आसनसोल गर्ल्स काॅलेज हिंदी विभाग, द्वारा ‘निराला के साहित्य में प्रगतिशील चेतना ‘ विषय पर व्याख्यान का आयोजन
बंगाल मिरर, आसनसोल : आसनसोल गर्ल्स काॅलेज हिंदी विभाग, द्वारा सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की पुण्यतिथि पर ‘निराला के साहित्य में प्रगतिशील चेतना ‘ विषय पर एक एकल व्याख्यान का आयोजन किया गया।यह व्याख्यान डाॅ.रीना सिंह, अध्यक्ष, हिंदी विभाग,आनंद मोहन काॅलेज कोलकाता ने दिया।व्याख्यान में स्वागत भाषण इशाना खान ने दिया। काॅलेज की टीचर इंचार्ज डाॅ.मोनिका साहा ने आयोजन का उद्घाटन करते हुए हिंदी विभाग में हो रहे आयोजनों की निरंतरता पर खुशी जाहिर की।आइक्यूएसी कन्विनर डाॅ बीरु रजक ने हिंदी साहित्य में निराला के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने हिंदी विभाग के आयोजनों में छात्राओं की सक्रिय भागीदारी की प्रशंसा की।



आयोजन के पहले चरण में में साक्षी हैं शब्द शीर्षक से हिंदी विभाग की छात्राओं ने पश्चिम बंगाल की हिंदी कवयित्रियों की कविताओं की आवृत्ति की ।इनमें कवयित्री -उमा झुनझुनवाला की कविता- संभावित खतरा का पाठ सुहानी खत्री ने,अनिला राखेचा की कविता -निश्चालन का पाठ नंदनी तुरहा ने, मनीषा झा की कविता का पाठ नेहा पोद्दार ने, मधु सिंह की कविता-स्त्री का आदिम इतिहास का पाठ मुस्कान डोम ने, वंदना गुप्ता की कविता -जीवन की हरियाली का पाठ-सोनी कुमारी सिंह ने, मंजू श्रीवास्तव की कविता -लड़कियां का पाठ-साधना गुप्ता ने,गीता दुबे की कविता -मुझे चांद नहीं चाहिए का पाठ अर्चना जायसवाल ने, जोशना बनर्जी की कविता -मुझे सलाह मत दो का पाठ अंजली गोप ने,पूनम सोनछात्रा की कविता-‘मुक्ति’ का पाठ खुशी कुमारी यादव ने किया।

व्याख्यान का विषय प्रवर्तन करते हुए विभागाध्यक्ष डाॅ.कृष्ण कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि डाॅ.रीना हिंदी विभाग, आसनसोल गर्ल्स काॅलेज के प्रथम बैच(2005-8)की छात्रा रही हैं। वे अपने परिश्रम के बल पर असिस्टेंट प्रोफेसर के पद तक पहुंचने वाली विभाग की पहली पूर्व छात्रा रही हैं।यही कारण है कि विभाग द्वारा चलाए जाने वाली ‘सपनों से मंजिल तक’ श्रंखला के लिए भी उन्हें चुना गया।डाॅ.श्रीवास्तव ने सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के संपूर्ण रचनाकर्म का परिचय देते हुए उनके साहित्य में व्याप्त प्रगतिशील चेतना को रेखांकित किया।
अपने व्याख्यान के आरंभ में डाॅ.रीना ने गर्ल्स काॅलेज में अपनी पढ़ाई के दिनों को याद किया।काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से एम ए, पीएच -डी करने के बाद आनंद मोहन काॅलेज की हिंदी विभागाध्यक्ष बनने की यात्रा की गाथा सुनाई।सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की प्रगतिशील चेतना पर केन्द्रित अपने वक्तव्य में उन्होंने उनकी कविताओं में जुही की कली, भिक्षुक, कुकरमुत्ता,जल्द-जल्द आओ, सरोज स्मृति, आदि के उद्धरणों के माध्यम से उनके साहित्य में व्याप्त प्रगतिशील चेतना की पुष्टि की।उन्होंने कहा यह निराला की प्रगतिशील चेतना ही है जिसके कारण उन्हें अपने समय छायावाद के आगे भी प्रगतिवाद, प्रयोगवाद,नई कविता,नव गीत, आदि के अगुआ कवि के रुप में गिना जाता है।यहां तक कि आज का एकदम नया रचनाकार भी स्वयं को निराला की परंपरा में जोड़ना चाहता है। उन्होंने उनकी चतुरी चमार, बिल्लेसुर बकरिहा,कुल्ली भांट आदि रचनाओं के आधार पर उनके गद्य साहित्य में भी प्रगतिशील तत्वों की तलाश की ।धन्यवाद ज्ञापन विभाग की ही प्राध्यापिका डाॅ.पूजा पाठक ने किया।इस आयोजन शताधिक छात्राएं उपस्थित रहीं।