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काशी हिंदू विश्वविद्यालय सर्वविद्या की राजधानी

प्रतीचि-प्राची का मेल सुन्दर
यह विश्वविद्या की राजधानी,
मधुर मनोहर अतीव सुन्दर
यह सर्वविद्या की राजधानी

मालवीय जी ने की थी विश्वविद्यालय की स्थापना

बंगाल मिरर, फीचर डेस्क : आज काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU )अपना 105 वां स्थापना दिवस मना रहा है। वास्तव में, यह विश्वविद्यालय प्राचीन भारतीय ज्ञान-विज्ञान एवं आधुनिक वैज्ञानिक चिन्तन दृष्टि का संगम है। आज सम्पूर्ण विश्व में महामना की बगिया कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय से निकले छात्र फैले हुए हैं और विश्वविद्यालय की गौरवशाली विरासत को संजोए हुए हैं। हर वर्ष स्थापना दिवस पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय में समारोह का आयोजन होता है और झांकी भी निकाली जाती है। आइये, काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना से जुड़े गौरवशाली इतिहास से आपका परिचय करवाते हैं –

काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना पंडित मदन मोहन मालवीय ने की थी। स्नेह और सम्मानपूर्वक सभी उन्हें महामना भी कहते थे। यह विश्वविद्यालय मालवीय जी का स्वप्न था। वे भारत के विद्यार्थियों को भौतिक और आध्यात्मिक दोनों ही तरह की शिक्षा पद्धतियों में दक्ष देखना चाहते थे। उनका यही स्वप्न काशी हिंदू विश्वविद्यालय के निर्माण का बीज था, जिसे उन्होंने अपने अदम्य इच्छा,स्नेह और कठोर श्रम से विशाल वृक्ष में परिवर्तित कर दिया।

इस वृक्ष की ज्ञान शाखा चारो तरफ फैली हुई है और आज भी निरंतर फैल रही है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय एक्ट, एक्ट क्रमांक 16, सन् 1915 के अंतर्गत हुई थी। विश्वविद्यालय की स्थापना 04 फरवरी 1916 को की गई थी। यह तिथि बसंत पंचमी की थी, तब से यह विश्वविद्यालय हर साल बसंत पंचमी को ही अपना स्थापना दिवस मनाता है।

काशी नरेश, दरभंगा के महाराज समेत एनी बेसेंट ने दिया था स्थापना में सहयोग

पंडित मदनमोहन मालवीय ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना का प्रारम्भ 1904 ई. में किया, जब काशी नरेश महाराज प्रभुनारायण सिंह की अध्यक्षता में संस्थापकों की प्रथम बैठक हुई। 1905 ई. में विश्वविद्यालय का प्रथम पाठ्यक्रम प्रकाशित हुआ।

मदन मोहन मालवीय ने वर्ष 1906 के कुंभ मेले में विश्वविद्यालय की स्थापना का संकल्प दोहराया। कहा जाता है, वहीं एक वृद्धा ने मालवीय जी को इस कार्य के लिए सर्वप्रथम एक पैसा चंदे के रूप में दिया। इसी दौरान डॉ. एनी बेसेंट काशी में विश्वविद्यालय की स्थापना में आगे बढ़ रही थीं।

दरभंगा के राजा महाराज रामेश्वर सिंह भी काशी में शारदा विद्यापीठ की स्थापना करना चाहते थे। इन तीन विश्वविद्यालयों की योजना अलग-अलग थी, पर मालवीय जी ने डॉ. बेसेंट और महाराज रामेश्वर सिंह से परामर्श कर अपनी योजना में सहयोग देने के लिए उन दोनों को तैयार कर लिया। फलस्वरूप बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी सोसाइटी की 15 दिसंबर, 1911 को स्थापना हुई, जिसके अध्यक्ष दरभंगा के महाराज और सचिव महामना थे।

विशाल हरित परिसर, सर्वत्र बिखेरता ज्ञान का आलोक
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय

“हिन्दू विश्वविद्यालय की यह फैली हुई भूमि हरी मखमली दूब से भरे सुहावने बड़े-बड़े खेल के मैदान, स्वच्छन्द उन्मुक्त वायु, माँ पतितपावनी गंगा का पुनीत पावन तट, संसार में कहीं भी ऐसा दूसरा स्थान तुम्हारे लिए नहीं।”

छात्रों को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के विषय में महामना ने जो उक्त बातें कही थी, वह अक्षरशः सत्य है। 1300 एकड़ में फैले विश्वविद्यालय में ऐसी हरीतिमा आच्छादित है, जो नेत्रों और अन्तःस्थल दोनों को ही सुकून देती है। विश्वविद्यालय का दक्षिणी परिसर मिर्जापुर में स्थित है। विश्वविद्यालय के ऐसे सुरम्य वातावरण में आधुनिक औषधि, आयुर्वेद, दन्त चिकित्सा, अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी, कृषि, पर्यावरण एवं संपोष्य विकास, कला, वाणिज्य, शिक्षा समेत कुल 16 संकायों, 132 विभागों में अध्ययन-अध्यापन होता है। विश्वविद्यालय द्वारा बच्चों के लिए 3 विद्यालयों का अनुरक्षण भी किया जाता है।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय
छात्रों के लिए महामना का संदेश

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों को महामना ने जो सन्देश दिया था, वह जगत के हर विद्यार्थी के लिए आचरण्योग्य है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि, हृदय को पवित्र बना लो, मन को विमल बना लो, आत्मा को शुद्ध कर लो, संसार में जहाँ भी जाओगे, वहाँ मान के अधिकारी होगे। चरित्रवान बनो और अथक परिश्रम करने से पीछे न हटो। महामना के इस सन्देश को आत्मसात किए हुए और पहले सत्य फिर आत्मरक्षा के आदर्श को धारण किए हुए काशी हिंदू विश्वविद्यालय(BHU) सम्पूर्ण विश्व में भारतीय संस्कृति का गौरव बढ़ा रहा है।

News Editor

Mr. Chandan | Senior News Editor Profile Mr. Chandan is a highly respected and seasoned Senior News Editor who brings over two decades (20+ years) of distinguished experience in the print media industry to the Bengal Mirror team. His extensive expertise is instrumental in upholding our commitment to quality, accuracy, and the #ThinkPositive journalistic standard.

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