Ukraine से Durgapur लौटी 3 बेटियां, कहा जिंदगी भर रहेगी याद
नेहा, जीनत और बिपाशा लौटी
बंगाल मिरर, सोनू, अंडाल : ( Indian Students Comeback from Ukraine) यूक्रेन एवं रूस की लड़ाई के कारण यूक्रेन में हजारों भारतीय बुरी तरह से फंस चुके है जिन्हें सकुशल भारत वापस लाने के लिए भारत सरकार हर संभव प्रयासरत है। आपरेशन गंगा ( Operation Ganga ) के तहत यूक्रेन में जो फंसे है जिन्हें सरकार धीरे-धीरे भारत ला रही है। बुधवार को दुर्गापुर की तीन मेडिकल छात्राओं बिपाशा शाव, नेहा खान एवं जीनत आलम की सकुशल घर वापसी हुई। अंडाल स्थित काजी नजरुल इस्लाम हवाई अड्डे पर बुधवार की दोपहर तीनों छात्राओं का आगमन हुआ। यहां तीनों छात्राओं के परिजन समेत प्रशासनिक अधिकारी एवं दुर्गापुर पूर्व के विधायक लखन घरुई तथा तथा पांडवेश्वर के विधायक नरेंद्र नाथ चक्रवर्ती ने उनका अभिवादन किया।
अपने बच्चों को एक नजर देखने के लिए उनके अभिभावक बुधवार सुबह से ही व्याकुल थे। परिजन सुबह से ही हवाई अड्डे पर मौजूद दिखे। उनकी आंखों से खुशी के आंसू निकल रहे थे। कब अपने जिगर के टुकड़े को गले से लगाने का मौका मिले इस इन्तेजार में उनका एक-एक पल मानो एक दिन समान बीत रहा हो।छात्रों को दिल्ली से सवार कर हवाई जहाज ने जैसे ही अंडाल एयरपोर्ट में प्रस्थान किया यहां उन विद्यार्थियों को देखने के लिए हलचल मच गई। छात्रों के अभिभावकों के आंखों से खुसी के आंसू छलक पड़े। एयरपोर्ट के बाहर कदम रखते ही उनके स्वजनों ने उन्हें गले से लगा लिया। पुष्पगुच्छ दिया, फूलों का माला पहनाया एवं मिठाइयां खिलाकर उनका स्वागत किया।
जिन्नत आलम के पिता मोहम्मद सद्दार आलम एवं मां नास परवीन ने अपनी बेटी की घर वापसी पर भारत सरकार का जमकर शुक्रिया अदा किया। कहा इतनी विकट परिस्थिति में हमारे बच्चों को सही सलामत घर पहुंचाने का सारा श्रेय भारत सरकार को जाता है। सरकार ने मुसीबत की इस घड़ी में हमारे बच्चे की जिम्मेदारी अपने कंधे पर उठाई ऐसे में सरकार ने पूरे देश के अभिभावक का रोल अदा किया है। कहा सरकार ने जैसे हमारे बच्चे को सकुशल हमसे मिलाया है इसी प्रकार वहां फंसे सभी लोगों की सकुशल घर वापसी की दुआ करते है। नेहा खान की नानी ने कहा नेहा मेरे नौ नाती-पोतो में नेहा सबसे शांत मिजाज की थी। वह बचपन से ही विदेश में जाकर पढ़ने का शौक रखती थी। डॉक्टर बनने का जुनून इस कदर सर पर सवार था कि बचपन में उसके सारे खिलौने भी डॉक्टरी से संबंधित होते थे। इस कारण उसने कठिनाइयों के बावजूद परिश्रम किया एवं यूक्रेन में मेडिकल शिक्षा ग्रहण करने का मौका पाया।
हमें विश्वास नहीं था कि यह मौका उसके लिए जानलेवा साबित हो सकता है। परंतु शुक्र है भारत की सरकारी व्यवस्था का जिस कारण आज मेरी बच्ची जिंदा घर वापस लौट रही है। कहा जब तक स्थिति पूर्ण रूप से सामान्य नहीं होती तब तक हम अपनी बच्ची को पुनः यूक्रेन भेजने के बारे में सोच भी नहीं सकते।
भारत वापसी के बाद जिन्नत आलम ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में उन्होंने जिस भयंकर परिस्थिति से सामना किया है उसे वह जीवन भर नहीं भूल सकती
। ( Indian Students Comeback from Ukraine) बिपाशा साव ने कहा यूक्रेन से बस के माध्यम से उन्हें बॉर्डर तक लाया गया एवं रात के वक्त उन्होंने कई किलोमीटर पैदल चलकर बॉर्डर पार किया। चारों तरफ से गोले-बारूद चल रहे थे ऐसे में वे जिंदा अपने वतन तक लौट पाएंगे या नहीं इसकी कोई निश्चितता नहीं थी। नेहा खान ने बताया उन्हें यूक्रेन से बॉर्डर पार रोमानिया बॉर्डर पर लाया गया जहां से उन्होंने तकरीबन 25 किलोमीटर का पैदल सफर कर बॉर्डर पार किया बॉर्डर पार करने के बाद उन्हें दूसरे देश के एयरपोर्ट पर लाया गया जहां से उन्हें फ्लाइट के माध्यम से दिल्ली पहुंचाया गया। चूंकि वह सब बंगाल के थे इस कारण उन्हें दिल्ली के बंग भवन में शरण दी गई थी, जहां से सोमवार की सुबह उन्हें फ्लाइट के माध्यम से अंडाल लाया गया। अन्य दूसरे राज्यों के विद्यार्थियों के लिए दूसरे जगह पर व्यवस्था की गई थी।
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