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पी एल बरनवाल के निधन से समाज ने खोया रत्न ः प्रकाश

तुम दूर क्षितिज के पार गए,
मन भुला न पाता यादों को।
स्मृति स्वरूप तुम पास रहो,
हर हृदय याद करता तुझको।
हर हृदय याद करता तुझको।।

श्री भारतवर्षीय बरनवाल वैश्य महासभा, वाराणसी के भूतपूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, वरिष्ठ अधिवक्ता, आदरणीय परमेश्वर लाल बरनवाल, धनबाद (पी एल बरनवाल) के आकस्मिक निधन से समाज ने एक ऐसा रत्न खो दिया है जिसकी क्षतिपूर्ति निकट भविष्य में नहीं दिखाई देती है। बरनवाल बन्धुओं ने अपना सक्रिय सदस्य ही नहीं, वरिष्ठ संरक्षक भी खो दिया है। सम्पूर्ण भारतवर्ष में घूम – घूम कर आपने बरनवाल समाज के बन्धुओं को जोड़ने का जो अभूतपूर्व, अमूल्य काम किया है, जिस उत्कृष्ट उदाहरण को समाज के सामने प्रस्तुत किया वह अविस्मरणीय है। सुख – दुख हर जगह जरा सा आहट मिलते ही श्री पी एल बरनवाल को कार्यक्रम में तन – मन – धन के साथ सक्रियता के साथ देखा जा सकता था। आपकी सहृदयता, आपकी सहिष्णुता, आपकी मधुर स्मृति, आपकी मृदुल मुस्कान, हर एक चीज चिरस्मरणीय रहेगी। ईश्वर आपकी आत्मा को शान्ति प्रदान करें, आपके समस्त परिवार, परिजनों और चाहने वालों को परमात्मा इस संकट की घड़ी से उबरने की शक्ति और सामर्थ्य प्रदान करें।
ऊँ शान्तिः ऊँ शान्तिः ऊँ शान्तिः

विनम्र श्रद्धांजलि !!

न्हें समर्पित है
हमारी ‘कुण्डलिया’

कोरोना की मार से, खोया लाल महान।
अधिवक्ता धनवाद के, प्राण हुआ अवसान।।
प्राण हुआ अवसान, चतुर्दिक भय का आलम।
पल में हुए शिकार, पी एल बी ‘मणिरत्नम’।।
सरस, सलिल, सद्भाव, संग रह सीखा जीना।
खोया उनको आज, मौत दे गया कोरोना।।

प्रकाश चन्द्र बरनवाल
‘वत्सल’ आसनसोल

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