विधानसभा चुनाव से पहले DURGAPUJA पर राजनीति
बंगाल में 22 अक्टूबर को पीएम मोदी करेंगे ‘पूजा की बात’
बंगाल मिरर, राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले दुर्गा पूजा को हर राजनीतिक दल चुनावी हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना चाहता है। इसमें भाजपा भी पीछे नहीं है। इसी के मद्देजनर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोलकाता में 22 अक्टूबर को डिजिटल माध्यम से दुर्गा पूजा के कार्यक्रमों में शिरकत करने का कार्यक्रम है। इसी कड़ी में अब प्रधानमंत्री उसी दिन कोलकाता के साल्टलेक में भाजपा द्वारा आयोजित दुर्गा पूजा का भी उद्घाटन करेंगे।
कार्यकर्ताओं में जोश भरने की भी कोशिश करेंगे
भाजपा सूत्रों के अनुसार, इस दौरान प्रधानमंत्री मन की बात की तर्ज पर एक विशेष वेबकास्ट ‘पूजा की बात’ शीर्षक से बंगाल के लोगों को संबोधित करेंगे। माना जा रहा है कि पीएम इसके जरिए बंगाल में भाजपा का चुनावी शंखनाद करने के साथ कार्यकर्ताओं में जोश भरने की भी कोशिश करेंगे।
बंगाली मतदाताओं को लुभाने का एक प्रयास
बंगाली मतदाताओं को लुभाने का एक ओर प्रयास
इधर, पूजा के आयोजन के भाजपा के कदम को बंगाल के त्योहारों के हाल के इतिहास में अपनी तरह का पहला कदम माना जा रहा है और इसे 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले बंगाली मतदाताओं को लुभाने का एक प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।
यह पहली बार, राजनीतिक दल करवा रहा पूजा
इससे पहले विभिन्न दलों के राजनेता पूजा समितियों से जुड़े रहे हैं लेकिन अभी तक किसी भी राजनीतिक दल के बैनर के तहत पूजा नहीं किया गया है। राज्य में यह पहली बार है जब कोई राजनीतिक दल सीधे तौर पर दुर्गा पूजा का आयोजन करने जा रही है।
अन्य पूजा की तरह होगी जो घर में मनाई जाती
भाजपा नेताओं ने पूजा स्थल के रूप में जिस स्थान को चुना है वह केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत साल्टलेक में स्थित पूर्वी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र की इमारत है। प्रदेश भाजपा की महासचिव व सांसद लॉकेट चटर्जी, जो पूजा के आयोजन की प्रभारी हैं, ने कहा कि यह किसी भी अन्य पूजा की तरह होगी जो घर में मनाई जाती है।
गैर बंगाली लोगों की पार्टी चिन्हित करती रही ममता
कई परिवार अपने घर पर दुर्गा पूजा मनाते हैं, इसी तरह यह भाजपा परिवार की पूजा होगी। इधर, इस कदम से साफ है कि भाजपा इसके जरिए एक संदेश देना चाहती है कि भाजपा बंगाली विरोधी पार्टी नहीं। दरअसल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अक्सर भाजपा को गैर बंगाली लोगों की पार्टी के रूप में चिन्हित करती रही है।