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SAIL ISP COOLING TOWERS चंद सेकंड में इतिहास के पन्नों में दर्ज

बंगाल मिरर, एस सिंह, बर्नपुर: सेल आईएसपी में स्थित 5 गगन चुम्बी ऐतिहासिक हाइपरबोलिक कूलिंग टावर दोपहर 12 : 15बजे किए ध्वस्त।
4.2 मिलियन टन अत्याधुनिक स्टील प्लांट प्रोजेक्ट के लिए किया गए ध्वस्त।
इसी स्थान पर होना है आईएसपी का आधुनिकरण
सुरक्षा प्रणाली के तौर पे पूरे शहर की बिजली रही गुल। सभी को सुरक्षित रहने के लिए शहर में किया गया था आगाह। देखते देखते चंद सेकंड में यह कूलिंग टावर इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गए।

ISP Cooling towers में सुनियोजित विस्फोट: सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद, प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूर्ण

आज सुबह ISP क्षेत्र में एक सुनियोजित विध्वंस (Demolition) of cooling towers कार्यक्रम सफलता के साथ संपन्न हुआ। यह कार्य अत्यंत सटीकता और सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत किया गया। सभी चरणों में अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों की तत्परता और समन्वय की सराहना की जा रही है।

कार्यक्रम की प्रमुख गतिविधियाँ निम्नलिखित समयानुसार संपन्न की गईं:


10:30 बजे: प्रतिबंधित क्षेत्र (Exclusion Zone) का विज़ुअल निरीक्षण और सुरक्षा गार्डों की तैनाती की गई।

11:15 बजे: प्रतिबंधित क्षेत्र की ओर जाने वाले सभी रास्तों पर रोड बैरिकेड्स लगाए गए।

11:30 बजे: सेल प्रतिनिधियों को सुरक्षित रूप से व्यूइंग गैलरी में स्थानांतरित किया गया।

11:45 बजे: चार्ज क्रू को क्षेत्र से सुरक्षित निकाला गया।

11:45 बजे: विस्फोट से पहले 30 मिनट की चेतावनी के रूप में 5 सेकंड के अंतराल पर मैरून सायरन बजाया गया।

12:00 बजे: समन्वयक (Coordinator) ने चार्ज क्रू की उपस्थिति की पुष्टि की और परिधि पर तैनात गार्डों से क्षेत्र खाली होने की सूचना प्राप्त की।

12:05 बजे: रिकॉर्डिंग कैमरे चालू किए गए।

12:10 बजे: समन्वयक ने अंतिम पुष्टि हेतु गार्डों से संपर्क किया और क्षेत्र की निगरानी हेतु अपनी स्थिति में डटे रहे।

12:12 बजे: समन्वयक ने चेतावनी सायरन सक्रिय किया।

12:15 बजे: समन्वयक ने वायरलेस रेडियो के माध्यम से 10 से 6 तक की गिनती की और फिर चुपचाप 5 से 0 तक की गिनती की।

12:20 बजे: ब्लास्टर ने विस्फोट क्षेत्र का निरीक्षण कर यह सुनिश्चित किया कि क्षेत्र पूरी तरह सुरक्षित है।

13:00 बजे: ‘ऑल क्लियर’ सायरन के रूप में 5 सेकंड के अंतराल पर तीन संकेत बजाए गए। क्षेत्र में अभी भी किसी भी अनधिकृत व्यक्ति का प्रवेश वर्जित है।



सेल ISP अधिकारियों द्वारा जारी बयान में कहा गया कि यह विस्फोट कार्य पूरी तरह से नियोजित था और किसी प्रकार की क्षति या दुर्घटना की कोई सूचना नहीं है।

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सुशील कुमार सुमन
अध्यक्ष, आईओए


Iisco इतिहास के पन्नों से इन हाइपरबोलिक कूलिंग टावर की कुछ बातें

उस समय भारत पराधीन था। अंग्रेज़ो से आज़ाद देश के लिए क्रांति की आग जल रही है। लेकिन इसी बीच कुछ उच्च शिक्षित बंगाली युवा पूरी तरह से विज्ञान की खोज में डूब गये। ऐसे ही एक व्यक्ति थे श्री बीरेन मुखोपाध्याय। इंग्लैंड में पढ़ाई के दौरान वह स्टील फैक्ट्री बनाने की योजना के साथ देश वापस आये। तदनुसार, दामोदर की अनुमानित रूपरेखा तैयार की गई। श्रीमान की देख-रेख में फैक्ट्री के निर्माण का कार्य प्रारम्भ हुआ। 1911-1917 के आसपास, इस अवधि के दौरान पांच हाइपरबोलिक कूलिंग टॉवर बनाए गए थे। इसका मुख्य कार्य इस्पात उद्योग में उपयोग किये जाने वाले गर्म पानी को ठंडा करना था।

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