रही है। वहीं साजिश के तहत ईसीएल की कई कोयला खदानों को बंद कर दिया गया है सभी खदानों को एमडीओ मोड में भी लाया जा रहा है । फिलहाल ईसीएल की कई खदानें एमडीओ को दे दी गई हैं और सतग्राम की भी कुछ खदानें देने की प्रक्रिया चल रही है।
हम इसका विरोध कर रहे हैं और विरोध करते रहेंगे। उन्होंने आगे कहा कि जेसीसी और कल्याण समिति की बैठकें समय पर नहीं होती हैं, डिस्पेंसरियों में दवाएं उपलब्ध नहीं हैं, श्रमिकों के आवास से लेकर तारफेल्टिंग तक कोई काम नहीं हो रहा है. अब तो हद हो गई है, प्रमोशन नहीं है, रेगुलेशन नहीं है, सारी फाइलें पड़ी हुई हैं, इन चीजों के बारे में प्रबंधन को बार-बार सूचित करने के बाद भी कोई काम नहीं हो रहा है, इसलिए आज हम प्रबंधन को इन चीजों के बारे में सचेत करना चाहते हैं. यदि इस संबंध में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो बड़ा आंदोलन होगा।