Reader's Cornerसाहित्य

“कल का दिन कुछ खास था”
 –‘सुमन’



“कल का दिन ऐसा था जो अपनी अलग पहचान छोड़ गया, एक ऐसा दिन जिसने आध्यात्मिकता, उत्सव और सेवा को एक साथ पिरो दिया। सुबह के 6 बजे जैसे ही घड़ी ने घंटा बजाया, सूरज की पहली किरणें पर्दों से छनकर कमरे में आईं। नींद से जागते ही एक अलग ही ऊर्जा महसूस हुई—एक आभास कि आज का दिन कुछ विशेष होगा।


सुबह बड़े ही शांत माहौल में शुरू हुई। खिड़की के पास एक गर्म चाय का कप लेकर बैठा और किताबें पढ़ने लगा। सबसे पहले कुछ हल्की कविताएँ पढ़ीं और फिर खुद लिखने लगा। आज महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का जन्मदिन था, और मुझे लगा कि उनकी स्मृति में हिंदी और अंग्रेजी दोनों में एक कविता लिखनी चाहिए। जैसे-जैसे शब्द कागज़ पर उतरते गए, उनके योगदान के प्रति कृतज्ञता का भाव मन में भर गया।

फिर, माखनलाल चतुर्वेदी की अमर रचना “पुष्प की अभिलाषा” को पढ़ा। उसकी गहराई और भावनात्मक स्पर्श ने मेरी आँखों में आँसू ला दिए। प्रेरित होकर मैंने खुद एक कविता लिखी, जिसका शीर्षक था “जीवन एक पुष्प है”। कविता की शुरुआत थी, “हे! सुमन”। सुमन, जो एक सुंदर फूल का प्रतीक है, जीवन की कोमलता और गहराई को दर्शाता है।
फिर मैं पिछले एक महीने से प्रेमचंद जी पर महाकाव्य लिख रहा हूँ, हिंदी और अंग्रेजी दोनों में। अब तक, मैंने 25,000 शब्दों का श्रद्धांजलि के रूप में लिख चुका हूँ।



दोपहर होते-होते कार्यक्रमों की झड़ी लग गई। सबसे पहले लीला संकीर्तन में पहुँचा, जो दोपहर 12:05 पर शुरू हुआ। वहाँ का माहौल पूरी तरह से भक्तिमय था। मृदंग, हारमोनियम और भजन की धुनों से भरा हुआ वातावरण आत्मा को शांति और ऊर्जा प्रदान कर रहा था। भगवान कृष्ण और राम की लीलाओं का वर्णन सुनकर ऐसा लगा जैसे सारी चिंताएँ खत्म हो गईं और मैं ईश्वर से सीधे जुड़ गया।

इसके बाद श्री श्री अनुकुल ठाकुर सत्संग में गया। यह कार्यक्रम न केवल भक्ति से भरा हुआ था, बल्कि सेवा का अद्भुत उदाहरण भी था। यहाँ 500 जरूरतमंद लोगों के बीच भोजन वितरित किया गया। उनके चेहरों पर मुस्कान देखकर ठाकुर जी की शिक्षा—”मानवता की सेवा ही ईश्वर की सेवा है”—का गहरा अर्थ समझ में आया। स्वयंसेवकों के निस्वार्थ कार्य को देखकर मन में सम्मान का भाव जाग उठा।


दोपहर के बाद सड़कों पर ढोल-नगाड़ों और शंखनाद की गूँज सुनाई देने लगी। जय श्री राम पदयात्रा का समय हो गया था, जो सप्ताह भर चलने वाली राम कथा के समापन का उत्सव था। यह 5 किलोमीटर लंबी यात्रा थी, जिसमें हजारों भक्त “जय श्री राम” के जयघोष के साथ शामिल हुए।



यह दृश्य अविस्मरणीय था—3 किलोमीटर लंबी शोभायात्रा, 11 बैंड, और अनगिनत भगवा ध्वज आकाश में लहराते हुए। भक्तों के उत्साह और श्रद्धा ने वातावरण को और भी पवित्र बना दिया। यात्रा के अंत में, 108 जरूरतमंद जोड़ों का सामूहिक विवाह संपन्न हुआ। यह करुणा का ऐसा दृश्य था जिसने मेरी आँखों को नम कर दिया।


दिन की व्यस्तता के कारण कुछ कार्यक्रम छूट गए। इनमें से एक था श्रृष्टि नगर के ओडिसी क्लब में “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सामान्य उपयोग” पर कार्यक्रम। हालाँकि इसमें न जा पाने का अफसोस हुआ, लेकिन इस बात पर गर्व भी था कि एआई जैसी तकनीकें हमारे जीवन को किस तरह बदल रही हैं।


शाम 6 बजे से मिडटाउन क्लब में आयोजित मिडटाउन उत्सव के उद्घाटन कार्यक्रम में पहुँचा। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हमारे माननीय डीआईसी सर थे, जिनके साथ कई वरिष्ठ अधिकारी, यूनियन प्रतिनिधि, और अन्य गणमान्य उपस्थित थे। यह आयोजन समुदाय की एकता और उत्साह का प्रतीक था, जहाँ सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और प्रेरणादायक भाषणों ने सभी का मन मोह लिया।




मिडटाउन से निकलने के बाद, परिवार के साथ कुछ समय बर्नपुर क्लब में बिताया। वहाँ का माहौल खुशनुमा था और परिवार के साथ बिताए ये पल दिन की भागदौड़ के बीच एक ताजगी का एहसास करवा गए।


दिन का समापन संत्रम (Santrum) मॉल में हुआ। पूरा मॉल क्रिसमस की सजावट से सजा हुआ था, और वहाँ का विशाल क्रिसमस ट्री आनंद और उम्मीद का प्रतीक लग रहा था। वहाँ मैंने ओडिसी क्लब का वार्षिक कार्यक्रम भी कुछ देर के लिए अटेंड किया और फिर श्रृष्टि नगर क्रिसमस उत्सव का आनंद लिया।

फिर पुष्पा भाऊ से मिला, जो “पुष्पा: द रूल” (पुष्पा #2) मूवी के एक hero हैं, और उनके पोस्टर्स के साथ एक-दो फोटो खिंचवाई। मुझे और मेरे बेटे युवराज को मूवी देखने का मन था, लेकिन मेरे परिवार के आधे सदस्य, बॉबी और श्रेया, को कोई रुचि नहीं थी।, इसलिए इसे रद्द करना पड़ा।


रात के 9:50 बजे, जब मैं घर लौटा, तो शारीरिक रूप से थका हुआ था लेकिन मानसिक और आत्मिक रूप से तरोताजा। यह दिन सेवा, भक्ति, और उत्सव का अद्भुत मिश्रण था। भगवान कृष्ण और राम के नामों की गूँज से लेकर क्रिसमस की उमंग तक, यह दिन विविध परंपराओं और विश्वासों का संगम था।



अपने दिन की घटनाओं को डायरी में दर्ज करते हुए, मैंने उन सभी खास पलों को याद किया जिन्होंने इस दिन को यादगार बना दिया। यह दिन जीवन के विभिन्न रंगों—भक्ति, प्रेम, करुणा, उत्सव, और ईश्वर की कृपा—का प्रतीक था।

जैसे ही डायरी बंद की, मैंने मन ही मन एक प्रार्थना की:
“जय श्री कृष्ण, जय श्री राम, और मेरी क्रिसमस।”
सचमुच, कल का दिन वाकई बहुत खास था।”



कहानीकार: सुशील कुमार सुमन
अध्यक्ष, आईओए
सेल आईएसपी, बर्नपुर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *