ASANSOL

ब्लैक फंगस के लिए बड़ी मात्रा में इंजेक्शन लगने के कारण इलाज महंगा

कैट ने उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया से फार्मा कंपनियों से बात कर कीमतें कम करने का किया आग्रह

बंगाल मिरर, संजीव यादव, बराकर ः कैट के राष्ट्रीय पदाधिकारी सुभाष अग्रवाला ने कहा कि ब्लैक फंगस का उपचार बहुत महंगा होने के कारण आम आदमी की पहुँच से बाहर है क्योंकि लिपोसोमल साल्ट जिससे ब्लैक फंगस के इंजेक्शन बनते हैं की कीमत लगभग 7 हजार रुपये है और ब्लैक फंगस से पीड़ित व्यक्ति के इलाज के लिए लगभग 70 से 100 इंजेक्शन की आवश्यकता होती है ! कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) आज इस मुद्दे पर गंभीरता जाहिर करते हुए केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री श्री मनसुख मंडाविया को एक पत्र भेजकर आग्रह किया है की जो फार्मा कंपनियां ये इंजेक्शन बना रही हैं , सरकार उनसे बात करके इन इंजेक्शनों की कीमतों को कम करवाए जिससे ब्लैक फंगस से संक्रमित आम आदमी भी अपना इलाज करा सके ! वर्तमान में, सिप्ला, भारत सीरम, सीलोन लैब्स, मायलन लैबोरेटरीज, एबॉट लेबोरेटरीज आदि इस इंजेक्शन का निर्माण कर रही है।

SUBHASH AGARWAL
SUBHASH AGARWAL FILE PHOTO

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल और कैट की फार्मास्युटिकल कमेटी के राष्ट्रीय संयोजक ने श्री मनसुख मंडाविया को भेजे पत्र कहा है की ब्लैक फंगस के इलाज के लिए पूरे देश में डॉक्टरों द्वारा निर्धारित एम्बोटेरिसिन बी -50 मिलीग्राम इंजेक्शन की कमी की ओर उनका ध्यान आकर्षित करते हुए कहा है की विभिन्न राज्यों में ब्लैक फंगस के मामलों में वृद्धि हुई है और इन इंजेक्शनों की मांग अचानक काफी हद तक बढ़ गई है जबकि इन इंजेक्शनों की बाजार में कमी है क्योंकि अब तक देश में इन इनेक्शनों की मांग लगभग न के बराबर थी और इस इंजेक्शन को बनाने वाली फार्मा कंपनियां केवल निर्यात के लिए ही इन इंजेक्शनों को बना रही थी लेकिन अब क्योंकि देश में ही इन इंजेक्शनों की मांग काफी बढ़ गई है, इसलिए बाजार में इनकी कमी होना स्वाभाविक है !

श्री खंडेलवाल और श्री ग्रोवर ने कहा कि इन इंजेक्शनों की एमआरपी लगभग 7000 रुपये प्रति इंजेक्शन है। चिकित्सा प्रोटोकॉल के अनुसार वर्तमान में डॉक्टर बीमारी की गंभीरता के आधार पर प्रत्येक व्यक्ति को इन इंजेक्शनों की 70 से 100 शीशियां लिख रहे हैं जिससे देश में एक आम आदमी के लिए इलाज बेहद महंगा और पहुँच से बाहर हो गया है। बाजार सूत्रों से हमें पता चला है कि पहले इन इंजेक्शनों को बनाने वाली फार्मा कंपनियां बाजार में करीब 2500 रुपये प्रति इंजेक्शन विशेष कीमत पर बाजार में यह इंजेक्शन दे रहीं थी !

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी. भरतिया ने कहा कि प्रत्येक रोगी के लिए अधिक मात्रा में इंजेक्शन की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए और इंजेक्शन की कीमतों को वहनीय बनाने के लिए कैट ने सरकार से इस मामले को उन फार्मा कंपनियों के साथ उठाने का आग्रह किया है जो इन इंजेक्शनों का निर्माण कर रही हैं और कहा है की वर्तमान महामारी के मद्देनज़र इन इंजेक्शनों की आपूर्ति को सरकार अपने k नियंत्रण में करें और इन इंजेक्शनों की आपूर्ति सीधे अस्पतालों को की जाए। ऐसे मामले में चूंकि वितरण श्रृंखला बीच में नहीं होगी, सरकार निर्माताओं के साथ बातचीत कर कीमत कम करवा सकती है जो कम से कम 2000 रुपये प्रति इंजेक्शन तक होने की सम्भावना है और इस प्रकार यह एक आम आदमी के लिए भी सस्ती होगी जिससे लोग अपना इलाज़ करा सकेंगे !

कैट ने कहा है कि भारतीय फार्मा उद्योग लगातार सरकार और लोगों को कोरोनावायरस महामारी के मौजूदा संकट में अपना सहयोग दे रहा है और हम उम्मीद करते हैं है कि ब्लैक फंगस के इलाज को सस्ता बनाने के लिए, फार्मा कंपनियां निश्चित रूप से इस अवसर पर आगे आएंगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *