Ukraine से Durgapur लौटी 2 बेटियां, भयावक अनुभव किया साझा
बंगाल मिरर, दुर्गापुर 1 मार्च। ( Comeback from Ukraine )आखिरकार लंबे सफर के बाद पानागढ़ बाजार निवासी मेडिकल की छात्रा ज्योति सिंह सोमवार शाम अपने घर लौट आई। पानागढ़ स्थित अपने घर लौटने के बाद उन्होंने मीडिया को यूक्रेन की विकट स्थिति और यूक्रेन से स्वदेश लौटने के अनुभव के बारे में बताया। ज्योति सिंह ने कहा कि उनके जैसे कई भारतीय छात्र अभी भी वहीं फंसे हुए हैं। यदि युद्ध की स्थिति बढ़ती है, तो उन्हें बाहर निकालना मुश्किल होगा। हालांकि, ज्योति ने भारत सरकार को धन्यवाद दिया।
उनके मुताबिक उनके यूक्रेन प्रवास के दौरान सबसे बड़ी समस्या खाने-पीने की थी। क्योंकि यूक्रेन की सरकार उनके साथ किसी भी तरह का सहयोग नहीं कर रही थी। भारतीय दूतावास की ओर से उन्हे बस से रोमानिया सीमा तक पहुंचाने की सारी व्यवस्था करने के साथ साथ भारत जाने के लिए विमान की व्यवस्था भी की गई। इसके अलावा बस से जब वे लोग रोमानिया बार्डर के लिए रवाना हुये तो उनके बस पर भारत का राष्ट्रीय धव्ज लगाने के लिए कहा गया। उसी अनुसार उन्होने भारत के राष्ट्रीय धव्ज को बस के सामने लगाकर वे लोग बस पर सवार होकर रोमानिया सीमा पर पहुंचे। क्योंकि उन्हें निर्देश दिया गया था कि यदि रूसी सेना भारतीय ध्वज को देख ले तो वे उन बसों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। इसी विश्वास के साथ वे रोमानियाई सीमा पर पहुँचे।
सोमवार शाम ज्योति सिंह के घर लौटने पर परिवार के लोग खुशी से झूम उठे। लड़की के घर लौटने पर ज्योति के माता-पिता और परिवार के सदस्यों ने राहत की सांस ली है। पेशे से शिक्षक ज्योति के पिता अशोक सिंह ने कहा कि वे और उनका परिवार पिछले कुछ दिनों से चैन की नींद नहीं सो पा रहे थे। बच्ची के घर लौटने पर उन्हें काफी राहत मिली है। हालांकि आने वाले दिनों में यदि यूक्रेन में हालात सामान्य हुई तो फिर वह विचार करेगा कि अपनी बेटी को फिर से उस देश में पढ़ने के लिए भेजा जाए की नहीं।
दूसरी और यूक्रेन में फंसी एमबीबीएस की छात्रा पर्णश्री दास की सकुशल घर वापसी से उसके परिजनों ने राहत की सांस ली है। पर्णश्री दास सोमवार की शाम अंडाल के काजी नज़रुल इस्लाम एयरपोर्ट पहुंची। जहां दुर्गापुर के एसडीओ शेखर चौधरी ने उनका स्वागत किया। रानीगंज विधानसभा क्षेत्र के विधायक सह अड्डा चेयरमैन तापस बनर्जी ने पर्णश्री के घर जाकर उनसे मुलाकात की। अंडाल के उखड़ा इलाके में रहने वाली छात्रा पर्णश्री दास ने बताया कि वह यूक्रेन के ट्रनोंपिल नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही थी। लेकिन अचानक रूस और यूक्रेन के बीच भीषण युद्ध शुरू हो गया और वहां के हालात बेहद खराब हो गए थे।