मताधिकार पर रचना
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प्रकाश चन्द्र बरनवाल
‘वत्सल’ आसनसोल
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माँ दुर्गा की हुई बिदाई, हृदय जगा गईं विश्वास।
महिषासुर जैसे प्रतिनिधि का, कभी मत करना विश्वास।।
अपने मत से वंचित कर दें, उपजे इन नासूरों को।
लोकतंत्र की शक्ति यही है, समझा दें गद्दारों को।।
तरह – तरह के प्रलोभनों से, वोटर को भ्रमित करेंगे।
जीत गए जब बाबू साहब, वोटर को शमित करेंगे।।
सोच समझ कर मेरे भ्राता, अपने ‘मत’ को तुम देना।
अपना मत अधिकार समझ कर, झाँसे में कभी न आना।।