ASANSOLसाहित्य

आसनसोल गर्ल्स कॉलेज हिंदी विभाग एवं आंतरिक गुणवत्ता सेल के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन

बंगाल मिरर, आसनसोल : हिंदी विभाग, आसनसोल गर्ल्स कॉलेज एवं आंतरिक गुणवत्ता सेल के संयुक्त तत्वावधान में एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन 26.6 .2021, शनिवार ,शाम 4:00 बजे आयोजित किया गया । जिसका विषय: ‘मानव मूल्य और हरिशंकर परसाई का साहित्यिक’ था।
वेबिनार का शुभारंभ कॉलेज की छात्रा नफीसा नाज के स्वागत गीत ‘वर दे वीणावादिनी ‘के माध्यम से आरंभ हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संदीप घटक महाशय ने कहा की वेबिनार का विषय वर्तमान संदर्भ में बहुत ही प्रसांगिक है।

वेबिनार के प्रथम वक्ता के रूप में दलित कवि, चिंतक, आलोचक, दिल्ली से जुड़े डॉ. जयप्रकाश कर्दम ने कहा कि मूल्य मनुष्यता को नैतिकता से जोड़ता है और वह मूल्य परसाई के साहित्य में यथावत मौजूद है। साथ ही साथ उन्होंने दलित समाज से परसाई के साहित्य को जोड़ते हुए वर्तमान मूल्य संकट की ओर भी इशारा किया। दूसरे वक्ता के रूप में प्रो. वेद रमण, आई.सी.सी. आर. चेयर ,महात्मा गांधी संस्थान, मॉरीशस, से इस आभासीय मंच के द्वारा जुड़े और वह मूल्य की ऐतिहासिकता की तह में जाकर वर्तमान मूल्य संकटों की ओर इशारा करते हुए परसाई के साहित्य के माध्यम से मानवीयता ,सत्ता ,व्यवस्था, बुद्धिजीवियों एवं राजनीतिक गलियारों के यथार्थ को अपने व्याख्यान से बेनकाब किया। परसाई का समग्र लेखन एक ऐसा आईना है जिसमें सिर्फ सामने की तस्वीर ही नहीं दिखती बल्कि दो तरफा तस्वीर दिखती है। जिसमें मनुष्य को उतर कर देखना चाहिए।

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इस वेबिनार की अध्यक्षता कर रहे प्रो. दामोदर मिश्र, कुलपति ,हिंदी विश्वविद्यालय, हावड़ा ,पश्चिम बंगाल ने अपने अध्यक्षीय व्याख्यान में पाठकों ,श्रोताओं के भीतर ज्ञान का सागर भरते हुए हरिशंकर परसाई के सामाजिक मानवीय प्रतिबद्धता को उजागर किया। वह व्यंग्य की धार में परसाई को श्रेष्ठ स्वीकार करते हुए कहा कि परसाई का साहित्य आत्मा को झकझोरता है, मानवीय मूल्यों की ओर सचेत करता है, मनुष्य बनने की प्रेरणा देता है ,इसलिए वर्तमान विषम परिस्थिति में मानवीय मूल्यों को सुरक्षित रखने की आवश्यकता है तभी मानवीयता भी जीवित रह पाएगी। इस वेबिनार के संचालक और संयोजक डॉ.विजेंद्र कुमार ,हिंदी विभागाध्यक्ष ने अपने संचालन में कहा कि वर्तमान मूल्य संकट के बीच परसाई की रचनाएं सम्पूर्णता में व्यक्ति के पास खड़ी होकर उनकी उर्जोस्विता को बढ़ाती है धन्यवाद ज्ञापन हिंदी विभाग के अध्यापक डॉ कृष्ण कुमार श्रीवास्तव ने दिया।

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