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SAIL NJCS Sub Committee Latest News : ठेका श्रमिकों के AWA में 30 फीसदी वृद्धि का प्रस्ताव

बंगाल मिरर, एस सिंह, बर्नपुर ( SAIL NJCS Sub Committee Latest News) सेल में कार्यरत हजारों ठेका श्रमिकों के  वेतन समझौता और अन्य सुविधाओं को लेकर एनजेसीएस सब कमेटी की बैठक गुरुवार को हुई। बैठक में प्रबंधन के अधिकारियों के अलावा एनजेसीएस सदस्य इंटक से बीएन चौबे , सीटू से ललित मोहन मिश्र , एचएमएस के संजय वढावकर , एटक से रामाश्रय प्रसाद और बीएमएस से देवेंद्र पांडेय बैठक में शामिल थे । इस दौरान प्रबंधन ने ठेका श्रमिकों के एडब्लूए में 30 फीसदी वृद्धि का प्रस्ताव दिया। अब इसे लेकर अगली बैठक में फैसला होगा। इसके पहले की बैठक में प्रबंधन 10 फीसदी वृद्धि का ही प्रस्ताव दे रहा था। घंटों चली बैठक में काफी खींचतान के बाद प्रबंधन 30 फीसदी तक पहुंचा।

वहीं सीटू नेता ललित मोहन मिश्रा ने प्रबंधन के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई ।  प्रबंधन के एडब्लूए में 30 प्रतिशत वृद्धि के प्रस्ताव को सीटू ने खारिज करते हुए  ठेका श्रमिकों के लिए वेज बोर्ड की मांग की । तब प्रबंधन ने बढ़े हुए एडब्ल्यूए ( 30 प्रतिशत ) को अंतरिम आधार पर लागू करने को कहा । सीटू ने फिलहाल वार्ता के स्तर में अंतरिम राहत के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है और वेतन के अंतिम निपटान की मांग की । इस दौरान पदनाम का मुद्दा भी उठाया गया । पुरानी भर्ती नीति को वापस करने की मांग की गई । वेतन संशोधन के आंदोलन के दौरान प्रबंधन द्वारा किये गए दंड , स्थानांतरण और निलंबन आदेशों को वापस लेने की भी मांग की गई ।

स्टील वर्कर्स फेडरेशन आफ इंडिया के महासचिव ललित मोहन मिश्रा ने कहा कि प्रबंधन को ठेका श्रमिकों के योगदान को स्वीकार करना पड़ा और न केवल उत्पादन स्तर को बनाए रखने बल्कि बढ़ाने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करना पड़ा। प्रबंधन ने इंगित किया है कि हमें 2025 तक उत्पादन स्तर 46.9 मीट्रिक टन तक बढ़ाना होगा। लेकिन अनुबंध श्रमिकों की मजदूरी बढ़ाने के लिए ऐसा रवैया नहीं था। प्रबंधन ने शुरुआत में उस राशि का प्रस्ताव रखा था जो उन्होंने पिछली बैठक में प्रस्तावित की थी यानी भत्ते में 25 प्रतिशत की वृद्धि (एडब्ल्यूए) केवल।

 उन्होंने यह भी बताया कि बर्नपुर और राउरकेला के बाद भिलाई में भी दुर्घटना बीमा योजना को अंतिम रूप दिया गया है. हमें इस बीमा योजना को अन्य सभी इकाइयों में विस्तारित करना है। उन्होंने सुरक्षा जागरूकता में सुधार के लिए आरपीएल (रिकग्निशन प्रायर लर्निंग) के बारे में भी जानकारी दी। एसडब्ल्यूएफआई/सीटू ने मांग की है कि ठेका श्रमिकों का न्यूनतम वेतन इस्पात उद्योग में स्थायी श्रमिकों के न्यूनतम वेतन के बराबर हो। हमने यह मुद्दा उठाया है कि कंपनी की वित्तीय स्थिति इतनी स्थिर है कि ठेका श्रमिकों के लिए वेतन संरचना प्रदान कर सके। अन्य सभी यूनियनों ने अब भी ठेका श्रमिकों के न्यूनतम वेतन की मांग का समर्थन किया है।

 प्रबंधन ने अपने पुराने प्रस्ताव को दोहराया और केंद्र सरकार द्वारा अधिनियमित मजदूरी (फ्लोर वेज) की संहिता पर एक दलील ली। सीटू ने प्रस्ताव और ठेका श्रमिकों के वेतन और अन्य मांगों पर प्रबंधन के रवैये पर कड़ी आपत्ति जताई है। अंतत: प्रबंधन ने एडब्ल्यूए में 30 प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव रखा। हमने मामूली वृद्धि के प्रस्ताव को खारिज कर दिया, वह भी केवल भत्ते में और अनुबंध श्रमिकों के लिए वेतन संरचना के साथ-साथ मजदूरी में उचित वृद्धि की मांग की। तब प्रबंधन ने अंतरिम उपाय के रूप में AWA में 30 प्रतिशत की वृद्धि की पेशकश की। 

 सीटू/एसडब्ल्यूएफआई ने अंतिम समझौता वार्ता के इस चरण में अंतरिम राहत के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है और मांग की है कि ठेका कर्मियों के पारिश्रमिक में जो भी वृद्धि हो, उसे सभी उद्देश्यों के लिए वेतन के रूप में माना जाना चाहिए। बैठक बिना किसी निष्कर्ष के समाप्त हो गई।

वहीं अब कल पुन: सब कमेटी की बैठक होगी। जिसमें सेल के स्थायी कर्मियों के 39 महीने के एरियर भुगतान, एचआरए आदि को लेकर फैसला होना था। लेकिन ओडिशा हाईकोर्ट में बीएमएस द्वारा इसे लेकर मामला किये जाने के बाद शायद ही बैठक में कुछ वार्ता हो पायेगी। इस मामले की सुनाई 10 अगस्त को होनेवाली है। होईकोर्ट के फैसले के बाद ही अब इस पर बात आगे बढ़ेगी। वहीं मामला दर्ज होने के बाद प्रबंधन ने आनन-फानन में बैठके मिनट्स जारी कर दिये हैं। 

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