जीएसटी परिषद के फैसले पर देश भर में विरोध और गुस्सा
बंगाल मिरर, संजीव यादव : आज पोस्टा बाजार मर्चेंट एसोसिएशन के साथ संयुक्त रूप से पोस्टा में उनके सम्मेलन हॉल में कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स के परिसंघ की एक बैठक आयोजित की गई। बैठक में श्री सीतानाथ घोष, विधायक एवं पोस्टा एसोसिएशन के अध्यक्ष, पोस्टा महासचिव श्री बिश्वनाथ अग्रवाल, कैट के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्री बृज मोहन अग्रवाल, कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री सुभाष चंद्र अग्रवाला, कैट की क्षेत्रीय आयोजन सचिव पूर्वी भारत मिस सिद्धि जैन, कैट के वेस्ट बंगाल चैप्टर के अध्यक्ष श्री मुकेश सिन्हा, कैट वेस्ट बंगाल चैप्टर की महासचिव श्रीमती रीता मित्रा,कैट वेस्ट बंगाल चैप्टर के उपाध्यक्ष श्री मनोज कुमार जालान एवं पोस्टा एसोसिएशन के अन्य कार्यकारी सदस्य और विभिन्न जिलों से कैट के सदस्यों सहित करीब 250 से अधिक व्यापारियों ने हिस्सा लिया।
यह बैठक प्री-पैक और प्री-लेबल वाले अनाज, दही, छाछ आदि पर 5% जीएसटी लगाने के जीएसटी परिषद के हालिया फैसले के विरोध में आयोजित की गई थी। इस निर्णय की देश के व्यापारिक समुदाय और खाद्यान्न संघों ने कड़ी आलोचना की है। जब जीएसटी लागू किया गया था, तो यह बताया गया था कि सभी खाद्यान्न और खाद्य वस्तुओं को जीएसटी के पूर्वावलोकन से बाहर रखा जाएगा। जीएसटी परिषद अब अपने शब्दों से पीछे हट गई है और गैर-ब्रांडेड प्री-पैक और प्री-लेबल वाले खाद्यान्न और खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी लगा दिया है। विधायक श्री सीतानाथ घोष, ने बताया कि इस फैसले का पश्चिम बंगाल सरकार विरोध कर रही है।
श्री बृज मोहन अग्रवाल और श्री सुभाष चंद्र अग्रवाल ने बताया कि जीएसटी परिषद के इस फैसले पर देश भर में भारी हंगामा, विरोध और गुस्सा है। इस निर्णय से केवल बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बड़े कॉरपोरेट घरानों को मदद मिलेगी और करोड़ों व्यापारियों को अपनी दुकान बंद करने और व्यवसाय से बाहर जाने को मजबूर होना पड़ेगा क्योंकि वे बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम नहीं होंगे जो घाटे में चल रहे फंडिंग और ब्रांड निर्माण का व्यवसाय कर रहे हैं। छोटे व्यापारियों के लिए व्यापार की हानि भारत के गरीब नागरिकों के लिए खाद्य पदार्थों की लागत में वृद्धि के अलावा भारी बेरोजगारी का कारण बनेगी।
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि भारत के विभिन्न राज्यों में कैट के सभी सदस्य ऐसे निर्णयों का विरोध करते हुए अपनी-अपनी सरकारों को पत्र लिखेंगे। आगे यह निर्णय लिया गया कि यदि जीएसटी परिषद द्वारा निर्णय वापस नहीं लिया गया, तो देश के व्यापारी कैट के बैनर तले भारत बंद बुलाने के लिए मजबूर होंगे। यदि इस बंद के कारण देश में भोजन की कमी होती है, तो सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए न कि व्यापारियों को। इसके बाद व्यापारियों ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ बैनर, तख्तियां और नारेबाजी करते हुए सड़कों पर विशाल रैली निकाली ।