सोशल मीडिया (SOCIAL MEDIA)
प्रकाश चन्द्र बरनवाल
‘वत्सल’ आसनसोल, की ✍ से
वर्तमान समय में सोशल मीडिया का सार्वजनिक जीवन में एक महत्वपूर्ण अवदान है। आज भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में घटने वाली किसी घटना को पल भर में सोशल मीडिया द्वारा समाज के सामने परोस दिया जाता है। तकनीक का बेमिसाल उपयोग कर सोशल मीडिया जीवन के हर क्षेत्र में प्रभावोत्पादक कदम बढ़ाने की अकूत क्षमता रखता है। किन्तु इसके साथ न्याय तंत्र के धीमे रवैये से मूल मामले में तरह – तरह के दवाब बनाकर दोषियों को दोषमुक्त होने का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। सोशल मीडिया की गतिमयता के साथ यदि न्यायालय से दोषियों के दोष हेतु दण्ड देने का प्रावधान कार्यकारी हो जाय, तो दुनिया में अपराधियों के बीच खलबली मचे, और तब अपराध जगत में निश्चित रूप से कमी आएगी। फिर भी सोशल मीडिया के ही कारण आज जितने मामले उजागर होते हैं, पहले कहांँ होते थे, अधिकाधिक मामले गुमनामी के अँधेरों में गुम हो जाया करते थे। आज एक बड़ा राजनीतिज्ञ, बड़ा व्यापारी, बड़ा सिनेमा कलाकार ऐसे – ऐसे महत्वपूर्ण व्यक्ति या स्थान किसी भी अघटन के कारण सोशल मीडिया द्वारा विशेष रूप से चर्चित होते हैं, कारण उनकी आमदनी (टी आर पी) ऐसी-ऐसी घटनाओं के परिचर्चा के कारण बढ़ जाती है। आज लोग मीडिया के प्रभाव के कारण भी अपने को नियंत्रित रखने की चेष्टा करते हैं। किसी असामयिक घटना से खुद को दूर रखने का प्रयास करते हैं।
कभी – कभी कुछ सोशल मीडिया वाले अनावश्यक रूप से चरित्र हनन् का भी कार्य करते हैं, जिससे समाज में लोगों की किरकिरी होने की सम्भावना रहती है।
बहरहाल यदि कुछ बिन्दुओं को छोड़ दिया जाय तो आज सोशल मीडिया एक अत्यंत महत्वपूर्ण एवं प्रभावोत्पादक क्षमता रखने वाली संस्था है, जो जनोपयोगी है।।