KULTI-BARAKAR

ECL द्वारा मिशन इंद्रधनुष के तहत रंगारंग सांस्कृतिक समागम

बंगाल मिरर, साबिर अली, कुल्टी- आजादी के अमृत महोत्सव काल में सांस्कृतिक माह पौष माह के कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51(क)(च) एवं 351 के तहत कोयला क्षेत्र की कंपनी ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड में सामासिक संस्कृति के परिरक्षण, विकास व समृद्धि के निहितार्थ मिशन इंद्रधनुष के अंतर्गत भाषा, संगीत, नाट्य व नृत्य रूपक सांस्कृतिक समागम आयोजित की गई जो निदेशक (वित्त व कार्मिक) श्री गौतम कुमार दे, संस्कृति के संवाहक समस्त श्रमिक संगठन के प्रतिनिधिगण, सिस्टा एवं इनमोसा के प्रतिनिधिगण, सभी क्षेत्रीय कार्मिक प्रबंधक, मिशन इंद्रधनुष के नोडल अधिकारीगण एवं सभी वरिष्ठ अधिकारियों व कनिष्ठ अधिकारियों व कर्मचारियों से सुशोभित रहीं।

यह आयोजन विशेष रूप ईसीएल के श्रमिक संगठनों के समस्त प्रतिनिधियों (मुख्यालय एवं इनकी क्षेत्रीय शाखाओं सहित) के लिए किया गया था जिसमें सर्वश्री एस. के. पाण्डेय, जयनाथ चौबे, राजु चटर्जी, स्वपन कुमार मंडल, बी बी मुखर्जी, अपारजित बनर्जी, मृत्युंजय सिंह, माधव बनर्जी, नागेश्वर मोदी, लालबाबू सिंह, अनंत कवि सहित समस्त श्रमिक प्रतिनिधिगण उपस्थित रहें।अतिथियों का स्वागत, मंगलदीप प्रज्ज्वलन, गणेश वंदना और शिव तांडव के उपरांत

समागम की संचालिक व मिशन इंद्रधनुष की टीम लीड व प्रबंधक (कार्मिक) श्रीमति भाविनी त्रिपाठी सांस्कृति समागम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय संविधान के भाग 4(क) मूल कर्तव्य के अनुच्छेद 51(क)(च) के अनुसार भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा कि वह “हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करे तथा भाग-17 के अनुच्छेद 343 के अनुसार संघ का यह कर्तव्य होगा कि वह हिंदी भाषा का प्रसार बढ़ाए, उसका विकास करे जिससे वह भारत की सामासिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके और उसकी प्रकृति में हस्तक्षेप किए बिना हिंदुस्थानी में और आठवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट भारत की अन्य भाषाओं में प्रयुक्त रूप, शैली और पदों को आत्मसात करते हुए और जहां आवश्यक या वांछनीय हो वहां उसके शब्द-भंडार के लिए मुख्यतः संस्कृत से और गौणतः अन्य भाषाओं से शब्द ग्रहण करते हुए उसकी समृद्धि सुनिश्चित करे।

राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 4(4) के अधीन संसदीय राजभाषा समिति द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन की सिफारिश – राजभाषा (हिंदी) को लोकप्रिय बनाने के लिए समय-समय पर देश के भीतर एवं बाहर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन संबंधित संस्तुति को सिद्धांततः स्वीकृत करते हुए भारत के राष्ट्रपति ने कथित आयोजन करने का आदेश दिया है। जिसके तहत अष्ठम अनुसूची में उल्लिखित भाषाओं के क्षेत्र से कंपनी में कार्यरत कर्मियों एवं घ्रुपदी नृत्य कला केन्द्र के सहयोग से आज भाषा, संगीत, नाट्य व नृत्य रूपक सांस्कृतिक समागम हो रहा है।साथ ही, भारत के प्रधानमंत्री की मनसा व आदेश के अनुरूप आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत संस्कृति मंत्रालय एवं कोयला मंत्रालय द्वारा प्रदत्त दिशानिर्देशानुसार यह सांस्कृतिक समागम का आयोजन किया जा रहा है। 

यह आयोजन विशेष रूप से भारतीय संस्कृति के संवाहक श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधिगणों (मुख्यालय एवं इसकी क्षेत्रीय शाखाओं सहित) के लिए किया जा रहा है ताकि कोयला क्षेत्र से जुड़े समाज में सामासिक संस्कृति की समझ (verstehen) विकसित हो सके।तत्पश्चात स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए समागम नाट्य प्रस्तुति की ओर आगे बढ़ी। आजादी के अमृत महोत्सव काल में नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से ईसीएल परिवार शुद्धता से राष्ट्र की उन्नति नित नित रचने वाले सुभाष चंद्र बोस जी को नमन करते हुए ध्रुपदी नृत्य कला केन्द्र द्वारा नयनाभिराम नाट्य प्रस्तुति दी गई। नाटक का नाम – फ्रीडम फाइटर और निर्देशन किया है हेमंती बासु ने किया।

तत्पश्चात समागम की संचालिक श्रीमती भाविनी त्रिपाठी द्वारा मिशन इंद्रधनुष के ध्येय, परिकल्पना और गतिविधियों पर प्रकार डालते हुए श्रोताओं को बताया कि पूरी टीम विगत चारों वर्षों से सामासिक संस्कृति के विकास के प्रयासरत है और नित्य नए कीर्तिमान बनाते जा रहे हैं। सांस्कृति समागम के अगले पड़ाव में ईसीएल में कार्यरत विविध भाषायी संस्कृतियों के कर्मियों द्वारा अपनी संस्कृति पर ज्ञानवर्धक उक्तियाँ तथा क्रमशः नृत्य मंडली द्वारा क्षेत्रीय नृत्य प्रस्तुतियाँ दी गयीं।  श्रावणी चौधुरी ने बांग्ला संस्कृति, सुश्री पायला माधुरी ने दक्षिण भारतीय संस्कृति,  कदरका लावण्या ने ओड़िया संस्कृति, ऋषि श्याम गालिकर ने मराठी संस्कृति,  दिलखुश मीना ने राजस्थानी संस्कृति, श्रीमती नमिता माझी सरेन ने संथाली संस्कृति, श्री जसविंदर सिंह घुमन ने पंजाबी संस्कृति, मुजाम्बिम हुसैन ने कश्मीरी संस्कृति, हरीश कुमार यादव ने हरियाणवीं संस्कृति,  आकांक्षा इरा ने मैथिली संस्कृति एवं  भावना ने हिंदी संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए समस्त श्रोताओं को अपनी-अपनी संस्कृतियों का भान कराया।

प्रत्येक संस्कृति जुड़े वहाँ के लोकनृत्य की प्रस्तुति हुई, जिसमें रविन्द्र नृत्य, ओलियट्टम, लावणी, कालबेलिया, संथाली, भांगड़ा, राउफ लोकनृत्यों की प्रमुखता से ध्रुपदी नृत्य कला केन्द्र के कलाकारों द्वारा प्रस्तुति दी गई। भोजपुरी भाषा में महाप्रबंधक (कार्मिक व औ.सं.) श्री पवन कुमार श्रीवास्तव का संभाषण मनमोहक रहा। सौहार्द वातावरण में संपन्न सांस्कृति समागम में उपस्थित सभी गणमान्य जनों की गरिमायी उपस्थिति एवं कर्मियों की सहभागिता के लिए उप महाप्रबंधक (प्रशासन व राजभाषा) ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया।

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Mr. Chandan | Senior News Editor Profile Mr. Chandan is a highly respected and seasoned Senior News Editor who brings over two decades (20+ years) of distinguished experience in the print media industry to the Bengal Mirror team. His extensive expertise is instrumental in upholding our commitment to quality, accuracy, and the #ThinkPositive journalistic standard.

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