प्रादेशिक भाषाओं को लेकर “घिनौना खेल”, हिन्दी को राष्ट्रभाषा घोषित करे केन्द्र : झा
बंगाल मिरर, आसनसोल: आसनसोल चेंबर आफ कामर्स के सचिव शंभूनाथ झा ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर देश के सबसे ज्वलंत मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने हिन्दी को राष्ट्रभाषा घोषित करने की मांग को जोरदार तरीके से उठाया है, जिसे वे राजनीतिक, धार्मिक और जातिगत विवादों से भी अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं।शंभूनाथ झा ने अपने पत्र में कहा कि भारत में प्रादेशिक भाषाओं को लेकर चल रहा “घिनौना खेल” देश को गृहयुद्ध की ओर ले जा सकता है। उन्होंने कर्नाटक, महाराष्ट्र और बंगाल में हिन्दी भाषी लोगों के साथ हो रहे अभद्र व्यवहार की कड़ी निंदा की। झा ने चेतावनी दी कि यदि इस तरह की दुर्भावना जारी रही, तो सीमाओं पर तैनात मद्रास, मराठा और बिहार रेजिमेंट एकजुट होकर देश की रक्षा नहीं कर पाएंगी, जो भविष्य में भारत के लिए घातक साबित हो सकता है।




उन्होंने केंद्र सरकार की “एक राष्ट्र, एक चुनाव” की नीति का जिक्र करते हुए तंज कसा कि “कभी किसी ने एक राष्ट्र, एक भाषा की बात नहीं की।” झा ने कहा कि जब हर क्षेत्र में नए कानून बनाए जा सकते हैं, तो हिन्दी को राष्ट्रभाषा क्यों नहीं बनाया जा सकता? उन्होंने भारत की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद अपनी कोई आधिकारिक भाषा न होने को शर्मनाक बताया।
झा ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि आगामी संसदीय सत्र में हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने पर चर्चा शुरू की जाए और इसे जल्द से जल्द लागू किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि हिन्दी भाषियों के साथ दुर्व्यवहार की जिम्मेदारी अब केंद्र सरकार की होगी। साथ ही, उन्होंने घोषणा की कि आगामी सभी चुनावों में हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाना मुख्य मुद्दा होगा।