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अमित जालान की कविता : “एक मजदूर हूं मैं”..

“एक मजदूर हूं मैं”..।।✍

कोई मजबूर नहीं, हर रोज़ नए संघर्ष से लड़ता हुआ “मजदूर” हूं मैं..।।ये पूरा का पूरा खुला नीला आसमान छत हैं मेरा,

और इस छत के नीचे अपने पुरे परिवार का भरण पोषण करने के लिए दिन रात कड़ी मेहनत करता हूं मैं।

जी हां,
कोई मजबूर नहीं, हर रोज़ नए संघर्ष से लड़ता हुआ “मजदूर” हूं मैं..।।

कोई शिकायत नहीं है मुझे अपने ईश्वर से, की उन्होंने हमें गरीब घर में क्यों जन्म दिया,
बल्कि हम तो शुक्रगुजार है उस ईश्वर के जिन्होंने हमारे भुजाओं में “मिट्टी को सोना” बनाने का हुनर दिया।

चाहे कड़ी धूप हो या हो बारिश की जोरदार बौछार,
हम अपने काम को पूरी निष्ठा से करने के लिए रहते हैं हर हाल में तैयार।

हम सब मजदूर भाई, अपने क्षमता अनुसार अलग अलग कार्यों को करते हैं,
इसलिए तो हमारे खून पसीने से किए कार्य द्वारा, हम दूसरों के जीवन में खुशियों की लहरों को भरते है।

हम जैसे भी हैं, हम खुश हैं अपनी छोटी सी दुनिया में,
बस ‘किस्मत’ से हमें इतना ही कहना है,

की कोई मजबूर नहीं, एक “मजदूर” हूं मैं,
पसीना बहा कर खाना खाता हूं,
किताबें हाथ नहीं लगी भरी बचपन में,
इसलिए हर रोज अपने शरीर को उस तपती कड़ी धूप में जलाता हूं।

उस तपती कड़ी धूप में जलाता हूं।।

अमित जालान की कविता
अमित जालान

📜 अमित जालान 📜
सुपुत्र – स्वर्गीय सुरेन्द्र जालान
आसनसोल

News Editor

Mr. Chandan | Senior News Editor Profile Mr. Chandan is a highly respected and seasoned Senior News Editor who brings over two decades (20+ years) of distinguished experience in the print media industry to the Bengal Mirror team. His extensive expertise is instrumental in upholding our commitment to quality, accuracy, and the #ThinkPositive journalistic standard.

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