Raju Jha कहां खा गये गच्चा की गंवानी पड़ी जान, पुलिस हर एंगल से कर रही जांच
Raniganj की बस्ती से तय किया था कोयले के कारोबार का बेताज बादशाह तक का सफर
बंगाल मिरर, एस सिंह : शिल्पांचल के एक वर्ग के अनुसार, वाम शासन काल में राजू कोयला कारोबार के ‘बेताज बादशाह’ थे। रानीगंज के बस्ती से कोयला कारोबार का किंग तक का सफर राजू ने तय किया था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक वह कोयले की तस्करी में शामिल था। एक समय वह तस्करी के गिरोह का नियंत्रक बन गया था। वाम काल के दौरान, राजू दुर्गापुर और आसनसोल पर केंद्रित पश्चिम बर्दवान के एक बड़े क्षेत्र में अवैध कोयले के व्यापार का ‘बेताज बादशाह’ बन गया। सत्ता परिवर्तन के बाद करीब दस साल तक राजू गुमनाम थे। लेकिन 2020 में भाजपा में शामिल होने के बाद से वह वापस आये। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार भी होना पड़ा। दस साल तक सतर्कता बरतने वाले राजू दस महीने में कैसे गच्चा खा गये, अवैध कोयला कारोबार पर अंकुश लगने के बाद शिल्पांचल में डीओ का सिंडिकेट चल रहा था। क्या इस सिंडिकेट के कारण ही राजू को जान गंवानी पड़ी, इसे लेकर भी चर्चा है। वहीं भाजपा नेता दिलीप घोष का दावा है कि सीबीआई ने राजू से पहले पूछताछ की थी, फिर उन्हें बुलाया गया था, इसके पहले उनका मुंह बंद कर दिया गया। वहीं राजू ने किसी पर अधिक विश्वास कर लिया, जिसने उनके साथ विश्वासघात कर दिया। अब असलियत क्या है यह तो जांच के बाद ही सामने आयेगा। फिलहाल पुलिस पूरी गहराई से मामले की छानबीन में जुटी है।
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राजू ने दशकों पहले दुर्गापुर सिटी सेंटर में शॉपिंग मॉल में कपड़े की दुकान खोली। उन्होंने होटल व्यवसाय भी शुरू किया। राजू के करीबी सूत्रों के मुताबिक, 2011 के बाद से राजू कोयले का कारोबार जारी नहीं रख सके। हालांकि, पुलिस सूत्रों के मुताबिक, हालांकि वह कुछ दिनों तक चुप रहा, लेकिन उसने 2015 तक फिर से कारोबार शुरू करने की कोशिश की। लेकिन सफल नहीं हुआ। अगले साल यानी 2016 में कोलकाता पुलिस ने राजू को आग्नेयास्त्रों और 35 लाख रुपये नकद के साथ गिरफ्तार किया। इसके बाद भी पुलिस और सीआईडी ने उसे कई बार गिरफ्तार किया।
हालाँकि उन्हें अतीत में सक्रिय दलगत राजनीति में नहीं देखा गया है, लेकिन वे राज्य में पिछले विधानसभा चुनावों से पहले दिसंबर 2020 में भाजपा में शामिल हो गए। दुर्गापुर के पलाशडीहा मैदान में राजू ने सांसद अर्जुन सिंह का हाथ पकड़कर भगवा खेमे में प्रवेश किया। हालाँकि, अर्जुन ने अब दल बदल लिया है और तृणमूल में वापस आ गये है। हालांकि, 2021 के चुनाव में बीजेपी की हार के बाद राजू राजनीतिक कार्यक्रमों में नजर नहीं आए।छह महीने पहले राजू ने फिर से कोयला कारोबार में प्रवेश किया। साथ ही सूत्रों ने यह भी बताया कि उसने नया सिंडिकेट बनाने की कोशिश की थी। इस सिंडिकेट का काम भी काफी आगे बढ़ गया था। लेकिन इसी बीच उनकी हत्या कर दी गई। राजू ने ट्रांसपोर्ट का बिजनेस भी शुरू किया। इसके अलावा, उनके करीबी सूत्रों ने बताया कि वह ‘गणपति सिक्योरिटी’ नामक एक सुरक्षा कंपनी से जुड़े हुए थे।
उनके पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक, कुछ महीने पहले सिटी सेंटर स्थित राजू की ट्रांसपोर्ट कंपनी के दफ्तर में किसी ने घुसकर फायरिंग कर दी थी. राजू उस समय ऑफिस में नहीं थे। पुलिस इस बात की भी पड़ताल कर रही है कि शनिवार की घटना से कोई संबंध तो नहीं है।राजू अपनी एसयूवी में ड्राइवर की तरफ बैठा था, जब शनिवार रात करीब साढ़े आठ बजे उसकी हत्या कर दी गई। पीछे की सीट पर दुर्गापुर के बेनाचिती निवासी ब्रतिन मुखोपाध्याय थे। हमलावरों के हमले में वह भी घायल हो गया। इसके अलावा, कई सूत्रों का दावा है कि गाय तस्करी मामले में सीबीआई की चार्जशीट में नामित बीरभूम का अब्दुल लतीफ भी कार में था। लेकिन इसे लेकर पुलिस भी पोशेपेश में है क्योंकि इसे लेकर चालक और ब्रतीन ने अलग-अलग बयान दे रहे हैं।