Shinzo Abe : स्टील कंपनी में नौकरी से प्रधानमंत्री तक, राजकीय शोक, सम्मान में आधा झुका तिरंगा
जापान के दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे ( Shinzo Abe ) के सम्मान में शनिवार को देश में एक दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा के मद्देनजर उन सभी इमारतों पर तिरंगा आधा झुका दिया गया, जहां इसे नियमित रूप से फहराया जाता है। उल्लेखनीय है कि जापान के सबसे शक्तिशाली और प्रभावी शख्सियतों में से एक शिंजो आबे की पश्चिमी जापान के नारा शहर में शुक्रवार को एक चुनावी सभा के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
सभी भवनों पर आधे पर झुके रहे राष्ट्रीय ध्वज
इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा था-“पूरे भारत में शोक के दिन शनिवार को राष्ट्रीय ध्वज उन सभी भवनों पर आधे पर झुके रहेंगे, जहां राष्ट्रीय ध्वज नियमित रूप से फहराए जाते हैं। शनिवार को कोई आधिकारिक मनोरंजन नहीं होगा। ” आबे की मौत की खबर से दु:खी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिन (शनिवार) के राजकीय शोक की घोषणा की थी। राजधानी दिल्ली के लाल किला और राष्ट्रपति भवन में भी शनिवार को राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया गया। राजकीय शोक के कारण राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में शनिवार को कोई चेंज ऑफ गार्ड समारोह नहीं होगा। पीएम मोदी ने आबे के निधन पर क्या कहा ? पीएम मोदी ने आबे के निधन पर कहा है-“ मैं जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की ( Shinzo Abe ) हत्या से स्तब्ध हूं और इस पर दु:ख व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। वह मेरे सबसे प्रिय मित्रों में एक थे। वह दुनिया के कद्दावर राजनेता और उनकी प्रशासनिक क्षमता उल्लेखनीय थी। शिंजो आबे ने अपना पूरा जीवन जापान और दुनिया को बेहतर स्थान बनाने के लिए समर्पित कर दिया। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा है- “ मेरे लिए यह व्यक्तिगत रूप भी दुखद है। आबे के साथ मेरी 25 वर्ष की यादें जुड़ी हैं। मुझे अपना दु:ख व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं मिल रहे हैं।”
Shinzo Abe : भारत के जन मन में बने रहेंगे शिंजो आबे
उल्लेखनीय है कि पीएम मोदी शुक्रवार को जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को याद करते हुए भावुक हो उठे थे। उन्होंने कहा कि जापान के सहयोग से भारत में हो रहे कामों के चलते शिंजो आबे सालों तक भारत के जन मन में बने रहेंगे। प्रधानमंत्री ने भावुक होते हुए कहा, “आज का दिन एक अपूरणीय क्षति और असहनीय पीड़ा का दिन है। उनके घनिष्ठ मित्र और जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे अब हमारे बीच में नहीं रहे।” आबे के कार्यकाल में भारत-जापान के राजनीतिक संबंधों को मिलीं नई ऊंचाइयां दिल्ली में अरुण जेटली स्मृति व्याख्यान में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आबे एक विश्वसनीय दोस्त थे। उनके कार्यकाल में भारत-जापान के राजनीतिक संबंधों को नई ऊंचाइयां मिलीं। साथ ही दोनों देशों की विरासत को जोड़ते हुए रिश्तों को आगे बढ़ाया गया।
नारा में आबे ( Shinzo Abe )की स्मृति में बनाया गया अस्थायी स्मारक
उधर, पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या से पूरा जापान सदमे में है। शनिवार को नारा शहर से आबे की पार्थिव देह को राजधानी टोक्यो लाया गया। यहां लोगों ने नम आंखों से अपने प्रिय नेता को विदाई दी। अपने नेता की हत्या से आहत नारा शहर के नागिरकों ने घटनास्थल पर अस्थायी स्मारक तैयार किया। लोगों ने स्मारक पर पहुंचकर श्रद्धासुमन अर्पित कर शिंजो की मौत पर दुख जताया। जापान के सबसे प्रसिद्ध राजनेता की हत्या ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है। दुनिया सदमे में है। इस बीच जापान सरकार ने संसद के ऊपरी सदन के चुनाव टालने से इनकार कर दिया है। ऊपरी सदन के चुनाव रविवार को होने हैं। उल्लेखनीय है कि नारा शहर में चुनाव प्रचार के दौरान एक युवक ने आबे को गोली मारकर हत्या कर दी थी।
21 सितंबर, 1954 को टोक्यो में हुआ था Shinzo Abe का जन्म
शिंजो आबे का जन्म टोक्यो में 21 सितंबर, 1954 को हुआ था। शिंजो के पिता शिंतारो आबे जापान में युद्ध के बाद के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले और लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख सदस्य थे। उनकी मां योको किशी जापान के पूर्व प्रधानमंत्री नोबोसुके किशी की बेटी थीं। शिंजो ने अपनी शिक्षा सेइकी एलीमेंट्री स्कूल से शुरू की और फिर सेइकी जूनियर हाईस्कूल और सेइकी सीनियर हाईस्कूल में पढ़ाई की। बाद में राजनीतिक विज्ञान का अध्ययन करने के लिए सेइकी विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और यहां से 1977 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। शिंजो आबे सार्वजनिक नीति का अध्ययन करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए। वह केवल तीन सेमेस्टर तक वहां रुके और 1979 की शुरुआत में जापान लौट आए।
Shinzo Abe का ऐसे हुआ था राजनीति में प्रवेश
वह युवावस्था में ही राजनीति में सक्रिय हो गए। लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी की जनरल काउंसिल के अध्यक्ष के निजी सचिव के रूप में अपने करियर की शुरुआत करते हुए ढाई दशक के भीतर पार्टी के अध्यक्ष और जापान के प्रधानमंत्री चुने गए। जब वह दूसरी बार अध्यक्ष बने, तो सबसे पहले टोक्यो के यासुकुनी श्राइन की यात्रा की। यहां द्वितीय विश्व युद्ध में शहीद सैनिकों का स्मारक है। 1987 में आबे ने अकी मतसुजाकी से शादी की। उनके पिता शिंतारो आबे की 1991 में मृत्यु हो गई। 1993 में शिंजो आबे ने अपने पिता की मृत्यु से खाली हुए यामागुची प्रान्त के पहले जिले से सीट जीतकर प्रतिनिधि सभा में प्रवेश किया। 1999 में शिंजो आबे सामाजिक मामलों के प्रभाग के निदेशक बने। 2002 से 2003 तक आबे ने उप मुख्य कैबिनेट सचिव का पद संभाला। 2002 में उत्तर कोरिया ने 13 जापानी नागरिकों के अपहरण की बात स्वीकार की तो आबे को उनकी सरकार ने अपहरणकर्ताओं के परिवारों की ओर से बातचीत के लिए चुना। उत्तर कोरिया के खिलाफ आबे के कड़े रुख को राष्ट्र ने काफी सराहा और उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी।
वह 2003 में लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के महासचिव बने। आबे को 20 सितंबर, 2006 को अध्यक्ष चुना गया। छह दिन बाद प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव हुआ। आबे ने यह चुनाव बहुमत से जीता। इसके बाद कई उतार-चढ़ाव आए। 26 दिसंबर, 2012 को आबे दोबारा जापान के प्रधानमंत्री बने। उन्होंने पहली बार जापान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की स्थापना की और सैन्य विस्तार के लिए एक पंचवर्षीय योजना की घोषणा की। 2014 की दूसरी छमाही से जापान मंदी में चला गया और आबे की लोकप्रियता में गिरावट आई। आबे ने निचले सदन के चुनाव का आह्वान किया। 14 दिसंबर, 2014 को हुए चुनाव में उनकी पार्टी ने शानदार जीत हासिल की।
दादा से विरासत में मिली राजनीति, सर्वाधिक समय तक रहे जापान के प्रधानमंत्री
आबे को अपने दादा से विरासत में राजनीति मिली थी और वे सर्वाधिक लंबे समय तक जापान के प्रधानमंत्री रहे। उनके दादा नोबुसुके किशी भी जापान के प्रधानमंत्री रहे थे। शिंजो आबे अपने दादा के मार्गदर्शन में आगे बढ़े। आबे ने जापान को सैन्य रूप से ज्यादा ताकतवर बनाने तथा अंतरराष्ट्रीय मामलों में देश की बड़ी भूमिका पर ध्यान दिया। आबे ने 2020 में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले वे सर्वाधिक समय तक देश के प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने इसाकू सातो के रिकॉर्ड को तोड़ा जो 1964 से 1972 तक 2,798 दिन प्रधानमंत्री रहे।
( Shinzo Abe ) 2006 में 52 वर्ष की उम्र में बने जापान के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री
आबे 2006 में 52 साल की उम्र में जापान के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बने थे, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से उनका पहला कार्यकाल एक साल बाद अचानक समाप्त हो गया। वे पहले 26 सितंबर 2006 से 26 सितंबर 2007 तक और फिर 26 दिसंबर 2012 से 16 सितंबर 2020 तक जापान के प्रधानमंत्री रहे। आबे ने यह कहते हुए प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था कि उनकी एक पुरानी बीमारी अल्सरेटिव कोलाइटिस फिर से उभर आई है। आबे ने उस समय पत्रकारों से कहा था कि अपने कई लक्ष्यों को अधूरा छोड़ना उनके लिए परेशान करने वाली बात है।
आबे: स्टील कंपनी में नौकरी से प्रधानमंत्री तक
21 सितंबर, 1954: टोक्यो में जन्म 1977: टोक्यो के सेइकी विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक 1979: कोबे स्टील कंपनी में नौकरी 1982: विदेश मंत्रालय में काम के लिए नौकरी छोड़ी 1993: पहली बार यामागुची के दक्षिण-पश्चिमी प्रांत से जनप्रतिनिधि चुने गए 2005 : प्रधानमंत्री जुनीचिरो कोइजुमी सरकार में मुख्य कैबिनेट सचिव नियुक्त 2006 : पहली बार जापान के प्रधानमंत्री बने। 2007 : स्वास्थ्य कारणों से प्रधानमंत्री पद छोड़ा 2012 : दूसरी बार प्रधानमंत्री बने 2020 : फिर स्वास्थ्य कारणों से प्रधानमंत्री पद छोड़ा।
2021 में पद्म विभूषण से सम्मानित
भारत अपनी दोस्ती के लिए पूरे विश्व में मशहूर है। जापान के साथ भारत का कुछ ऐसा रिश्ता था कि दोनों देश हमेशा एक दूसरे के साथ खड़े रहते हैं। पीएम मोदी और शिंजो आबे की दोस्ती का भी अंदाजा इस बात से भी लगा सकते हैं कि भारत सरकार ने जनवरी 2021 में शिंजो आबे को भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। भारत और जापान के बेहतर संबंधों में आबे की अहम भूमिका मानी जाती है।
जापान के पीएम रहते हुए सबसे ज्यादा बार भारत दौरा
वैसे भारत और जापान की दोस्ती काफी पहले से चली आ रही है। लेकिन पीएम मोदी ने उस दोस्ती को एक नया आयाम दिया। यही वजह रही कि प्रधानमंत्री रहते हुए शिंजो आबे सबसे अधिक तीन बार भारत के दौरे पर आए थे। आबे जनवरी 2014, दिसंबर 2015 और सितंबर 2017 में भारत के आधिकारिक दौरे पर आए थे। पीएम रहते हुए शिंजो आबे में जब भारत आए तो पीएम मोदी उन्हें बनारस लेकर गए थे। जहां दोनों नेताओं ने एक साथ दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती में शामिल हुए। शिंजो आबे का भारत की संस्कृति और सभ्यता के प्रति खास स्नेह था। इसके बाद जब वो साल 2017 में भारत आए तो पीएम मोदी उन्हें अहमदाबाद लेकर गए। इसके अलावा जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे ने स्वच्छ भारत मिशन में भी अपना सहयोग देने के लिए आगे आए थे। एक लिखित संदेश में आबे ने कहा था कि जापान भारत के साथ सहयोग करेगा, जो पीएम मोदी के नेतृत्व में स्वच्छ भारत पहल को बढ़ावा दे रहा है।
शिंजो आबे के कार्यकाल में भारत-जापान रिश्ते
देश आज विकास की नई इबारत लिख रहा है। चाहे मेट्रो हो या बुलेट ट्रेन जापान इसमें भारत का सहयोगी है। दरअसल, भारत-जापान के बीच रिश्तों में दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन एक अहम कड़ी है। भारत की पहली बुलेट ट्रेन जापान की मदद से ही बन रही है। सिर्फ यही नहीं दिल्ली मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर हो या डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर हो जापान के सहयोग से बन रहे ये प्रोजेक्ट नए भारत की ताकत बन रहे हैं। इसके अलावा भी भारत और जापान आज कई परियोजनाओं समेत आर्थिक, व्यापारिक, रक्षा और कई अलग-अलग क्षेत्रों में सहयोगी हैं। खास बात ये रही कि शिंजो आबे के कार्यकाल में ही इन परियोजनाओं पर समझौता हुआ। इसके अलावा भी भारत और जापान आज कई परियोजनाओं समेत आर्थिक, व्यापारिक, रक्षा और कई अलग-अलग क्षेत्रों में सहयोगी हैं। खास बात ये रही कि शिंजो आबे के कार्यकाल में ही इन परियोजनाओं पर समझौता हुआ। पीएम मोदी ने एक कार्यक्रम में कहा था कि दोनों देश वन टीम वन प्रोजेक्ट के तौर पर काम कर रहे हैं।