ECL के वैक्सीन टेंडर पर उठे सवाल, सिर्फ वैक्सीन लगाने के लिए होगा 75 लाख का भुगतान, KMC अध्यक्ष ने सीएमडी को लिखा पत्र
बंगाल मिरर, आसनसोल : ईसीएल ( ECL ) प्रबंधन द्वारा कोविड वैक्सीन के लिए बीते 10 सितंबर को एक टेंडर को स्वीकृति प्रदान की गई है । इस टेंडर के अनुसार , कोलकाता के एक अस्पताल को टेंडर दिया गया है , जिसमे 75000 वैक्सीन डोज लगाने हेतु स्वीकृति दी गई है । प्रत्येक वैक्सीन डोज के लिए 630 रुपये की राशि निश्चित की गई है एवं इसके अतिरिक्त 100 रुपये की राशि वैक्सीन लगाने के लिए निश्चित की गई है । इस टेंडर के अनुसार सारी सुविधाएं जैसे , फर्नीचर , आवश्यक स्थान , इंटरनेट आदि ई.सी.एल प्रबंधन द्वारा प्रदान किया जाएगा । इसे लेकर कोयला मजदूर कांग्रेस के अध्यक्ष ने सीएमडी को पत्र लिखकर इसे लेकर आपत्ति जताई है।




राकेश कुमार ने कहा कि सभी जानते है कि भारत सरकार द्वारा जनवरी 2021 से ही निशुल्क टीकाकरण का कार्य आरंभ कर दिया गया था जो की ई.सी.एल ( ECL ) के विभिन्न अस्पतालों में भी चल रहा था , अनेकों श्रमिकों एवं उनके आश्रितों द्वारा इसका लाभ भी लिया जा चुका है । ऐसे में ई.सी.एल प्रबंधन द्वारा इतने दिनो बाद इतनी अधिक संख्या वैक्सीन डोज का टेंडर जारी करना कहा तक उचित है ? ई.सी.एल के पास अपने निजी क्षेत्रीय अस्पताल , कोलियरी स्तर के क्लिनिक , एवं सेंट्रल हॉस्पिटल कल्ला , साँक्टोरिया हॉस्पिटल , एवं पर्याप्त स्टाफ है , परन्तु उसका उपयोग न करते हुए किसी निजी संस्था को 100 रुपए प्रति वैक्सीन डोज के हिसाब 75 लाख रुपए मात्र वैक्सीन लगाने के लिए देना कहा तक उचित है ? जबकि सारी सुविधाएं तो स्वयं ई.सी.एल प्रबंधन ही प्रदान कर रहा है ।
महोदय , ई.सी.एल ( ECL ) के विभिन्न क्षेत्रीय अस्पतालों में बहुत लंबे समय से वैक्सीन लगाई जा रही है , ऐसे में स्वयं वैक्सीन न खरीदकर निजी संस्था को इतना बड़ा टेंडर देना कंपनी के रुपए की बरबादी है । होना तो यह चाहिए था की कंपनी प्रबंधन समय पर स्वयं वैक्सीन खरीदकर अपने संसाधनों का उपयोग करता और सभी कर्मचारियों एवं उनके आश्रितों को वैक्सीन उपलब्ध कराता जिससे कंपनी के धन की बचत होती अपितु कर्मचारी भी परेशान होने से बच जाते । आपसे अनुरोध है की इस सम्बन्ध में उचित निर्णय लेने की कृपा करें जिससे कंपनी के फंड् का समुचित उपयोग हो सके एवं फंड् की अनावश्यक बर्बादी से बचा जा सके । वहीं टेंडर करना ही था तो पहले करना चाहिए था, अब जब अधिकांश लोग वैक्सीन ले चुके हैं, तो ऐसे में इस टेंडर को लेकर सवाल उठना लाजिमी है।
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