MOMO THE GAME OF DEATH MOVIE : युवाओं के भविष्य व जान की दुश्मन बन चुकी मोबाईल गेमिंग पर आधारित फिल्म
डायरेक्टर का दावा सिनेमा के जरिये देश की आम जनता को मोबाईल गेमिंग के जरिये जागरूक करने का है एक छोटा सा प्रयासशूटिंग के दौरान कई बाधाओं का उनको करना पड़ा है सामना मिल चुकी है धमकी
शूटिंग के दौरान कई बाधाओं का उनको करना पड़ा है सामना मिल चुकी है धमकी
बंगाल मिरर, आसनसोल : ( MOMO THE GAME OF DEATH MOVIE ) युवाओं के भविष्य व जान की दुश्मन बन चुकी मोबाईल गेमिंग पर आधारित फिल्म ) पश्चिम बंगाल के आसनसोल मे मंगलवार को मोबाईल गेमिंग पर आधारित बनी एक बांग्ला सिनेमा मोमो द गेम ऑफ़ डेथ का रिलीज होने की तारीख की घोषणा की गई, फ़िल्म के डायरेक्टर राहुल साहा ने बताया की यह सिनेमा बहोत पहले रिलीज हो जाती पर कोरोनाकाल के दौरान हुई लॉकडाउन के कारण फ़िल्म की सूटिंग नही हो पाई, जिस कारण फ़िल्म की रिलीज होने मे काफी लेट हो गया, उन्होंने कहा की इस फ़िल्म की सूटिंग पूरी होने मे उनको करीब डेढ़ वर्ष लग गया, तब जाकर यह फ़िल्म पूरी तरह रिलीज होने के लिये तैयार हो चुकी है, उन्होने कहा यह फ़िल्म देश के युवाओं के भविष्य व उनकी जान की दुश्मन बन चुकी मोबाईल गेमिंग के आधार पर बनी है,
![](https://bengalmirrorthinkpositive.com/wp-content/uploads/2024/05/img-20240520-wa01481045365085360283686-500x428.jpg)
![](https://bengalmirrorthinkpositive.com/wp-content/uploads/2024/09/img-20240909-wa00806721733580827251668.jpg)
![](https://bengalmirrorthinkpositive.com/wp-content/uploads/2024/12/fb_img_17339279922403722767543487143310-476x500.jpg)
![](https://bengalmirrorthinkpositive.com/wp-content/uploads/2023/02/IMG-20230207-WA0024-500x281.jpg)
उन्होंने कहा की जिस तरह मैक्सीको के बाद पुरे भारत मे मोमो नामक एक मोबाईल गेम ने पैर पासारा था, जिस गेम के चक्कर मे आकर कई युवा मौत के घाट उतर गए उन युवाओं मे बंगाल के करीब 122 युवा थे, जिन्होने भी इस गेम की चपेट मे आकर अपनी जान गँवाई थी, इस मोबाईल गेम का सिलसिला यहीं ख़त्म नही हुआ, इस गेम के बाद भारत मे ब्लु व्हेल, पब्जी जैसी ऐसी कई मोबाईल गेम हैं, जो गेम हमारे देश के पाँच वर्ष के बच्चों से लेकर 40 वर्ष तक के युवाओं को अब धीरे – धीरे अपने चपेट मे ले रही है, जिससे एक तरफ जहाँ युवाओं के भविष्य से तो खिलवाड़ हो ही रहा है, तो वहीं दूसरी ओर उनकी जान पर भी आफत बन चुकी है यह मोबाईल गेम, जिसका सीधा फायदा विदेशी कंपनीययां व साईबार अपराधी उठा रहे हैं, उन्होने कहा उनको इस फ़िल्म को बनाने मे करीब डेढ़ वर्ष लगे हैं, साथ ही करीब 60 लाख रुपए का बजट भी लगा है, तब जाकर यह सिनेमा पूरी तरह तैयार हो सका है,
उन्होंने कहा उनका यह कॉन्सेप्ट अन्य सिनेमा के कॉन्सेप्ट से बिलकुल अलग था, जिस कारण उनके लिये यह सिनेमा बनाना काफी चुनौतीपूर्ण हो चूका था, उन्होने कहा इस सिनेमा को बनाने के दौरान को कई बार धमकियां भी मिली कई बधाएं भी आई पर उन्होंने हार नही मानी और इस सिनेमा को इस मकसद से पूरा करने मे जुट गए, की चाहे इस सिनेमा मे उनको लॉस क्यों नही झेलना पड़े पर वह इस सिनेमा को बांग्ला भाषा के आलावा भारत के अन्य भाषाओं मे भी लॉन्च करेंगे और इस सिनेमा को पुरे देश के सिनेमाघरों मे दिखाने का प्रयास करेंगे, वह इस लिये की इस सिनेमा को देख देश की जनता जागरूक हो और अपने बच्चों व अपने पुरे परिवार को मोबाईल गेमिंग से दूर रखने का काम करें, उन्होंने कहा उनका यह एक छोटा सा प्रयास देश की आने वाली भविष्य को सुधारने व संवारने मे बहोत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का काम करेगा, उन्होंने कहा उनके इस कम बजट से बनी इस सिनेमा मे भले ही बड़े व महंगे अभिनेता नही दिखेंगे पर इस सिनेमा मे उन्होंने नए कलाकारों को अभिनय करने का मौका दिया है, उनका दावा है की उनके यह नए कलाकार अपनी भूमिका से दर्सकों के दिल मे उतरने का काम जरूर करेंगे,
- चेंबर की पिकनिक, ट्रेड फेयर को सफल बनाने पर जोर, उद्घाटन 8 को
- দামোদর নদী থেকে উদ্ধার অজ্ঞাত পরিচয় ব্যক্তির মৃতদেহ
- সিজানো পরবের পরে গ্রামে ডায়রিয়ার প্রকোপ ! ২৭জন ভর্তি হাসপাতালে
- Mahakumbh का चमत्कार, 15 साल बाद लौटी याददाश्त, कोडरमा का अर्जुन वापस मिला परिवार से
- আসানসোল জেলা হাসপাতালের সুপারকে স্মারকলিপি