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New Labour Code : चार श्रम संहिता देश के श्रमबल के लिए बेहतर वेतन, रक्षा, सामाजिक सुरक्षा और बेहतर कल्याण जैसे बड़े बदलाव की शुरूआत

बंगाल मिरर, विशेष संवाददाता : सरकार ने श्रम कानूनों को आसान और कारगर बनाने के लिए चार श्रम संहिताओं को लागू किया।ये चार श्रम संहिता देश के श्रमबल के लिए बेहतर वेतन, रक्षा, सामाजिक सुरक्षा और बेहतर कल्याण जैसे बड़े बदलाव की शुरूआत हैं ये संहिताएं सुरक्षित और भविष्य के लिए तैयार श्रमबल तथा मजबूत इंडस्ट्रीज की नींव रखते हैं, रोजगार को बढ़ावा देते हैं और आत्मनिर्भर भारत के लिए श्रम सुधारों को आगे बढ़ाते हैंसंहिताएं देश के श्रम परितंत्र को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाते हैं जिससे सभी कामगारों के लिए सामाजिक न्याय सुनिश्चित होता है

एक ऐतिहासिक निर्णय के तहत भारत सरकार ने चार श्रम संहिताओं- वेतन संहिता, 2019, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 और व्‍यवसायिक सुरक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और कार्य शर्त संहिता, 2020 को 21 नवंबर, 2025 से लागू करने की घोषणा की है। इसे 29 मौजूदा श्रम कानूनों के स्‍थान पर लागू किया जा रहा है। श्रम नियमावली को मॉडर्न बनाकर, मजदूरों की भलाई को बढ़ाकर और श्रम इकोसिस्टम को काम की बदलती दुनिया के साथ जोड़कर, यह ऐतिहासिक कदम भविष्य के लिए तैयार कार्यबल और मजबूत, उद्योग-अनुकूल बनाने की नींव रखता है, जो आत्मनिर्भर भारत के लिए श्रम सुधारों को आगे बढ़ाएंगे।देश के कई श्रम कानून आजादी से पहले और आजादी के बाद के शुरुआती दौर (1930–1950) में बनाए गए थे, उस समय जब अर्थव्यवस्था और काम की दुनिया असल में बहुत अलग थी। जहां बड़ी अर्थव्यवस्था वाले अधिकतर देशों ने हाल के दशकों में अपने श्रम नियमन को अद्यतन और मजबूत किया है, वहीं भारत 29 केंद्रीय श्रम कानूनों में फैले बिखरे हुए, मुश्किल और कई हिस्सों में पुराने नियमों के तहत काम करता रहा। बाधा उत्पन्न करने वाले ये फ्रेमवर्क बदलती इकॉनमिक सच्चाई और रोजगार के बदलते तरीकों के साथ तालमेल बिठाने में नाकाम रहे, जिससे अनिश्चितता पैदा हुई और मजदूरों और इंडस्ट्री दोनों के लिए नियमों का पालन करने का बोझ बढ़ा। चार श्रम कानून को लागू करने से औपनिवेशिक जमाने की संरचना से आगे बढ़ने और आधुनिक वैश्विक ट्रेंड के साथ तालमेल बिठाने की इस लंबे समय से चली आ रही जरूरत को पूरा किया गया है। ये संहिता मिलकर मजदूरों और कंपनियों दोनों को मजबूत बनाते हैं, एक ऐसा श्रमबल तैयार करते हैं जो सुरक्षित, उत्पादक और काम की बदलती दुनिया के साथ तालमेल बिठाता है, इससे ज़्यादा मजबूत, प्रतिस्पर्धात्मक और आत्मनिर्भर देश बनने का रास्ता बनता है।

श्रम कानून लागू होने से पहले और बाद में श्रम इकोसिस्‍टम की तुलना इस तरह है:

श्रम सुधारों के पूर्वश्रम सुधारों के बाद
रोजगार का औपचारिकीकरण कोई अनिवार्य नियुक्ति पत्र नहींअब सभी कामगारों को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य।लिखित सबूत से पारदर्शिता, रोजगार गारंटी और पक्का रोजगार होगा।सामाजिक सुरक्षा कवरेजसीमित सामाजिक सुरक्षा कवरेजसामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के तहत गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों सहित सभी कामगारों को सामाजिक सुरक्षा कवरेज।सभी कामगारों को पीएफ, ईएसआईसी, बीमा और दूसरे सामाजिक सुरक्षा लाभ।
न्यूनतम मजदूरीन्यूनतम मजदूरी सिर्फ़ अधिसूचित इंडस्ट्रीज/रोजगारों पर लागू; कामगारों का एक बड़ा हिस्सा इससे बाहरवेतन संहिता, 2019 के तहत, सभी कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन भुगतान पाने का कानूनी अधिकार।न्यूनतम मजदूरी और समय वेतन से वित्तीय सुरक्षा बेहतर होगी।
निवारक स्वास्थ्य सेवानियोक्ताओं के लिए कर्मचारियों को मुफ्त सालाना स्वास्थ्य जांच कराने की कोई कानूनी अनिवार्यता नहींनियोक्ताओं को 40 साल से ज़्यादा उम्र के सभी कर्मचारियों का सालाना मुफ्त स्वास्थ्य जांच करानी होगी।समय पर निवारक स्वास्थ्य सेवा संस्कृति को बढ़ावा देना जरूरी
समय पर मजदूरी नियोक्ताओं के लिए वेतन भुगतान के लिए कोई जरूरी अनुपालन नहींनियोक्ताओं के लिए समय पर वेतन देना अनिवार्य।वित्तीय स्थायित्व मजबूत करना, काम का तनाव कम करना और कामगारों का पूरा हौसला बढ़ाना
महिला कार्यबल भागीदारीरात्रि पाली और कुछ खास कामों में महिलाओं के काम पर प्रतिबंधमहिलाओं को सभी जगहों पर सभी तरह के काम करने की इजाजत है, बशर्ते उनकी सहमति हो और जरूरी सुरक्षा उपाय किए गए हों।महिलाओं को ज़्यादा वेतन वाले रोजगार में ज़्यादा कमाने के बराबर मौके मिलेंगे
ईएसआईसी कवरेजईएसआईसी कवरेज सिर्फ़ नोटिफ़ाइड एरिया और खास इंडस्ट्री तक ही सीमित था; 10 से कम कर्मचारी वाली जगहों को आम तौर पर ईएसआईसी से बाहर रखा गया था, और खतरनाक प्रोसेस वाली यूनिटों के लिए पूरे भारत में एक जैसा जरूरी ईएसआईसी कवरेज नहीं था।
ईएसआईसी कवरेज और इसके लाभ पूरे देश में बढ़ाए गए हैं – 10 से कम कर्मचारियों वाली जगहों के लिए यह स्वैच्छिक है, और खतरनाक कामों में लगे एक भी कर्मचारी वाली जगहों के लिए यह अनिवार्य है।सामाजिक सुरक्षा कवरेज को सभी कामगारों तक बढ़ाया जाएगा। अनुपालन का बोझअलग-अलग श्रम कानूनों के तहत कई रजिस्ट्रेशन, लाइसेंस और रिटर्न।सिंगल रजिस्ट्रेशन, पैन-इंडिया सिंगल लाइसेंस और सिंगल रिटर्न।आसान प्रक्रिया और अनुपालन के बोझ में कमी

।। ।मुख्य क्षेत्र में श्रम सुधार के फ़ायदे:1. फिक्स्ड-टर्म कर्मचारी (एफटीई):स्थायी कर्मचारियों के बराबर सभी फायदे मिलेंगे, जिसमें छुट्टी, चिकित्सा और सामाजिक सुरक्षा शामिल हैं।पांच साल के बजाय सिर्फ एक साल बाद ग्रेच्युटी की योग्यता हासिल।स्थायी कर्मचारी के बराबर वेतन, इनकम और सुरक्षा।सीधी बहाली को बढ़ावा मिलता है और बहुत ज़्यादा अनुबंध पर काम को कम करता है।2. गिग और प्लेटफ़ॉर्म श्रमिक:’गिग वर्क’, ‘प्लेटफ़ॉर्म वर्क’ और ‘एग्रीगेटर्स’ को पहली बार परिभाषित किया गया है।एग्रीगेटर्स को वार्षिक टर्नओवर का 1-2 प्रतिशत योगदान करना होगा, जो गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को भुगतान की गई/देय राशि के 5 प्रतिशत तक सीमित होगा।आधार-लिंक्ड यूनिवर्सल अकाउंट नंबर से वेलफेयर बेनिफिट्स आसानी से मिल जाएंगे, पूरी तरह से पोर्टेबल हो जाएंगे और प्रवास संबंधी किसी बाधा के बिना सभी राज्यों में उपलब्ध होंगे।

3. अनुबंध कर्मचारी:फिक्स्ड-टर्म एम्प्लॉई (एफटीई) से रोजगार मिलने की संभावना बढ़ेगी और सामाजिक सुरक्षा, स्थायी कर्मचारी के बराबर फायदे जैसे कानूनी सुरक्षा पक्की होगी।फिक्स्ड-टर्म कर्मचारी एक साल की लगातार सेवा के बाद ग्रेच्युटी के हकदार हो जाएंगे।मुख्य नियोक्ता अनुबंध कामगारों को स्वास्थ्य लाभ और सामाजिक सुरक्षा लाभ देगा।● कामगारों को सालाना मुफ्त स्वास्थ्य जांच सुविधा मिलेगी।4. महिला कर्मचारी:महिला-पुरूष भेदभाव कानूनी तौर पर मना है।समान काम के लिए समान वेतन सुनिश्चित किया गया।महिलाओं को रात्रि पाली और सभी तरह के काम (भूमिगत खनन और भारी मशीनरी सहित) करने की इजाजत है, बशर्ते उनकी सहमति हो और सुरक्षा के जरूरी उपाय किए गए हों।शिकायत निवारण समितियों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अनिवार्य किया गया।महिला कर्मचारियों के परिवार परिभाषा में सास-ससुर को जोड़ने का प्रावधान, डिपेंडेंट कवरेज को बढ़ाना और इनक्लूसिविटी पक्का करना।5. युवा श्रमिक:सभी कामगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी की गारंटी है।नियुक्ति पत्र अनिवार्य- सामाजिक सुरक्षा, रोजगार विवरण और औपचारिक रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।मालिकों द्वारा मजदूरों का शोषण पर रोक — छुट्टी के दौरान मजदूरी देना अनिवार्य कर दिया गया है।अच्छा जीवन स्तर सुनिश्चित करने के लिए, मजदूरों को केंद्र सरकार की ओर से तय की गई फ्लोर वेज के हिसाब से वेतन मिलेगा।

6. एमएसएमई श्रमिक:सभी एमएसएमई कर्मचारी सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के अंतर्गत शामिल, पात्रता कर्मचारियों की संख्या के आधार पर।सभी कर्मचारियों के लिए न्‍यूनतम वेतन की गारंटी।कर्मचारियों को कैंटीन, पीने का पानी और आराम करने की जगह जैसी सुविधाएं।स्टैंडर्ड काम के घंटे, डबल ओवरटाइम सैलरी और भुगतान सहित छुट्टी का इंतजाम।समय पर वेतन का भुगतान सुनिश्चित किया गया।7. बीड़ी और सिगार श्रमिक:सभी के लिए न्यूनतम वेतन की गारंटी।काम के घंटे हर दिन 8-12 घंटे और हर हफ्ते 48 घंटे तय किए गए हैं।ओवरटाइम तय घंटों से अधिक काम, सहमति से होगा और सामान्‍य मजदूरी से कम-से-कम दोगुना मिलेगा।समय पर वेतन का भुगतान सुनिश्चित किया गया।साल में 30 दिन काम पूरा करने के बाद कर्मचारी बोनस के लिए पात्र।8. बागान मजदूर:बागान मजदूरों को अब ओएसएचडब्‍ल्‍यूसी संहिता और सामाजिक सुरक्षा संहिता के तहत लाया गया है।लेबर कोड 10 से अधिक मजदूरों या 5 या उससे अधिक हेक्टेयर वाले बागानों पर लागू होते हैं।रसायनों को संभालने, स्टोर करने और इस्तेमाल करने के लिए जरूरी सुरक्षा संबंधी प्रशिक्षण।दुर्घटना और रसायन से बचने के लिए सुरक्षा उपकरण अनिवार्य।मजदूरों और उनके परिवारों को पूरी ईएसआई मेडिकल सुविधाएं; उनके बच्चों के लिए पढ़ाई की सुविधाओं की भी गारंटी। 9. ऑडियो-विजुअल और डिजिटल मीडिया कामगार:इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों, डबिंग आर्टिस्ट और स्टंट पर्सन समेत डिजिटल और ऑडियो-विजुअल कामगारों को अब पूरा फायदा मिलेगा।सभी कामगारों के लिए नियुक्तिपत्र अनिवार्य- जिसमें उनका पदनाम, वेतन और सामाजिक सुरक्षा के अधिकार साफ-साफ लिखे हों।समय पर वेतन का भुगतान सुनिश्चित किया गया।ओवरटाइम तय घंटों से ज्‍यादा काम, सहमति से होगा और सामान्‍य मजदूरी से कम-से-कम दोगुना मिलेगा।10. खदान मजदूर:सामाजिक सुरक्षा संहिता आने-जाने के दौरान होने वाले कुछ हादसों को रोजगार से जुड़ा मानता है, जो रोजगार के समय और जगह की शर्तों पर निर्भर करता है।केंद्र सरकार ने काम की जगह पर काम की सुरक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति को मानक बनाने के लिए मानदंड अधिसूचित किए।सभी कामगारों की स्‍वास्‍थ्‍य सुरक्षा पक्की की जाएगी। फ्री सालाना हेल्थ चेक-अप दिया जाएगा।काम के घंटों की लिमिट हर दिन 8 से 12 घंटे और हर हफ्ते 48 घंटे तय की गई है।11. खतरनाक उद्योग के श्रमिक:सालाना फ्री हेल्थ चेक-अप की सुविधा।केंद्र सरकार मजदूरों की बेहतर सुरक्षा के लिए राष्‍ट्रीय मानदंड बनाएगी।महिलाएं सभी जगहों पर काम कर सकती हैं, जिसमें अंडरग्राउंड माइनिंग, भारी मशीनरी और खतरनाक काम शामिल हैं, जिससे सभी के लिए रोजगार के समान अवसर सुनिश्चित होंगे।हर साइट पर ऑन-साइट सेफ्टी मॉनिटरिंग के लिए जरूरी सेफ्टी कमेटी और खतरनाक रसायनों की सुरक्षित हैंडलिंग पक्का करना।12. वस्‍त्र उद्योग के श्रमिक:सभी प्रवासी कामगारों (डायरेक्ट, कॉन्ट्रैक्टर-बेस्ड और खुद माइग्रेटेड) को बराबर वेतन, वेलफेयर बेनिफिट और पीडीएस पोर्टेबिलिटी बेनिफिट मिलेंगे।कामगार 3 साल तक लंबित बकाय के निपटारे के लिए दावा कर सकते हैं, जिससे सुविधाजनक और आसान समाधान मिले।ओवरटाइम काम के लिए मजदूरों को दोगुनी मजदूरी का प्रावधान ।

13. आईटी और आईटीईएस कर्मचारी:हर महीने की 7 तारीख तक वेतन का भुगतान अनिवार्य। पारदर्शिता और पक्का भरोसा।समान काम के लिए समान वेतन अनिवार्य किया गया, महिलाओं की भागीदारी को मजबूत किया गया।महिलाओं को रात्रि शिफ्ट में काम करने की सुविधा – महिलाओं को ज्‍यादा वेतन पाने का अवसर।परेशानी, भेदभाव और वेतन से जुड़े विवादों का समय पर समाधान।फिक्स्ड-टर्म एम्प्लॉयमेंट और अनिवार्य नियुक्ति पत्र के जरिए सामाजिक सुरक्षा लाभ की गारंटी।14. डॉक कामगार:सभी डॉक कामगारों को फॉर्मल पहचान और वैधानिक सुरक्षा मिलेगी।सामाजिक सुरक्षा लाभ की गारंटी के लिए नियुक्ति अनिवार्य पत्र।सभी के लिए प्रोविडेंट फंड, पेंशन और बीमा के लाभ सुनिश्चित किए गए हैं, चाहे अनुबंध या अस्‍थायी डॉक वर्कर ही क्‍यों न हों।नियोक्‍ता द्वारा फंडेड सालाना हेल्थ चेक-अप अनिवार्य।डॉक कामगारों को जरूरी मेडिकल सुविधाएं, फर्स्ट एड, सैनिटरी और वॉशिंग एरिया वगैरह मिलें, ताकि काम करने के अच्छे हालात और सेफ्टी पक्की हो सके।15. निर्यात क्षेत्र के कर्मचारी:निर्यात सेक्टर में निर्धारित अवधि के लिए काम करने वाले कर्मचारियों को ग्रेच्युटी, प्रोविडेंट फंड (पीएफ) और अन्‍य सामाजिक सुरक्षा लाभ मिलेंगे।साल में 180 दिन काम करने के बाद सालाना छुट्टी लेने का विकल्‍प मिलेगा।सभी श्रमिकों को समय पर वेतन भुगतान का अधिकार और बिना इजाजत वेतन में कोई कटौती नहीं और न ही वेतन की अधिकतम सीमा पर कोई रोक।● महिलाओं को सहमति से रात्रि शिफ्ट में काम करने की इजाजत, जिससे उन्हें अधिक आय कमाने का मौका।● सुरक्षा और भलाई के उपायों में लिखित सहमति अनिवार्य, ओवरटाइम के लिए दोगुना पारिश्रमिक, सुरक्षित ट्रांसपोर्टेशन, सीसीटीवी निगरानी और सुरक्षा के इंतजाम।पहले से बताई गई बड़ी वेलफेयर पहलों के अलावा, लेबर संहिता कई और सुधार लाते हैं जो श्रमिक सुरक्षा को मजबूत करते हैं और नियोक्‍ताओं के लिए अनुपालन को आसान बनाते हैं:नेशनल फ्लोर वेज यह पक्का करेगा कि किसी भी वर्कर को मिनिमम लिविंग स्टैंडर्ड से कम सैलरी न मिले।महिला-पुरुष भेदभाव से मुक्‍त वेतन और रोजगार के अवसर, स्पष्ट रूप से भेदभाव को प्रतिबंधित करते हैं – जिसमें ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के खिलाफ भेदभाव भी शामिल है।इंस्पेक्टर-कम-फैसिलिटेटर सिस्टम, शिफ्टिंग प्रणाली को लागू करने में सजा देने वाली कार्रवाई के बजाय मार्गनिर्देश, जागरुकता और अनुपालन संबंधी समर्थन पर जोर देना।अनुमान-योग्‍य विवाद का शीघ्र समाधान, जिसमें दो सदस्यों वाले इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल होंगे और सुलह के बाद सीधे ट्रिब्यूनल में जाने का ऑप्शन होगा।सिंगल रजिस्ट्रेशन, सिंगल लाइसेंस और सिंगल रिटर्न, कई ओवरलैपिंग फाइलिंग की जगह लेगा।नेशनल ओएसएच बोर्ड सभी सेक्टर में एक जैसे सुरक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी मानदंड तय करेगा।500 से अधिक कामगारों वाली जगहों पर जरूरी सुरक्षा समितियां होंगी, जिससे काम की जगह पर अकाउंटेबिलिटी बेहतर होगी।फैक्ट्री में लागू होने की लिमिट बढ़ेगी, जिससे छोटी यूनिट के लिए रेगुलेटरी बोझ कम होगा और कामगारों के लिए सुरक्षा के पूरे उपाय बने रहेंगे।श्रम संहिता की ड्राफ्टिंग के दौरान की गई बड़े पैमाने पर सलाह-मशविरे की तरह, सरकार भी संहिताओं के तहत संबंधित नियमावली, नियमन, योजना वगैरह बनाने में जनता और हितधारकों को शामिल करेगी। बदलाव के दौरान, मौजूदा श्रम कानूनों के संबंधित नियम और उनके संबंधित नियम, नियमन, अधिसूचना, मानदंड, योजना वगैरह लागू रहेंगे।पिछले दशक में, भारत ने सामाजिक-सुरक्षा कवरेज का व्‍यापक विस्तार किया है, जो 2015 में कार्यबल के लगभग 19 प्रतिशत से बढ़कर 2025 में 64 प्रतिशत से अधिक हो गया है। यह सुनिश्चित करता है कि देश भर के श्रमिकों को सुरक्षा और सम्मान मिले और सामाजिक सुरक्षा में इस बड़ी उपलब्धि के लिए वैश्विक क्षेत्र में मान्यता भी अर्जित की। चार श्रम संहिताओं का कार्यान्वयन इस व्‍यापक बदलाव में अगला बड़ा कदम है, जो सामाजिक-सुरक्षा की प्रणाली को और सशक्‍त करता है और राज्यों तथा सेक्‍टरों तक विभिन्‍न लाभों को पहुंचाता है। विस्तारित सामाजिक सुरक्षा, मजबूत सुरक्षा और अधिकारों की राष्ट्रव्यापी पोर्टेबिलिटी के साथ, संहिता श्रमिकों, विशेष रूप से महिलाओं, युवाओं, असंगठित, गिग और प्रवासी श्रमिकों को श्रम शासन के केंद्र में मजबूती से रखती है। अनुपालन के बोझ को कम करके और लचीले, आधुनिक कार्य प्रणाली को सक्षम करके, यह संहिता रोजगार, कौशल और उद्योग विकास को बढ़ावा देती है और एक श्रमिक समर्थक, महिला समर्थक, युवा समर्थ और रोजगार समर्थक श्रम-इकोसिस्‍टम की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है।

News Editor

Mr. Chandan | Senior News Editor Profile Mr. Chandan is a highly respected and seasoned Senior News Editor who brings over two decades (20+ years) of distinguished experience in the print media industry to the Bengal Mirror team. His extensive expertise is instrumental in upholding our commitment to quality, accuracy, and the #ThinkPositive journalistic standard.

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