“अल्फ्रेड पार्क की अंतिम पुकार – आज़ाद अमर रहें “
*”अल्फ्रेड पार्क की अंतिम पुकार – आज़ाद अमर रहें”*(चंद्रशेखर आज़ाद जी की जयंती पर समर्पित)”अल्फ्रेड पार्क में गूंजा था स्वर,“हम आज़ाद थे, हैं और रहेंगे अमर,”हाथों में पिस्तौल, पर दिल में आग,जिसने हर ज़ंजीर को समझा अपमान का दाग।दुश्मन की गोलियों से न डरने वाला,मौत को भी आंखें दिखाने वाला,जिसने आज़ादी को पूजा बना लिया,हर साँस को भारत माँ पे वार दिया।वो एक दिन आख़िरी था पराक्रम का,पार्क नहीं था, रणभूमि था त्याग का,चारों ओर से घिरे फिरंगी सिपाही,पर झुके नहीं, न मन में आई कभी आह भी।




अपनी ही पिस्तौल से कर लिया संवाद,”ग़ुलामी की साँस से तो बेहतर है प्राणों का व्योमप्रवात,”एक गोली चली, और इतिहास बन गया,आज़ाद का नाम हर दिल में बस गया।भारत माँ का सच्चा सपूत वो वीर,जिसकी मिसाल बने पीढ़ियाँ, बने तक़दीर,जिसने जीवन को बलिदान बना दिया,स्वतंत्रता को ही अपनी जान बना दिया।आज उनकी जयंती पर, हम शीश झुकाएं,उनकी रूह को काव्यांजलि दे, उन्हें नमन कर जाएं।शत-शत नमन हे क्रांति के पुजारी,तुम अमर रहो भारत की आत्मा में सारी।”#चंद्रशेखर_आज़ाद
कवि:🇮🇳🙏*”सुशील कुमार सुमन”*अध्यक्ष, IOASAIL ISP Burnpur