SAIL ISP सारामारा गेट पर वाहनों से रंगदारी वसूली के आरोप, सिंडिकेट कर रहा लाखों की बंदरबांट ?
बंगाल मिरर, बर्नपुर: स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के अंतर्गत संचालित इस्को स्टील प्लांट (आईएसपी) के न्यू सारामारा गेट पर वाहनों से रंगदारी वसूली के गंभीर आरोप लगे हैं। सूत्रों के अनुसार, यहां गेट से बाहर निकलने वाले वाहनों से जबरन पैसे वसूले जा रहे हैं, जिससे हर महीने लाखों रुपये की अवैध कमाई हो रही है। इस रकम का बंटवारा एक संगठित सिंडिकेट द्वारा किया जाता है, जो राजनीतिक संरक्षण के छत्रछाया में सक्रिय है।













नाम न छापने की शर्त पर निवासियों और वाहन चालकों ने बताया कि यह रंगदारी वसूली का सिलसिला वर्षों पुराना है। शुरू में यह एक दबंग व्यक्ति के नेतृत्व में संचालित होता था, लेकिन अब मामला और संगठित हो गया है। वर्तमान में कुछ छोटे-मोटे स्थानीय नेता और गुंडे मिलकर एक सिंडिकेट चला रहे हैं, जो रोजाना वाहनों से वसूली करते हैं। एक प्रभावित चालक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हर वाहन पर 800 से 1000 रुपये तक की मनमानी वसूली हो रही है। रात के समय तो यह और बढ़ जाती है। हम शिकायत करते हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती।”
सूत्रों के मुताबिक, इस अवैध कारोबार से प्रतिमाह लाखों रुपये की रकम इकट्ठी हो रही है, जिसका बंटवारा सिंडिकेट के सदस्यों में ‘बंदरबांट’ की तरह किया जाता है। वसूली का यह धंधा कई बार शिकायतों के बाद थम चुका था। लगभग दो-तीन साल पहले स्थानीय प्रशासन की ओर से जांच के बाद इसे अस्थायी रूप से बंद कराया गया था, लेकिन अब फिर से जोरों पर है। प्रभावित पक्षों का आरोप है कि राजनीतिक संरक्षण के कारण पुलिस और प्रशासन की नजरें अंधी हो गई हैं।
आईएसपी प्रबंधन ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमें ऐसी कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। यदि कोई ठोस सबूत मिले, तो उचित कार्रवाई की जाएगी।” वहीं, स्थानीय पुलिस ने भी शिकायत न मिलने और फिलहाल कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।यह मामला न केवल वाहन चालकों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है, बल्कि औद्योगिक क्षेत्र की छवि को भी धूमिल कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी अवैध वसूलियों पर अंकुश लगाने के लिए सख्त निगरानी और पारदर्शी व्यवस्था जरूरी है।
इस संबंध में पूछे जाने पर तृणमूल के प्रदेश सचिव वी शिवदासन दासू ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं अगर ऐसा हो रहा है तो प्रशासन को इसकी जांच कर कार्रवाई करनी चाहिए

