CPM को यह क्या हुआ ? क्या छोड़ दिया लाल ?
बंगाल मिरर, विशेष संवाददाता: CPM को यह क्या हुआ ? क्या छोड़ दिया लाल ?। वामपंथियों के लिए लाल रंग को महत्वपूर्ण माना जाता है, लाल रंग संघर्ष और लड़ाई का प्रतीक माना जाता रहा है। लेकिन आज अचानक देखा गया कि सीपीएम के आधिकारिक फेसबुक पेज पर उनके लोगों से लाल रंग हट गया और एक नीले रंग का लोगो लग गया है जिसमें उनका प्रतीक हसवा थोड़ी गोल्डन रंग का बना हुआ है इसके साथ ही सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारे में बहस छिड़ गई है।




आज सुबह एक हैरान करने वाला बदलाव देखने को मिला जब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी सीपीएम के आधिकारिक फेसबुक पेज पर उनके पारंपरिक लाल रंग के लोगो को हटाकर एक नीले रंग का नया लोगो लगाया गया। इस नए लोगो में पार्टी का प्रतीक चिह्न हथौड़ा और हंसिया (हैमर एंड सिकल) को हल्के सुनहरे (गोल्डन) रंग में प्रदर्शित किया गया है। इस अप्रत्याशित बदलाव ने सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक हलचल मचा दी है और तरह-तरह की अटकलों को जन्म दिया है।
सीपीएम, जो लंबे समय से अपने लाल रंग और हथौड़ा-हंसिया के प्रतीक के साथ मजदूर वर्ग और किसानों की आवाज बनकर उभरी है, के इस कदम ने पार्टी समर्थकों और विरोधियों दोनों को चौंका दिया है। सोशल मीडिया पर जहां कुछ लोगों ने इसे पार्टी के आधुनिकीकरण का कदम बताया, वहीं कई लोगों ने इसे पार्टी की मूल विचारधारा से समझौता करने का आरोप लगाया। एक यूजर ने लिखा, “लाल रंग तो हमारी क्रांति का प्रतीक था, इसे नीले रंग से बदलना क्या संदेश देता है?” वहीं, एक अन्य ने तंज कसते हुए कहा, “क्या अब सीपीएम कॉर्पोरेट स्टाइल में काम करेगी?”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बदलाव पार्टी की रणनीति में बड़े बदलाव का संकेत हो सकता है। पश्चिम बंगाल में लगातार कमजोर होती सियासी जमीन को देखते हुए कुछ का कहना है कि सीपीएम युवा पीढ़ी को आकर्षित करने और अपनी छवि को नया रूप देने की कोशिश कर रही है। हालांकि, अभी तक पार्टी की ओर से इस बदलाव पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, जिससे रहस्य और गहरा गया है।
विपक्षी दलों ने भी इस मौके को हाथ से नहीं जाने दिया। तृणमूल कांग्रेस के एक नेता ने चुटकी लेते हुए कहा, “लाल रंग छोड़कर नीला अपनाने से विचारधारा नहीं बदल जाएगी।” वहीं, बीजेपी ने इसे “सीपीएम की पहचान खोने की शुरुआत” करार दिया। दूसरी ओर, पार्टी के कुछ समर्थकों ने इसे सकारात्मक कदम बताते हुए कहा कि बदलते वक्त के साथ कदम मिलाना जरूरी है।
सोशल मीडिया पर बहस के साथ-साथ यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या यह बदलाव सिर्फ डिजिटल प्लेटफॉर्म तक सीमित रहेगा या आने वाले दिनों में पार्टी के झंडे और अन्य प्रतीकों में भी इसे लागू किया जाएगा। फिलहाल, सभी की नजरें सीपीएम के अगले कदम पर टिकी हैं, क्योंकि यह बदलाव न केवल एक रंग परिवर्तन है, बल्कि एक ऐसी पार्टी की दिशा और दशा का सवाल भी बन गया है जो दशकों से भारतीय राजनीति में अपनी खास पहचान रखती आई है।
जैसे-जैसे यह चर्चा जोर पकड़ रही है, राजनीतिक हलकों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह नया नीला और गोल्डन लोगो सीपीएम को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा या फिर यह एक विवादास्पद प्रयोग बनकर रह जाएगा।
(Disclaimer: “This content was created with the assistance of artificial intelligence.)