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FASTag : जानें विस्तार से आज आधीरात से क्या होगा बदलाव

बंगाल मिरर, विशेष संवाददाता ः FASTag News फास्टैग को 15 फरवरी/16 फरवरी की आधी रात से अनिवार्य रूप से लागू कर दिया जाएगा। इसके साथ ही अब टोल पर नकद भुगतान स्वीकार नहीं किया जाएगा। नए नियम के अनुसार अगर कोई भी वाहन जिसमें फास्टैग नहीं लगा हुआ है, या जिस वाहन में वैध, एक्टिव फास्टैग नहीं है, उसे शुल्क प्लाजा में प्रवेश करने पर उस श्रेणी के लिए निर्धारित शुल्क का दोगुना शुल्क के बराबर की राशि का भुगतान करना होगा।

डिजिटल मोड से शुल्क भुगतान को बढ़ावा

इस बारे में जानकारी देते हुए सड़क परिवहन एवं राष्‍ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि डिजिटल मोड के माध्यम से शुल्क भुगतान को बढ़ावा देने, समय और ईंधन की खपत को कम करने और शुल्क प्लाजा के माध्यम से यात्रियों को एक आसान और निर्बाध मार्ग प्रदान करने के लिए ऐसा किया गया है। मंत्रालय ने 1 जनवरी 2021 से प्रभावी होने के साथ मोटर वाहनों के एम एंड एन श्रेणियों में फास्टैग को फिट करने का आदेश दिया था।

क्या है एम और एन श्रेणी

श्रेणी एम का अर्थ, “यात्रियों को ले जाने के लिए उपयोग किए जाने वाले कम से कम चार पहियों के साथ एक मोटर वाहन” है। श्रेणी एन का तात्पर्य है “एक मोटर वाहन जिसमें सामान ले जाने के लिए कम से कम चार पहिए हैं और जो सामान के अलावा व्यक्तियों को भी ले जा सकते हैं”।

बता दें कि देश में नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अंतर्गत आने वाले करीब 515 टोल प्लाजा हैं। अगर कोई इन राष्ट्रीय राजमार्ग के टोल प्लाजा से गुजरता है तो उसे फास्टैग अनिवार्य है। फास्टैग को लागू करने के बाद भारत उन देशों में शामिल हो गया है जहां आरएफआईडी या फास्टैग से टोल कलेक्शन एक तरह से अनिवार्य होता नजर आ रहा है। यूरोप, जापान, अमेरिका, कोरिया आदि देश में आरएफआईडी के माध्यम से टोल लिया जाता है।

वन नेशन वन टैक्स

इसके अलावा वन नेशन वन टैक्स की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। जैसे देश में नेशनल हाइ-वे टोल जरूरी है लेकिन कई राज्यों के भी टोल हैं और कई जगह प्राइवेट ऑपरेटर होते हैं, जहां फास्टैग लागू है, लेकिन अनिवार्य नहीं हैं। ऐसे में सरकार का फोकस है कि पूरे देश में वन नेशन वन टैक्स की दिशा में अनिवार्य करना है। अगर कोई फास्टैग लेना चाहता है तो फोन में प्ले स्टोर में जाकर माई फास्टैग ऐप को डाउनलोड करें वहां से कोई भी अपने घर मंगा सकते हैं।

अभी तक एक दिन में फास्टैग ले 90 करोड़ का टोल

वहीं अभी तक जो प्रतिदिन टोल कलेक्शन हो रहा है फास्टैग के माध्यम से वह 90 करोड़ है। अभी जो कंप्यूटर से टोल प्लाजा से निकलता है उसमें 4 या 5 मिनट लगती है पूरी प्रक्रिया में। लेकिन फास्टैग के माध्यम से जब टोल दिया जाता है तो ये समय 1 मिनट से कम हो जाता है।

केंद्र सरकार ने टोल प्लाजा पर टोल कलेक्शन को आसान और सुरक्षित बनाने के साथ-साथ टोल पर लगने वाले लंबे जाम से निजात पाने के लिए फास्टैग (FASTag) को अनिवार्य कर दिया है। आज यानी 15 फरवरी 2021 आधी रात से फास्टैग सभी के लिए अनिवार्य हो जाएगा। इसे लेकर सरकार की तरफ से नोटिफिकेशन भी जारी किया जा चुका है। दरअसल, फास्टैग एक रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन टैग (RFID) है। इस टैग को गाड़ी के विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है जो वाहन चालक के बैंक अकाउंट या फिर वॉलेट से जुड़ा रहता है। फास्टैग के द्वारा जब भी गाड़ी टोल प्लाजा क्रॉस करती है तो एक स्कैनर के जरिए ही फास्टैग एकाउंट से पैसों का भुगतान हो जाता है। प्लाजा पर आपको रुककर या कैश के रूप में टोल टैक्स नहीं चुकाना पड़ेगा।

कैशलेस ट्रांजैक्शन में होगी बढ़ोतरी, नहीं करना पड़ेगा टोल प्लाजा पर इंतजार

फास्टैग के शुरू हो जाने के बाद, सिस्टम से कैशलेस ट्रांजैक्शन में काफी बढ़ोतरी होगी। इसके साथ ही इससे टोल कलेक्शन में भी बढ़ोतरी आएगी। केंद्रीय सड़क परिवहन और हाईवे मंत्री नितिन गडकरी ने दिसंबर में कहा था कि इससे मार्च तक टोल कलेक्शन 34,000 करोड़ रुपये पहुंच सकता है। टोल कलेक्शन के लिए जीपीएस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से टोल कमाई अगले 5 सालों में 1.34 लाख करोड़ पहुंच जाएगी।

इसके साथ, टोल से गुजरते हुए अक्सर खुले पैसे न होने की वजह से दूसरे लोगों को इंतजार करना पड़ता है, जिससे आमतौर पर लड़ाई झगड़ा भी हो जाता है। अब आम लोगों को इस समस्या से भी दो-चार नहीं होना पड़ेगा। फास्टैग की मदद से टोल प्लाजा से काफी जल्दी गुजरा जा सकता है तो ऐसे में इंतजार की समस्या भी दूर हो जाएगी और पेट्रोल-डीजल की भी बचत होगी। फास्टैग वॉलेट में पड़ी रकम का प्रयोग 5 वर्षों तक किया जा सकेगा।

FASTag सड़क दुर्घटनाओं में आएगी कमी

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में 4,37,000 सड़क दुर्घटनाएं हुई, जिसमें मरने वालों की संख्या 1,54,732 है। इनमें से 30 प्रतिशत एक्सीडेंट्स वो हैं जो राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुए हैं। कोहरे या तेज रफ्तार के कारण भी सड़क दुर्घटनाएं आम हैं। इस ऐप के माध्यम से वाहन चालकों का डाटा सेव हो जाएगा। जिससे उनकी हर एक्टीविटी की जानकारी मिल सकेगी। वाहन चालक का मोबाइल नंबर, गाड़ी का नंबर कंट्रोल रूम में ऐप के जरिए मौजूद रहेगा और इसी तरह फास्टैग सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी लाएगा।

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