ASANSOL

Indian Bank ने SARFAESI Act के तहत की कार्रवाई, लोन न चुकाने पर फ्लैट पर लिया कब्जा

बंगाल मिरर, आसनसोल :  इंडियन बैंक की आसनसोल बाजार शाखा ने सोमवार को लोवर कुमारपुर स्थित ओंकार वैली अपार्टमेंट के फ्लैट संख्या 3A को अपने कब्जे में ले लिया। यह कार्रवाई फ्लैट मालिक आशीष बनर्जी और उनकी पत्नी तारुलता बनर्जी द्वारा वर्ष 2023 में लिए गए ₹12 लाख के फ्लैट ऋण का भुगतान न करने के बाद की गई है।बैंक अधिकारियों के अनुसार, आशीष बनर्जी और तारुलता बनर्जी का ऋण खाता 2024 में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) घोषित कर दिया गया था। इसके बाद बैंक ने सरफेसी (SARFAESI) अधिनियम के तहत फ्लैट पर कार्रवाई की।

आसनसोल के सीजीएम ने इस मामले में अधिवक्ता सुदीप्त घटक को नियुक्त किया था, जिन्होंने सोमवार को उक्त फ्लैट का कब्जा लेकर इंडियन बैंक के चीफ मैनेजर प्रशांत त्रिपाठी को सौंप दिया। इस पूरे प्रकरण में रिकवरी एजेंट राजीव बनर्जी की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिनके साथ अधिवक्ता संग्राम सिंह भी उपस्थित थे। इसके अतिरिक्त, दिनेश सेन, श्रेया राहा, शुभंकर लाहिरी और बिप्लब भट्टाचार्य ने भी इस प्रक्रिया में सहयोग किया। इस संबंध में पीड़ितों का पक्ष नहीं मिला है।

सरफेसी अधिनियम (SARFAESI Act) का पूरा नाम है “वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002” (Securitisation and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security Interest Act, 2002)।

यह भारत में एक महत्वपूर्ण कानून है जिसका मुख्य उद्देश्य बैंकों और वित्तीय संस्थानों को अदालतों में जाए बिना, बकाया ऋणों की वसूली में तेजी लाना और वित्तीय प्रणाली में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (Non-Performing Assets – NPAs) को कम करना है।

SARFAESI अधिनियम के मुख्य बिंदु:

 * ऋण वसूली को तेज करना: यह बैंकों और वित्तीय संस्थानों को सुरक्षित संपत्तियों (जैसे घर, जमीन, मशीनरी) पर कब्जा करने और उन्हें बेचकर बकाया ऋण वसूलने का अधिकार देता है, जिससे कानूनी प्रक्रियाओं में लगने वाला समय और लागत कम हो जाती है।

 * न्यायालय के हस्तक्षेप के बिना: इस अधिनियम के तहत, बैंक न्यायालय या ट्रिब्यूनल के सीधे हस्तक्षेप के बिना कार्रवाई कर सकते हैं। हालांकि, जिला मजिस्ट्रेट (DM) का सहयोग लिया जा सकता है।

 * गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (NPA) कम करना: जब कोई ऋण खाता NPA हो जाता है (यानी, लगातार 90 दिनों तक ऋण या ब्याज का भुगतान नहीं होता है), तो बैंक इस अधिनियम का उपयोग करके वसूली की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।

 * प्रक्रिया:

   * नोटिस जारी करना: सबसे पहले, बैंक डिफॉल्ट करने वाले उधारकर्ता को 60 दिनों का नोटिस जारी करता है, जिसमें बकाया राशि का भुगतान करने के लिए कहा जाता है।

   * संपत्ति पर कब्जा: यदि उधारकर्ता नोटिस अवधि के भीतर भुगतान नहीं करता है, तो बैंक सुरक्षित संपत्ति पर प्रतीकात्मक (symbolic) या वास्तविक (physical) कब्जा ले सकता है।

   * संपत्ति की बिक्री: बैंक तब ऋण की वसूली के लिए संपत्ति की नीलामी कर सकता है या उसे बेच सकता है।

 * किसे कवर करता है: यह अधिनियम अचल संपत्ति, चल संपत्ति और वित्तीय परिसंपत्तियों सहित विभिन्न प्रकार की प्रतिभूतियों को कवर करता है।

 * उधारकर्ता के अधिकार: इस अधिनियम में उधारकर्ताओं के कुछ अधिकार भी होते हैं, जैसे बैंक से उचित मुआवजा मांगने का अधिकार यदि SARFAESI अधिनियम के तहत गलत कार्रवाई के कारण कोई नुकसान होता है।

संक्षेप में, SARFAESI अधिनियम बैंकों को सशक्त बनाता है ताकि वे उन ऋणों की वसूली तेजी से कर सकें जो सुरक्षित संपत्ति के बदले दिए गए हैं और जिनका भुगतान नहीं किया गया है। यह भारतीय बैंकिंग प्रणाली में ऋण वसूली को अधिक कुशल और प्रभावी बनाने में मदद करता है।

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