Asansol में शिक्षकों का हंगामा : डीआई कार्यालय पर जड़ा ताला
बंगाल मिरर, आसनसोल : आसनसोल, पश्चिम बंगाल | 09 अप्रैल 2025 सुप्रीम कोर्ट द्वारा पश्चिम बंगाल में 26,000 शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द करने के फैसले के बाद राज्य में हड़कंप मच गया है। इस फैसले के विरोध में बुधवार को आसनसोल में सैकड़ों प्रभावित शिक्षकों ने डिस्ट्रिक्ट इंस्पेक्टर (DI) कार्यालय का घेराव कर जोरदार प्रदर्शन किया। नौकरी से निकाले गए शिक्षकों का गुस्सा सड़कों पर फूट पड़ा और उन्होंने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। आक्रोशित शिक्षकों ने डीआई ो चैंबर पर ताला जड़ दिया।




सड़कों पर शिक्षकों का मार्च
प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने शनि मंदिर से शुरू होकर गोराई रोड होते हुए सुकांतो मैदान तक मार्च निकाला। इस दौरान “सरकार जवाब दो!”, “न्याय चाहिए, नौकरी चाहिए!” जैसे नारे गूंजते रहे। कई शिक्षक भावुक हो गए, उनकी आंखों में आंसू छलक आए, जबकि कुछ तनाव और गर्मी के कारण बेहोश हो गए। बेहोश हुए शिक्षकों को तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला: भ्रष्टाचार और अनियमितता का आरोप
सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में कथित भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को आधार बनाते हुए यह कड़ा फैसला सुनाया। अदालत का कहना है कि नियुक्ति प्रक्रिया में मेरिट और पारदर्शिता का पालन नहीं किया गया, जिसके चलते 26,000 शिक्षकों की नौकरी रद्द कर दी गई। इस फैसले ने न केवल शिक्षकों के भविष्य को संकट में डाल दिया है, बल्कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
शिक्षकों की मांगें
प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने अपनी मांगों को स्पष्ट करते हुए कहा:
नौकरी से निकाले गए सभी शिक्षकों की तुरंत बहाली की जाए।
कोर्ट और सरकार इस मामले का कोई ठोस समाधान निकाले।
भ्रष्टाचार के दोषियों पर कार्रवाई हो, न कि शिक्षकों को सजा दी जाए।
राजनीतिक घमासान तेज
इस मुद्दे ने राज्य में राजनीतिक तकरार को और गहरा कर दिया है। भाजपा, कांग्रेस और वाम दलों ने ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस सरकार को निशाने पर लिया है और इसे सरकार की नाकामी करार दिया है। वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया है। शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने कहा, “हम शिक्षकों के हित में समाधान तलाश रहे हैं और इस दिशा में हर संभव प्रयास करेंगे।”
प्रशासन सतर्क, सुरक्षा के कड़े इंतजाम
प्रदर्शन को देखते हुए प्रशासन ने कोई जोखिम नहीं उठाया। डीआई कार्यालय के बाहर रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) और पुलिस बल की भारी तैनाती की गई। भीड़ को नियंत्रित करने और स्थिति पर नजर रखने के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया गया।
आगे क्या?
यह प्रदर्शन न केवल आसनसोल तक सीमित है, बल्कि पूरे राज्य में शिक्षकों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। सवाल यह है कि क्या सरकार और कोर्ट इस संकट का कोई हल निकाल पाएंगे, या फिर यह मुद्दा और उलझता जाएगा। फिलहाल, शिक्षकों की नजर सरकार के अगले कदम पर टिकी है, जो उनके भविष्य का फैसला करेगा।