SAIL ISP UNION ELECTION पर हाईकोर्ट का स्टे, 18 जून को अगली तारीख
बंगाल मिरर, एस सिंह: SAIL ISP BURNPUR में पहली बार यूनियन मान्यता के लिए होने वाला चुनाव फिलहाल टल गया है। कलकता हाईकोर्ट ने असनसोल-बर्नपुर-कुल्टी मेटल एंड इंजीनियरिंग वर्कर्स यूनियन ऑफ इंडिया की ओर से दायर याचिका (WPA 10299 ऑफ 2025) पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। यूनियन ने आईएसपी बर्नपुर में गुप्त मतदान चुनाव कराने के निर्देश पर पुनर्विचार की मांग को लेकर यह याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं में श्री सौम्या मजूमदार, श्री संजुक्ता दत्ता, श्री किनोर घोष शामिल हैं।




हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ताओं ने WPA 27274 ऑफ 2024 में 25 फरवरी 2025 को पारित आदेश की समीक्षा के लिए यह याचिका दायर की थी। इसके साथ ही, उन्होंने 22 अप्रैल 2025 की नोटिस, 28 अप्रैल 2025 की बैठक के मिनट्स, 28 अप्रैल 2025 की चुनाव अनुसूची और आईएसपी बर्नपुर में गुप्त मतदान से संबंधित सभी प्रक्रियाओं को रद्द करने, वापस लेने और निरस्त करने की मांग की थी।
कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ताओं का मामला प्रथम दृष्टया विचार करने योग्य है और उन्होंने समीक्षा व आगे की राहत के लिए एक ठोस आधार प्रस्तुत किया है। जस्टिस शम्पा दत्त (पॉल) ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई 18 जून 2025 को होगी। तब तक WPA 27274 ऑफ 2024 में 25 फरवरी 2025 को पारित आदेश, 22 अप्रैल 2025 की नोटिस, 28 अप्रैल 2025 की बैठक के मिनट्स, 28 अप्रैल 2025 की चुनाव अनुसूची और आईएसपी बर्नपुर में गुप्त मतदान से संबंधित सभी प्रक्रियाएं 30 जून 2025 तक या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, स्थगित रहेंगी।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं की मांग है कि चुनाव राज्य और केंद्र सरकार की निगरानी में आयोजित किया जाए, जैसा कि WPA 27274 ऑफ 2024 में प्रार्थना की गई थी। इसके अलावा, कोर्ट ने पक्षकारों को अगली सुनवाई में अपने लिखित नोट्स जमा करने की छूट दी है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकीलों ने ट्रेड यूनियन्स एक्ट, 1926 के प्रावधानों का हवाला देते हुए तर्क दिया कि कंपनी की पश्चिम बंगाल के बाहर कोई शाखा नहीं है, और इसलिए चुनाव कराने का अधिकार राज्य सरकार के पास है।यह मामला पश्चिम बंगाल में ट्रेड यूनियन गतिविधियों और चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता से जुड़ा हुआ है, और इस पर कोर्ट का अंतिम फैसला यूनियनों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम कर सकता है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय मजदूर संघ द्वारा चुनाव कराने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी जिसके आधार पर ही चुनाव का निर्देश हाईकोर्ट ने दिया था। इसके बाद सीटू ने चुनाव कराने के आदेश के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए याचिका दायर की। इस घटनाक्रम के बाद बीएमएस अन्य यूनियन पर हमलावर हो गई है।