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Cyber Crime से कैसे बचें, विद्यार्थियों को किया जागरूक

बंगाल मिरर, जामुड़िया  : साइबर अपराध से बचाव के लिए आसनसोल दुर्गापुर पुलिस कमिश्नरेट के साइबर क्राइम विभाग द्वारा
जामुड़िया के चुरुलिया स्थित काजी नज़रुल इस्लाम महाविद्यालय में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।  कॉलेज के विद्यार्थियों को साइबर अपराध के विषय में जागरूक किया गया। इस मौके पर यहां साइबर क्राइम विभाग की सब इंस्पेक्टर स्वर्णाली पाल, एएसआई शहनाज खातून काजी नज़रुल इस्लाम महाविद्यालय के प्रिंसिपल डॉक्टर मोतीलाल सेन,  संयोजक समाप्ति चटर्जी संचिता नाग मानसी हाजरा आदि उपस्थित थे। 

शहनाज खातून ने कहा कि महाविद्यालय की विद्यार्थियों और शिक्षकों को साइबर अपराध के बारे में जागरूक किया गया।  विद्यार्थी बहुत आसानी से साइबर अपराध के शिकार हो सकते हैं इसलिए यह बहुत जरूरी है कि इन्हें और खासकर उनके शिक्षक को साइबर अपराध के बारे में जानकारी दी जाए।  शिक्षकों से मिलने वाली जानकारी को विद्यार्थी हमेशा बहुत संजीदगी के साथ ग्रहण करते हैं । प्रिंसिपल डॉक्टर मोतीलाल सेन  ने कहा कि आज पुलिस अधिकारियों द्वारा कॉलेज के विद्यार्थियों शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों को साइबर अपराध के बारे में जानकारी प्रदान की गई और किस तरह से वह इससे बच सकते हैं इसके बारे में भी जागरूक किया गया

साइबर क्राइम से बचने के लिए आज के डिजिटल युग में सतर्कता और जागरूकता बेहद जरूरी है। हाल के समाचारों के अनुसार, भारत में साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं, और लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। यहाँ कुछ प्रमुख तरीके दिए जा रहे हैं, जो समाचारों और विशेषज्ञों की सलाह पर आधारित हैं, जिनसे आप साइबर क्राइम से बच सकते हैं:

अनजान लिंक और कॉल से सावधान रहें: समाचारों में बताया गया है कि साइबर ठग फर्जी लिंक, मैसेज या वीडियो कॉल के जरिए लोगों को फंसाते हैं। किसी अनजान नंबर से आने वाली कॉल या मैसेज पर भरोसा न करें। उदाहरण के लिए, हाल ही में ‘डिजिटल अरेस्ट‘ जैसे नए तरीके सामने आए हैं, जहाँ अपराधी फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर धमकाते हैं। ऐसे में कोई भी व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें।

ओटीपी और बैंक डिटेल्स शेयर न करें: समाचारों के अनुसार, ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) मांगने वाले फर्जी कॉल्स से लोग लाखों रुपये गंवा चुके हैं। किसी भी स्थिति में अपना ओटीपी, बैंक खाता नंबर, या कार्ड की जानकारी अनजान लोगों के साथ साझा न करें।

मजबूत पासवर्ड का इस्तेमाल करें: विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि अपने सोशल मीडिया, ईमेल और बैंक खातों के लिए मजबूत और अलग-अलग पासवर्ड रखें। पासवर्ड को समय-समय पर बदलते रहें ताकि हैकिंग का खतरा कम हो। संदिग्ध ऐप्स डाउनलोड न करें: हाल के समाचारों में जियो जैसी कंपनियों के नाम पर फर्जी ऐप्स (Apk फाइल्स) डाउनलोड करने की चेतावनी दी गई है। केवल आधिकारिक ऐप स्टोर से ही एप्लिकेशन डाउनलोड करें।

सोशल मीडिया पर गोपनीयता बनाए रखें: अपनी निजी जानकारी जैसे फोन नंबर, पता या तस्वीरें सार्वजनिक रूप से शेयर न करें। ठग अक्सर सोशल मीडिया से डेटा चुराकर हनी ट्रैप जैसे अपराध करते हैं।जागरूकता और शिकायत: अगर आपके साथ कोई साइबर ठगी होती है, तो तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन या राष्ट्रीय साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज करें। समाचारों में बताया गया है कि ठगी के 24 घंटे के भीतर शिकायत करने से पैसे वापस मिलने की संभावना रहती है।

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