SAIL BONUS 2025 : NJCS बैठक बेनतीजा, कर्मियो में आक्रोश
31000 पर भी नहीं माना प्रबंधन, यूनियन के खिलाफ कर्मियों में भारी रोष
बंगाल मिरर, एस सिंह : स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड में कार्यरत करीब 50000 कार्मिकों के वार्षिक बोनस को लेकर एनजेसीएस की बैठक में सहमति नहीं बन पाई। सुबह से लेकर देर रात तक चली बैठक बेनतीजा समाप्त हुई। इस बैठक मैं बोनस को लेकर यूनियन ही बंटी हुई रही। प्रबंधन 29500 के राशि पर अड़ा रहा वहीं यूनियन ने 40500 से घटते – घटते 31000 पर आ गए। लेकिन फिर भी प्रबंधन राजी नहीं हुआ। इसके बाद सोशल मीडिया पर कार्मिक प्रबंधन और यूनियन नेताओं पर जमकर भड़ास निकाल रहे हैं। अब इस स्थिति में लग रहा है कि प्रबंधन पहले की तरह ही कार्मिकों के खाते में राशि स्वत: ट्रांसफर कर देगा.




सीटू की ओर से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा गया कि स्पात उद्योग में ASPILS (बोनस) उपसमिति की बैठक का परिणाम – 20-9-202520 सितंबर 2025 को आयोजित इस्पात उद्योग की ASPILS (बोनस) उपसमिति की बैठक में CITU/SWFI के प्रतिनिधि ललित मोहन मिश्रा और विश्वरूप बंद्योपाध्याय ने भाग लिया। बैठक में श्रमिक प्रतिनिधियों ने CITU और AITUC जैसे संगठनों के साथ मिलकर ASPILS/बोनस फॉर्मूले पर आपत्ति जताई, जो पिछले वर्षों में बोनस भुगतान को आधे से भी कम कर देता है। 2023 और 2024 की तुलना में 2022 के बावजूद उत्पादन में निरंतर वृद्धि हुई है।श्रमिक प्रतिनिधियों ने मांग की कि ASPILS/बोनस भुगतान 40500 रुपये से कम नहीं होना चाहिए, जैसा कि 2022 में भुगतान किया गया था। इसके अलावा, उन्होंने मजदूरी संशोधन, 39 महीनों के बकाया भुगतान, और अनुबंध श्रमिकों के हित में अतिरिक्त इंक्रीमेंट की मांग की।
प्रबंधन ने ASPILS/बोनस फॉर्मूले को जारी रखने और 29500 रुपये भुगतान की पेशकश की, जिसे श्रमिकों ने अस्वीकार कर दिया। उन्होंने फॉर्मूला बदलने और बोनस भुगतान में सुधार की मांग दोहराई। हालांकि, बैठक में CITU प्रतिनिधि ने प्रबंधन के 32500 रुपये के प्रस्ताव पर आपत्ति नहीं जताई, लेकिन प्रबंधन की अड़ियल और श्रमिक-विरोधी रवैये के कारण बैठक बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई।प्रबंधन ने 31000 रुपये के प्रस्ताव पर भी कोई जवाब नहीं दिया, जिससे श्रमिकों में रोष है। ललित मोहन मिश्रा, CITU के महासचिव, SWFI ने मांग की कि सभी संयंत्रों और प्रतिष्ठानों में तत्काल आंदोलन शुरू किया जाए ताकि श्रमिकों के वैध हकों की रक्षा हो सके।