Amazon और Flipkart के Festival sale पर रोक की मांग
बंगाल मिरर, संजीव यादव, बराकर: कैट ने Amazon और Flipkart के Festival sale पर रोक की मांग की। कैट के सुभाष अग्रवाला ने कहा किकेंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीथारमन एवं वाण्जिय मंत्री पियूष गोयल को आज भेजे गए एक पत्र में कन्फेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT ) ने इन कंपनियों द्वारा लगाए जाने वाली आगामी फेस्टिवल सेल में इन कंपनियों पर जीएसटी और आयकर से बचने का संदेह जाहिर करते हुए अमेज़न और फ्लिपकार्ट की आगामी फेस्टिवल सेल पर प्रतिबंध लगाने या इन सेल पर होने वाली बिक्री पर नजर रखने के लिए एक विशेष कार्य बल के गठन की मांग की है जो यह सुनिश्चित करे कि इन कंपनियों द्वारा की जानी वाली सेल में जीएसटी और आयकर की कोई वंचना न हो !




16 व 17 से Festival sale
श्रीमती सीतारमण और श्री गोयल को भेजे पत्र में कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट ने 16 अक्टूबर से एक फेस्टिवल सेल आयोजित करने की घोषणा की है
वहीँ अमेज़न अपनी फेस्टिवल सेल 17 अक्टूबर से आयोजित कर रहा है जो सीधे तौर पर सरकार की एफडीआई नीति का पूरी तरह से उल्लंघन है और इससे इन कंपनियों को एक बड़ी राशि पर लगने वाले जीएसटी से बचने का एक और मौका मिलेगा।
श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल दोनों ने इन ई-कॉमर्स कंपनियों की “त्यौहार बिक्री” की अवधि के दौरान विशेष रूप से बड़ी संख्या में वस्तुओं की बिक्री की ओर ध्यान आकर्षित किया है जहां बड़े डिस्काउंट देकर वास्तविक कीमत की तुलना में बहुत कम कीमत पर सामान बेचा जाता है । यह डिस्काउंट 10% से 80% तक होता है जो वस्तु की लागत से काफी कम होती है। यह कंपनियां उस लागत से भी कम मूल्य पर उस वस्तु को बेचती हैं। उसी कीमत पर जीएसटी लगाती है ।जबकि है सामान्य स्थिति में उक्त वस्तु के वास्तविक बाजार मूल्य पर जीएसटी वसूला जाता है और इसके कारण सरकार को जीएसटी राजस्व का बड़ा नुकसान होता है। इसी तरह आनुपातिक रूप से अगर माल की वास्तविक कीमत पर जीएसटी वसूला जाए तो सरकार को आयकर भी अधिक मिलेगा !
GST में हेर-फेर का आरोप
श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल दोनों ने कहा कि यह एक खुला तथ्य है कि इन ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा दी जाने वाली गहरी छूट की भरपाई उनके निवेशक करते हैं और वास्तविक रूप से इन कंपनियों को कोई नुक्सान नहीं होता बल्कि नुक्सान तो सरकार को राजस्व का होता है ! जीएसटी में स्पष्ट प्रावधान है की वास्तविक बाजार मूल्य पर ही जीएसटी लिया जाएगा लेकिन इन ई-कॉमर्स कंपनियों के खुले हेरफेर के कारण सरकार को उसके उचित राजस्व से वंचित किया जाता है। यह बहुत ही आश्चर्यजनक है कि ये कंपनियाँ पिछले कई वर्षों से घाटे में चल रही हैं लेकिन फिर भी वे अपने व्यवसाय संचालन और अनेक प्रकार की फेस्टिवल सेल वर्ष भर आयोजित करती हैं ! क्या घाटे में चल रही कंपनियों के लिए साल में बार-बार बिक्री करना संभव है, यह एक ऐसा सवाल है जिसके जवाब की खोज होनी जरूरी है !
कैट ने आग्रह किया है कि या तो इन कंपनियों द्वारा आयोजित त्यौहार की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए या सरकार को बिक्री पर नजर रखने और जीएसटी के अंतर्गत सही राजस्व प्राप्त करने के लिए “विशेष कार्य बल” की नियुक्ति करनी चाहिए जो यह देखे की जीएसटी वस्तु के मूल मूल्य पर लगे ना की डिस्काउंट की हुई कीमत पर !, जबकि ये कंपनियां “छूट” की आड़ में शिकारी मूल्य पर जीएसटी वसूल रही हैं।
ई कॉमर्स कंपनियां केवल B2B गतिविधियों के लिए अधिकृत
श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने कहा कि यह विडंबना है कि यदि कोई व्यापारी अपने व्यवसाय के दौरान थोड़ी सी भी गलती करता है, तो उसे कई दंड और यहां तक उसके खिलाफ मुकदमा भी चलाया जाता है। हालाँकि ये ई कॉमर्स कंपनियां जो केवल बिजनेस टू बिजनेस (बी 2 बी) गतिविधियों को करने के लिए अधिकृत हैं सरकार की नाक के ठीक नीचे बिजनेस टू कंज्यूमर्स (बी 2 सी) की बिक्री कर रही हैं और उनके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। यह एफडीआई नीति का स्पष्ट उल्लंघन है !
कैट ने यह स्पष्ट किया कि व्यापारी ई-कॉमर्स व्यवसाय के खिलाफ नहीं हैं और यह मानते हुए कि ई-कॉमर्स देश में व्यापार करने का भविष्य का तरीका है और किसी भी स्पर्धा से नहीं डरता है लेकिन इसके लिए देश में सामान स्तर का प्रतिस्पर्धी वातावरण होना जरूरी है !