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कोयला तस्करी में कैसे होता था कोडवर्ड का इस्तेमाल

नोटों के सीरियल नंबर का कोड वर्ड के रूप में इस्तेमाल करता था कोयला माफिया

बंगाल मिरर, आसनसोल : कोयलांचल क्षेत्र में धड़ल्ले से होने वाली कोयला तस्करी की सीबीआई जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। पता चला है कि कोयला माफिया अनूप माझी उर्फ लाला कोयले की तस्करी में नोटों के सीरियल नंबर का ‘कोड वर्ड’ के रूप में इस्तेमाल करता था।

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coal file photo

बताया गया है क‍ि सीबीआइ की टीम ने झारखंड में एक लॉरी को रोका था। उसके चालक के पास से 10 रुपये का नोट मिला था। मामले की गहराई से जांच करने पर पता चला कि उस नोट का सीरियल नंबर कोयला तस्करी में इस्तेमाल होने वाला कोड वर्ड था। उस नोट को चेकपोस्ट पर दिखाने पर लॉरी को बिना किसी जांच के जाने दिया जाता था। लॉरी के चालक व खलासी से पूछताछ करने पर पता चला कि 10 रुपये के अलावा 50 और 100 रुपये के नोट का तस्करी में इस्तेमाल होता था।

रोज अलग-अलग मूल्य के नोट का होता था इस्तेमाल

रोज अलग-अलग मूल्य के नोट का इस्तेमाल किया जाता था। नोट और चालान की फोटो कॉपी दिखाने पर चेकपोस्ट से लॉरी को छोड़ दिया जाता था। लॉरी दुर्गापुर, आसनसोल, रानीगंज समेत जिस जगह से भी होकर गुजरने वाली होती थी, उन सब जगहों के चेकपोस्ट पर ड्यूटी करने वाले परिवहन और सेल्स टैक्स दफ्तर के अधिकारियों को उसकी फोटोकॉपी पहले ही भेज दी जाती थी। लॉरी चालक चेकपोस्ट पर नोट दिखाता था, जिसके सीरियल नंबर का मिलान करने के बाद भ्रष्ट अधिकारी उसे जाने देते थे।

बताया गया क‍ि चेक पोस्‍ट पर तैनात लोग नोट का सीरियल नंबर देखकर समझ जाते थे कि यह लाला की लॉरी है। कब किस मूल्य के नोट का इस्तेमाल होगा, यह लाला ही तय करता था और चेकपोस्ट के अपने साथियों को इसकी जानकारी दे देता था। फोन पर भी वह उनसे संपर्क में रहता था। लाला अपने अवैध कोयले के साथ-साथ दूसरों गिरोह की लारियों को भी चेकपोस्ट से पास करवाता था। एक लॉरी के लिए वह 20 से 25 हजार रुपये वसूलता था।

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