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CAIT ने बताया कैसे GST को जटिल बना दिया

बंगाल मिरर, संजीव यादव : जीएसटी (GST ) लागू हुए करीब 5 साल हो गए हैं।देश भर के व्यापारियों ने इस टैक्स का स्वागत इस बात को ध्यान में रखकर किया था कि यह एक अच्छा और सरल टैक्स होगा।जीएसटी निश्चित रूप से एक अच्छा और सरल कर है लेकिन धीरे-धीरे यह व्यापारियों के लिए एक दुःस्वप्न सा बन गया है क्योंकि पोर्टल की अक्षमता, जीएसटी पोर्टल में बार-बार बदलाव और जीएसटी नियमों ने जीएसटी को काफी जटिल बना दिया है- ये कहना है कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT)का। कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से स्टेकहोल्डर्ज़ के परामर्श से जीएसटी कराधान प्रणाली की कुल समीक्षा करने और इसे एक ऐसा कानून बनाने का आग्रह किया है जो जीएसटी कानून और नियमों का पालन करके व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा दे सके। हर महीने जीएसटी संग्रह के बढ़ते आंकड़ों को एक सफल जीएसटी व्यवस्था नहीं कहा जा सकता क्योंकि प्रति माह जीएसटी संग्रह एक सकल मूल्य है जिसमें से इनपुट टैक्स का एक बड़ा हिस्सा कट जाता है- कैट ने कहा

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि जीएसटी पोर्टल की आवश्यकता के अनुसार अधिनियम में संशोधन किए गए जबकि पोर्टल को अधिनियम के अनुसार बनाया जाना चाहिए था। इससे व्यापारियों को काफी परेशानी हो रही है और अब भी कोई राहत नही मिली है। कुछ बुद्धिमानो ने इन पांच वर्षों में जीएसटी अधिनियम में 1100 संशोधन किए और व्यापारियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे हर बदलाव के बारे में जागरूक हों और अपने ज्ञान, सॉफ्टवेयर का उपयोग कर रहे हों और अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षित करें या नए प्रशिक्षित कर्मचारियों को नियुक्त कर क़ानून का पालन करे । जीएसटी में जिस तेजी से संशोधन किए गए हैं, उसके साथ तालमेल बिठाना किसी व्यक्ति के लिए लगभग असंभव है। इसके अलावा, व्यापारियों को विभाग की अक्षमता के लिए ऐसा कानून बनाकर पीड़ित करना कि यदि आपूर्तिकर्ता कर का भुगतान नहीं करता है तो खरीदार को आईटीसी नहीं मिलेगा, जीएसटी की अवधारणा को पूरी तरह से प्रभावित करता है। कारोबारियों के लिए जीएसटी का सफर रोलर कोस्टर की सवारी जैसा रहा। अब समय आ गया है कि व्यापार के प्रतिनिधियों को जीएसटी काउन्सिल का हिस्सा बनाया जाए और व्यापार से परामर्श करने के बाद कानून और प्रक्रियाएं बनाई जाएं। दरों और अनुपालन के संबंध में भी जीएसटी के नए सिरे से सुधार की आवश्यकता है

श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने आगे कहा कि एशियाई देशों में, भारत में जीएसटी दर के उच्चतम मानक है। दुनियाभर में यह चिली के बाद दूसरे स्थान पर है। शून्य-रेटेड उत्पादों के साथ गैर-शून्य रेटेड उत्पाद (3, 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत) एक राष्ट्र एक कर के सपने के बिल्कुल विपरीत हैं। पेट्रोलियम उत्पाद, बिजली और रियल एस्टेट अभी भी जीएसटी के दायरे से बाहर हैं जो जीएसटी में काफी हद तक विसंगतियां और असमानताएं लाता है और जीएसटी के मूल उद्देश्य के विपरीत है । 

श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने कहा कि जीएसटी रिटर्न फाइलिंग के मुद्दे जैसे की मल्टीप्ल फॉर्म, फॉर्म जीएसटीआर -2 बी से संबंधित मुद्दे, नियम 36 (4) का अनिवार्य अनुपालन, फॉर्म जीएसटीआर 3 बी के मुद्दे, फॉर्म ट्रान 1 में मुद्दे, छोटे व्यापार पर अतिरिक्त परिचालन लागत एकाउंटेंट रखने और लाभ उठाने जैसी व्यवसायसीए सेवाएं और भावात्मक और समय पर अनुपालन की लागत, ई-कॉमर्स पर सामान बेचने के लिए अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण, रिवर्स चार्ज और टीसीएस प्रावधानों के कारण पूंजी की रुकावट, प्रारंभिक और अंतिम रिटर्न के बीच तालमेल न होना, 4 साल से अधिक समय के बाद भी जीएसटी पोर्टल का निरंतर बैंड अथवा खराब रहना व्यपारियो के दुख का कारण है ।।वास्तविक अर्थों में इसे एक स्थिर, अच्छा और सरल कर बनाने के लिए जीएसटी कराधान प्रणाली को सुधार की तत्काल आवश्यकता है। अधिकारियों की शून्य जवाबदेही के साथ जटिल जीएसटी कर संरचना जीएसटी के कर आधार को बढ़ाने में एक प्रमुख रोड़ा बना हुआ है। इस नाते से जीएसटी के वर्तमान स्वरूप में बड़े बदलाव ज़रूरी है जिससे यह आम आदमी को राहत से कर पालना के लिए प्रेरित कर सके

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Mr. Chandan | Senior News Editor Profile Mr. Chandan is a highly respected and seasoned Senior News Editor who brings over two decades (20+ years) of distinguished experience in the print media industry to the Bengal Mirror team. His extensive expertise is instrumental in upholding our commitment to quality, accuracy, and the #ThinkPositive journalistic standard.

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