AG Church Asansol Controversy : करोड़ों की कमाई पर वर्चस्व की होड़ ?
बंगाल मिरर, एस सिंह, आसनसोल, : आसनसोल में स्थित प्रसिद्ध एजी चर्च में चल रहे लंबे विवाद ने अब टकराव का रूप धारण कर लिया है। स्कूल प्रबंधन पर कब्जे को लेकर स्थानीय प्रबंध समिति और एजीएनआई के बीच टकराव इतना बढ़ गया है कि धारा 144 लागू करनी पड़ी। सूत्रों के अनुसार, विवाद का मूल कारण स्कूल से होने वाली करोड़ों रुपये की कमाई है, जिसके नियंत्रण को लेकर दोनों पक्षों के बीच खींचतान चल रही है। बीते रविवार को दोनों गुट पुलिस के सामने ही भिड़ गए। वहीं एजीएनआई नेइसके बाद उषा राव को फिर से प्रिंसिपल भी नियुक्त कर दिया। जबकि स्थानीय समिति इसे मानने को तैयार नहीं है। दोनों गुट एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लग रहे हैं।













स्कूल की प्राचार्या जेसिका स्पेंसर ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया था कि एजीएनआई द्वारा बाहरी तत्वों की मदद से स्कूल के संचालन में हस्तक्षेप की साजिश रची जा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि एजीएनआई का कार्य केवल धार्मिक सलाह देना है, लेकिन वे जबरन प्रबंधन अधिकारियों के वेतन भुगतान और दैनिक संचालन में दखल दे रहे हैं। तत्कालीन प्राचार्या ने कहा, था स्कूल के कर्मचारियों का वेतन और अन्य खर्चे पूरी तरह सोसाइटी के माध्यम से होते हैं। करोड़ों की फीस आय पर कब्जा करने की कोशिश से हजारों छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।
विवाद की जड़ें 1963 में स्थापित इस चर्च और स्कूल की संपत्ति व आय के नियंत्रण में हैं। स्थानीय लोगों का दावा है कि स्कूल की वार्षिक फीस और अन्य स्रोतों से करोड़ों रुपये की कमाई सोसाइटी के खाते में जाती है, जिसका उपयोग शिक्षा और विकास के लिए किया जाता है। लेकिन एजीएनआई समर्थक गुट इसे धार्मिक संगठन के अधीन बताते हुए नियंत्रण हथियाने की कोशिश कर रहा है। पिछले कई महीनों से यह विवाद कोर्ट में लंबित है, लेकिन हाल के दिनों में यह सड़क पर उतर आया। 2 नवंबर को चर्च पर लगे ताले को तोड़ने की कोशिश में हंगामा हुआ, जिसमें अंसुमन और कैलाश नामक व्यक्ति पर आरोप लगे।
। प्रबंध समिति के सदस्यों ने बताया कि एजीएनआई ने हाल ही में उषा राव को प्राचार्य और जॉर्ज कुट्टी को सीनियर पास्टर नियुक्त कर एकतरफा फैसला लिया, जो कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है। इससे न केवल स्कूल की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, बल्कि 8,000 से अधिक छात्रों का शैक्षणिक सत्र भी दांव पर है। समिति ने चेतावनी दी कि अगर कब्जे की कोशिशें जारी रहीं, तो बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू किया जाएगा।
वहीं मामले में एडमिशन घोटाले का भी खुलासा हुआ है, जिसमें एक एजेंट और एक कर्मचारी समेत दोगिरफ्तार हो चुके हैं। एजीएनआई के पदाधिकारियों का दावा है कि स्थानीय समिति द्वारा कई अवैध और अनैतिक कार्य किए गए जिसके कारण उन लोगों को यह कदम उठाना पड़ा है। पुलिस और प्रशासन ने दोनों पक्षों को शांति बनाए रखने की सलाह दी है, जबकि कोर्ट में सुनवाई जारी है। यह विवाद न केवल धार्मिक संस्था की आंतरिक कलह को उजागर करता है, बल्कि शिक्षा क्षेत्र में वित्तीय पारदर्शिता की कमी को भी रेखांकित करता है। आसनसोल के निवासी उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द ही समाधान निकले, ताकि छात्रों का भविष्य सुरक्षित रहे।

