AI से कोचिंग में बच्चों की पढ़ाई होगी बेहतर, जॉर्ज अकादमी ने किया समझौता
बंगाल मिरर, आसनसोल : जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते जा रहे हैं वैसे ही टेक्नोलॉजी पर हमारी निर्भरता भी बढ़ती जा रही है आजकल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में काफी चर्चा हो रही है और कहा जा रहा है कि आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ( Artificial Intelligence ) के जरिए ही हमारे आसपास काफी काम होगा आने वाली पीढ़ी को इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ( Artificial Intelligence ) के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से आसनसोल के प्रमुख कोचिंग सेंटर जॉर्ज एकेडमी ( Asansol George Academy ) की तरफ से एक पहल की गई है और उन्होंने अब बच्चों के शिक्षण में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करने का फैसला लिया है इसके लिए उन्होंने कोलकाता की कंपनी ऐसेसली के साथ समझौता किया है आज आसनसोल के चेलीडंगाल इलाके में स्थित जॉर्ज एकेडमी के भवन में एक प्रेस मीट का आयोजन किया गया यहां पर जॉर्ज एकेडमी के संस्थापक जॉर्ज ओस्ता और ऐसेसली ( Assessli ) के अधिकारी उपस्थित थे यहां पर यह बताया गया कि किस तरह से आने वाले समय में बच्चों के प्रशिक्षण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाएगा और यह क्यों जरूरी




है इस बारे में जार्ज ओस्ता ने बताया की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए बच्चों को पढ़ने में काफी सुविधा होगी उन्होंने कहा कि अगर किसी एक क्लास में 40 बच्चे हैं तो वह 40 बच्चे अलग-अलग तरह के हैं उनको एक ही तरीके से अगर पढ़ाया जाएगा तो हर एक का शैक्षणिक विकास एक जैसा नहीं होगा यहीं पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस काम आता है उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए बच्चों के मजबूत और कमजोर दोनों पक्षों को चिन्हित किया जाएगा और हर एक बच्चे पर यह रिपोर्ट तैयार की जाएगी और किस तरह से हर एक बच्चे को पढ़ाई में और आगे बढ़ाया जा सके इसे लेकर योजना बनाई जाएगी और उस पर अमल करते हुए बच्चों के शैक्षणिक विकास को सुनिश्चित किया जाएगा यहां पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए बच्चों को व्यक्तिगत स्तर पर जाकर उनके शैक्षणिक विकास को सुनिश्चित करने की कोशिश की जाएगी
वहीं इस बारे में जब हमने ऐसेसली के संस्थापक सूरज विश्वास से बात की तो उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए बच्चे खुद यह समझ पाएंगे कि अगर वह किसी विषय में कमजोर हैं तो उसके पीछे वजह क्या है कमजोर होने के पीछे की जो वजह है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए वह उसे चिन्हित कर पाएंगे और उस पर काम करके उस विषय में भी वह पारंगत हो सकेंगे यहां पर शिक्षकों को भी काफी मदद मिलेगी वह हर एक बच्चे के मजबूत और कमजोर पक्ष को समझ पाएंगे और उस हिसाब से बच्चों को पढ़ाया जाएगा वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करते हुए बच्चों के लिए प्रश्न भी तैयार कर सकेंगे जिससे कि हर एक बच्चे का व्यक्तिगत तौर पर विकास हो सकता है और यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए काफी आसानी से हो सकता है
उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे तरीके अपनाए जा रहे हैं कि यह ऑनलाइन नहीं ऑफलाइन के जरिए भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग किया जा सके जिससे कि इसका फायदा उन इलाकों के बच्चों को भी हो जहां पर उच्च तकनीक संपन्न गैजेट्स उतनी आसानी से उपलब्ध नहीं है। वही जब हमने इस बारे में ऐसेसली के सह संस्थापक सौरभ गुप्ता से बात की तो उन्होंने कहा कि इससे पहले उनकी कंपनी की तरफ से 21 सरकारी स्कूलों में इसके जरिए बच्चों की समीक्षा की गई है और और अब तक तकरीबन डेढ़ लाख बच्चों की समीक्षा की जा चुकी है उन्होंने कहा कि अक्सर बच्चे यह समझ ही नहीं पाते कि वह क्यों किसी विषय में पारंगत नहीं है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस न सिर्फ बच्चों को बल्कि शिक्षकों को भी यह समझने में सहायता करेगा की कोई बच्चा किसी विषय में कमजोर क्यों है इस तरह से समस्या की जड़ तक पहुंचने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मदद करेगा