NHRC की रिपोर्ट पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई फटकार, जानें क्या है NHRC
बंगाल मिरर, एस सिंह : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष द्वारा गठित समिति ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा में कथित मानवाधिकार उल्लंघनों के मामलों पर अपनी रिपोर्ट बुधवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय को सौंप दी थी। आज कलकत्ता हाई कोर्ट ने उस रिपोर्ट पर सुनवाई करते हुए कई आदेश जारी किए। कलकत्ता हाईकोर्ट ने पुलिस को राज्य में हुई हिंसा के पीड़ितों के सभी मामले दर्ज करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को सभी पीड़ितों के लिए चिकित्सा उपचार सुनिश्चित करने और प्रभावितों के लिए राशन सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है, भले ही उनके पास राशन कार्ड न हों। कोर्ट ने NHRC की जांच को आगे बढ़ाते हुए सुनवाई की अगली तारीख 13 जुलाई तय की है।




क्या है राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग?
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission-NHRC) एक स्वतंत्र वैधानिक संस्था है, जिसकी स्थापना मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के प्रावधानों के तहत 12 अक्तूबर, 1993 को की गई थी। मानवाधिकार आयोग का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। यह संविधान द्वारा दिये गए मानवाधिकारों जैसे- जीवन का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार एवं समानता का अधिकार आदि की रक्षा करता है और उनके प्रहरी के रूप में कार्य करता है।
आयोग की संरचना (संशोधन के उपरांत)
NHRC एक बहु-सदस्यीय संस्था है। इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति (प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा का उप-सभापति, संसद के दोनों सदनों के मुख्य विपक्षी नेता तथा केंद्रीय गृहमंत्री) की सिफारिशों के आधार पर की जाती है। अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्षों या 70 वर्ष की उम्र, जो भी पहले हो, तक होता है। इन्हें इनके पद से केवल तभी हटाया जा सकता है, जब उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की जांच में इन पर दुराचार या असमर्थता के आरोप सिद्ध हो जाएं। इसके अतिरिक्त आयोग में पांच विशिष्ट विभाग, विधि विभाग, जांच विभाग, नीति अनुसंधान एवं कार्यक्रम विभाग, प्रशिक्षण विभाग और प्रशासन विभाग होते हैं। राज्य मानवाधिकार आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा राज्य के मुख्यमंत्री, राज्य के गृह मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष के परामर्श पर की जाती है।
मानवाधिकार (Human Rights)
“लोगों को उनके मानवाधिकारों से वंचित करना उनकी मानवता को चुनौती देना है।” – नेल्सन मंडेला संयुक्त राष्ट्र (UN) की परिभाषा के अनुसार मानव अधिकार जाति, लिंग, राष्ट्रीयता, भाषा, धर्म या किसी अन्य आधार पर भेदभाव किये बिना सभी को प्राप्त हैं। मानवाधिकारों में मुख्यतः जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, गुलामी और यातना से मुक्ति का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार और काम एवं शिक्षा का अधिकार, आदि शामिल हैं। कोई भी व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के इन अधिकारों को प्राप्त करने का हकदार होता है।
NHRC के कार्य और शक्तियां >
मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित कोई मामला यदि NHRC के संज्ञान में आता है या शिकायत के माध्यम से लाया जाता है तो NHRC को उसकी जाँच करने का अधिकार है। > इसके पास मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित सभी न्यायिक मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार है। > आयोग किसी भी जेल का दौरा कर सकता है और जेल में बंद कैदियों की स्थिति का निरीक्षण एवं उसमे सुधार के लिये सुझाव दे सकता है। > NHRC संविधान या किसी अन्य कानून द्वारा मानवाधिकारों को बचाने के लिये प्रदान किये गए सुरक्षा उपायों की समीक्षा कर सकता है और उनमें बदलावों की सिफारिश भी कर सकता है। > NHRC मानवाधिकार के क्षेत्र में अनुसंधान का कार्य भी करता है। > NHRC प्रकाशनों, मीडिया, सेमिनारों और अन्य माध्यमों से समाज के विभिन्न वर्गों के बीच मानवाधिकारों से जुड़ी जानकारी का प्रचार करता है और लोगों को इन अधिकारों की सुरक्षा के लिये प्राप्त उपायों के प्रति भी जागरूक करता है। > NHRC के पास सिविल न्यायालय की शक्तियाँ हैं और यह अंतरिम राहत भी प्रदान कर सकता है।
भारतीय संविधान और मानवाधिकार
भारतीय संविधान में भी भारतीय नागरिकों और विदेशी नागरिकों के लिये मौलिक अधिकारों के रूप में मानवाधिकारों से संबंधित प्रावधान किये गए हैं। 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ भारतीय संविधान अब तक के सबसे विस्तृत मौलिक संविधानों में से एक है। भारतीय संविधान की प्रस्तावना भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करती है। भारतीय संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों में मानवाधिकारों जैसे – जीवन का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार और समानता का अधिकार आदि का उल्लेख किया गया है।
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