West Bengal : विवाद के बाद नियुक्ति प्रक्रिया होल्ड, टीएमसी उतरी बचाव में
बंगाल मिरर, आसनसोल : पश्चिम बंगाल को ऑपरेटिव सर्विस कमीशन ( West Bengal co-operative service commission ) द्वारा विभिन्न पदों के लिए निकाली गयी भर्ती में बांग्ला भाषा की अनिवार्यता पर विवाद शुरू होने के बाद इसे होल्ड कर दिया गया है । इसे लेकर भाजपा और सीपीएम राज्य सरकार पर हमलावर हो गये थे। मौके की नजाकत को भांपते हुए सरकार ने इसे तकनीकी गड़बड़ी बताते हुए नियुक्ति प्रक्रिया को होल्ड करने का निर्देश जारी किया है।
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![नियुक्ति प्रक्रिया होल्ड](https://bengalmirrorthinkpositive.com/wp-content/uploads/2022/01/FB_IMG_1642840110119-388x500.jpg)
कमीशन सचिव द्वारा जारी निर्देश में तहा गया है कि विज्ञापन संख्या 4/2021 और 05/2021 को कुछ तकनीकी कारणों से अगले आदेश तक होल्ड किया जा रहा है। जिन आवेदकों ने इसके लिए आवेदन कर दिया है, उन्हें फिर से आवेदन करना पड़ सकता है।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल को – ऑपरेटिव सर्विस कमीशन द्वारा जारी नोटिफिकेशन में उल्लेख किया गया था कि आवेदनकारी की मैट्रिक और इंटर में प्राथमिक या द्वितीय भाषा बांग्ला होनी चाहिए । कमीशन की इस शर्त से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे ऐसे प्रतिभागी आवेदन करने से वंचित रह जायेंगे , जिनकी भाषा बांग्ला नहीं रही है । इससे हिन्दी और उर्दू माध्यम से पढ़ाई करनेवालों में निराशा थी।
गौरतलब है कि भाजपा प्रत्याशी पूर्व मेयर जितेंद्र तिवारी की पत्नी चैताली तिवारी ने राज्य सरकार के इस नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए गैर बांग्ला भाषियों को उनके अधिकारों से वंचित करने का आरोप लगाया है । उनका कहना था कि उन्हें बांग्ला भाषा की अनिवार्यता से कोई दिक्कत नहीं है , लेकिन जिस तरह से अचानक से राज्य सरकार की नौकरियों में इसे लाद दिया गया , उस पर आपत्ति है । उन्होंने हिन्दीभाषी हितैषी कहने वाले तृणमूल कांग्रेस के हिन्दी प्रकोष्ठ को भी आड़े हाथों लिया था । कहा था कि हिन्दीभाषी होने का दिखावा छोड़ , सरकार के इस फैसले का विरोध करने का साहस दिखायें ।
वहीं सीपीएम प्रत्याशी इफ्तिखार नैय्यर ने भी विज्ञापन की प्रति सोशल मीडिया पर पोस्ट कर ममता सरकार पर निशाना साधते हुए उर्दू भाषियों को नौकरी से वंचित करने का आरोप लगाया था।
तकनीकी त्रुटि पर इतना हाय तौबा बचाना विपक्षी पार्टियों का दुराग्रह : मनोज यादव
इस मसले पर तृणमूल कांग्रेस हिंदी प्रकोष्ठ के राज्य उपाध्यक्ष मनोज यादव ने कहा कि एक स्वायतशाषी संस्था के विज्ञापन की तकनीकी त्रुटि पर इतना हाय तौबा बचाना विपक्षी पार्टियों का दुराग्रह है। तीन हिंदी माध्यम कॉलेजों की स्थापना,हिंदी माध्यम विश्विद्यालय,हिंदी में प्रश्नपत्र और हिंदी को द्वितीय राजभाषा का दर्जा ममता बनर्जी सरकार के सर्वभाषा हितैषी होने के पुख्ता प्रमाण हैं।
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वहीं अब टीएमसी कार्यकर्ता इसके बचाव में उतरे हैं। सरकार द्वारा नियुक्त प्रक्रिया होल्ड किये जाने का निर्देश सोशल मीडिया पर पोस्ट कर टीएमसी नेता मोहम्मद कमाल ने लिखा कि जो लोग राजनीतिक तौर पर भाषाई भेदभाव का आरोप लगाते हुए राज्य सरकार पर निशाना साध रहे थे, उन्हें सरकार ने बता दिया है कि सरकार किसी उर्दू या हिन्दी माध्यम के विद्यार्थियों का अधिकार नहीं छीन रही है। यह तकनीकी गड़बड़ी से हुआ था यह मानवीय भूल थी। सोशल मीडिया पर टीएमसी पर अनाप-शनाप आरोप लगाने से पहले जानकारी ले लें। कुछ लोग इसे निकाय चुनाव में मुद्दा बना रहे थे लेकिन उन्हें धन्यवाद जिन्होंने इस गड़बड़ी को सही मंच पर रखा।
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